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Satnali

नहरी पानी के अभाव में खेती बनी घाटे का सौदा

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सत्यखबर सतनाली (प्रीतम शेखावत) – सतनाली व आसपास के क्षेत्र में नहरी पानी के अभाव में दशकों से यहां के किसान भूमिगत जल से ही प्यासी धरती की प्यास को बुझाते आ रहे हैं। भूमिगत जल का स्तर गिरने के कारण अब इस क्षेत्र में हालात यह है कि यहां निकट भविष्य में खेती तो दूर लोगों को पेयजल के लाले भी पड़ सकते है।

ध्यान रहे कि दक्षिण हरियाणा के अंतिम छोर पर राजस्थान की सीमा से सटे सतनाली क्षेत्र में नहरी पानी मुख्य मुद्दा रहा है। यहां चुनावों से पूर्व प्रदेश के नेता सतनाली सहित गांवों में नहरी पानी के वायदे और वायदों के मुताबिक यहां की जनता ने उन्हें ये सोचकर वोट भी दिए किन्तु नेता सत्ता में आते ही चुनावों से पूर्व किए वायदों को भुलाते रहे। पिछले 39 सालों में प्रदेश में अनेकों राजनैतक दलों की सरकारें आई और चली गई, लेकिन नहरी पानी से सतनाली इलाके की धरती की प्यास बुझाने के दावे पूरे नहीं हो पाए। दरअसल, इन्हें पूरा करने के लिए धरातल पर कोई प्रयास नहीं किए गए। ऐसे में क्षेत्र के किसानों के लिए नहरी पानी एक कोरा स्वप्न बनकर रह गया।

नहरी पानी के अभाव में न केवल क्षेत्र में किसानों के फसलोत्पादन में कमी आई बल्कि खेती करना किसानों के लिए घाटे का सौदा बनकर रह गया है। कृषि में मुनाफा न होने के कारण यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति भी दयनीय हो गई है तथा किसान लगातार कर्ज के बोझ तले दबता चला गया। राजस्थान की सीमा से सटा होने के कारण यहां की भूमि अ‌र्द्धमरुस्थलीय विशेषताओं वाली है। पेयजल व खेती के लिए यहां के किसान भूमिगत जल पर ही आश्रित है।

प्राचीन काल में कुओं के माध्यम से पीने के पानी के रूप में भूमिगत जल का ही प्रयोग किया जाता रहा है। समय बदलने के साथ-साथ सरकारी योजनाओं के चलते क्षेत्र में ट्यूबवेल स्थापित किए गए तथा गांवों में बिजली पहुंचाई गई। जिन किसानों ने उस दौर में ट्यूबवेल स्थापित किए थे उनके लिए भी वे अब ज्यादा लाभकारी नहीं रहे है, क्योंकि भूमिगत जल के लगातार दोहन के कारण स्तर गहरा गया जो क्षेत्र के लिए वर्तमान में चिंता का विषय बन गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल ने 1982 में क्षेत्र के गांवों में नहरों का जाल बिछाया था। इसके बावजूद नहरों में पानी नहीं आ पाया तथा वर्षा की कमी से समस्या और बढ़ गई। क्षेत्र की नहरों में पानी लाने के दावे हर राजनीतिक दल द्वारा किए गए लेकिन 39 वर्ष बीत जाने के बाद भी क्षेत्र की नहरों में पानी नहीं आ पाया। हालात यह है कि क्षेत्र की भूमि बंजर होती जा रही है तथा बरसात की कमी के चलते यहां खेती करना घाटे का सौदा बनकर रह गया है।

इसमें खास बात यह है कि सतनाली की नहरों में पानी छोड़ने का कार्य भिवानी जिले के चरखी दादरी में बैठे नहर विभाग के अधिकारी करते हैं जबकि सतनाली का विधानसभा क्षेत्र महेंद्रगढ़ पड़ता है। इस वजह से कोई प्रशासन का कोई भी अधिकारी सतनाली क्षेत्र की नहरों में पानी के लिए रुचि नहीं ले रहा है। किसानों की मानें तो यदि सतनाली क्षेत्र को नहरी पानी नहीं मिला और इसी तरह भूमिगत जल का दोहन होता रहा तो किसानों के लिए फसलों को सिंचित करना तो दूर ग्रामीण इलाकों में पेयजल के भी लाले पड़ सकते हैं।