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Priyanka Gandhi ने RGNUL मामले पर उपकुलपति की निंदा की, ‘लड़कियों के कमरों में प्रवेश करना शर्मनाक’

Priyanka Gandhi: राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (RGNUL), पटियाला में हुई एक घटना ने हाल ही में राजनीतिक और सामाजिक ध्यान आकर्षित किया है। इस घटना में उपकुलपति जेएस सिंह पर आरोप लगा है कि उन्होंने बिना अनुमति और पूर्व सूचना के छात्राओं के छात्रावास में प्रवेश किया। न केवल यह, बल्कि उपकुलपति पर यह भी आरोप है कि उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते समय कई बार असभ्य और अश्लील टिप्पणियाँ कीं। आइए, जानते हैं इस पूरे मामले के बारे में।

प्रियांका गांधी की प्रतिक्रिया

कांग्रेस महासचिव प्रियांका गांधी ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि राजीव गांधी विधि विश्वविद्यालय के उपकुलपति द्वारा अचानक छात्राओं के कमरों में प्रवेश करना और उनकी अनुमति के बिना जांच करना अत्यंत शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि उपकुलपति का यह व्यवहार न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह छात्राओं की गोपनीयता का भी उल्लंघन है।

Priyanka Gandhi ने RGNUL मामले पर उपकुलपति की निंदा की, 'लड़कियों के कमरों में प्रवेश करना शर्मनाक'

प्रियांका गांधी ने कहा, “छात्राएं अपने भोजन, कपड़े और पाठ्यक्रम के चयन के लिए सक्षम हैं। नैतिक पुलिसिंग और लड़कियों की गोपनीयता का उल्लंघन अस्वीकार्य है।” उन्होंने महिला आयोग से इस मामले का संज्ञान लेने और उपकुलपति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है।

पूरा मामला क्या है?

यह घटना 22 सितंबर को घटित हुई थी, जब उपकुलपति ने छात्राओं के कमरों में बिना किसी पूर्व सूचना और अनुमति के प्रवेश किया। इस दौरान उन्होंने न केवल छात्राओं के कमरे की तलाशी ली, बल्कि उनके कपड़ों के बारे में भी असभ्य टिप्पणियाँ कीं। इस घटना के बाद छात्राओं में भारी नाराजगी देखी गई। उन्होंने उपकुलपति के खिलाफ मोर्चा खोला और उनके इस्तीफे की मांग की।

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छात्राओं के प्रदर्शन को देखते हुए विश्वविद्यालय को फिलहाल के लिए बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही, इस मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। इस समिति में प्रोफेसर शरणजीत कौर, प्रोफेसर नरेश कुमार वात्स, डॉ. गीतिका वाली, डॉ. इवनीट वालिया, डॉ. मनोज कुमार शर्मा, डॉ. श्रुति गोयल, डॉ. तान्या मंडार, डॉ. जशलीन केवलानी और डॉ. सिद्धार्थ दहिया शामिल हैं।

छात्राओं की ओर से उठाई गई आवाज

इस मामले में छात्राओं की आवाज़ें सुनाई दे रही हैं। उन्होंने इस घटना को न केवल अपनी गोपनीयता का उल्लंघन बताया है, बल्कि यह भी कहा है कि इस तरह का व्यवहार छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन है। छात्राओं ने अपनी बातों को मीडिया के सामने रखते हुए कहा कि उपकुलपति का व्यवहार अस्वीकार्य है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

छात्राओं ने इस संबंध में कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन से भी अपनी शिकायतें की हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। अब जब उन्होंने खुद आवाज उठाई है, तो उनकी मांगें गंभीरता से सुनी जा रही हैं।

शिक्षा में सुरक्षा और गोपनीयता का महत्व

यह घटना एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करती है कि क्या हमारे शिक्षण संस्थान छात्रों को सुरक्षा और गोपनीयता का आश्वासन दे रहे हैं? क्या छात्रों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा रहा है?

शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि छात्रों को एक सुरक्षित और समावेशी वातावरण प्रदान करना भी है। अगर छात्रों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक नहीं किया जाता, तो वे उस स्थिति का सामना करने में असमर्थ रहेंगे जो उनके लिए खतरे की घंटी बन सकती है।

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उपकुलपति की भूमिका और जिम्मेदारियाँ

उपकुलपति का पद केवल प्रशासनिक नहीं होता; यह छात्रों के लिए एक मार्गदर्शक और प्रेरक का भी होता है। ऐसे में, उपकुलपति द्वारा इस तरह के व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती। शिक्षण संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा, उनके अधिकारों का सम्मान और उनके साथ उचित व्यवहार का पालन किया जाना चाहिए।

अगर उपकुलपति का यह व्यवहार सही है, तो यह केवल एक व्यक्ति की गलती नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षण संस्थान की छवि को धूमिल करता है। ऐसे मामलों में तुरंत और प्रभावी कार्रवाई होना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसे घटनाएँ न हों।

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