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PROBA-3 Mission: सूरज के राज खोलने के लिए इसरो का प्रॉबा-3 मिशन आज लॉन्च

PROBA-3 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में अपनी सफलता का ध्वज लहराया है और अब वह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के Proba-3 सोलर मिशन को आज शाम लॉन्च करने जा रहा है। यह मिशन पहले बुधवार शाम को लॉन्च होने वाला था, लेकिन Proba-3 स्पेसक्राफ्ट में एक दोष आने के कारण इसे कल स्थगित कर दिया गया था। अब इस मिशन को आज यानी शुक्रवार को, श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 4:15 बजे लॉन्च किया जाएगा।

Proba-3 मिशन क्या है?

Proba-3 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की Proba सीरीज का तीसरा सोलर मिशन है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है। खास बात यह है कि Proba सीरीज का पहला मिशन भी 2001 में ISRO द्वारा लॉन्च किया गया था। Proba-3 मिशन में दो सैटेलाइट्स को एक साथ लॉन्च किया जाएगा, जो एक दूसरे से 150 मीटर की दूरी पर उड़ान भरेंगे और सूर्य के बाहरी वातावरण (कोरोना) का अध्ययन करने के लिए सबसे छोटे आंकड़े पृथ्वी पर भेजेंगे।

Proba-3 मिशन के विशेष उद्देश्य

Proba-3 का मुख्य उद्देश्य सूर्य के आंतरिक कोरोना और बाहरी कोरोना के बीच के अंतर को समझना है। यह मिशन सूर्य के बाहरी वातावरण की संरचना और उसके साथ जुड़े विभिन्न खगोल वैज्ञानिक तथ्यों का अध्ययन करेगा। इस मिशन के दौरान दोनों सैटेलाइट्स का संचालन एक साथ किया जाएगा, जो सूर्य के कोरोनाग्राफ का विस्तृत अध्ययन करेंगे।

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Proba-3 मिशन की विशेषताएँ

Proba-3 मिशन को दुनिया का पहला Precision Formation Flying Satellite कहा जा रहा है। इसका मतलब है कि इस मिशन में दो सैटेलाइट्स एक साथ लॉन्च किए जाएंगे, जो एक दूसरे के साथ बहुत सटीकता से उड़ान भरते हुए सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेंगे। पहले सैटेलाइट को Coronagraph Spacecraft और दूसरे को Occulter Spacecraft कहा जाता है। दोनों सैटेलाइट्स का वजन 550 किलोग्राम है।

कैसे काम करेंगे ये सैटेलाइट्स?

लॉन्च के बाद, ये दोनों सैटेलाइट्स एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे, लेकिन बाद में इन्हें फिर से एक साथ रखा जाएगा ताकि वे एक सोलर कोरोनाग्राफ बना सकें। यह कोरोनाग्राफ सूर्य के कोरोना के अध्ययन में सहायक होगा, जिससे वैज्ञानिकों को सूर्य के बाहरी वातावरण की समझ में मदद मिलेगी।

मिशन की लागत और वैश्विक सहयोग

Proba-3 मिशन का कुल बजट करीब 200 मिलियन यूरो यानी लगभग 1,778 करोड़ रुपये है। इस मिशन पर काम करने वाली टीमों में स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, इटली और स्विट्ज़रलैंड के वैज्ञानिक शामिल हैं। यह मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें कई देशों के वैज्ञानिक एक साथ काम कर रहे हैं।

कल क्यों हुआ था लॉन्च स्थगित?

Proba-3 मिशन का लॉन्च पहले बुधवार शाम को होना था, लेकिन एक तकनीकी कारण के कारण मिशन को स्थगित करना पड़ा। Proba-3 स्पेसक्राफ्ट में एक दोष पाया गया था, जिसके चलते इसे अगले दिन तक के लिए टाल दिया गया। अब मिशन के वैज्ञानिकों ने इस दोष को ठीक कर लिया है और मिशन को आज सफलतापूर्वक लॉन्च करने के लिए तैयार हैं।

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Proba-3 मिशन सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, और इसका लॉन्च ISRO के लिए एक और बड़ी सफलता साबित हो सकता है। यह मिशन न केवल यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और ISRO के सहयोग को दर्शाता है, बल्कि यह सूर्य के बाहरी वातावरण की संरचना और उसके प्रभावों को समझने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके माध्यम से वैज्ञानिकों को सूर्य से संबंधित नई जानकारियाँ मिल सकती हैं, जो भविष्य में अंतरिक्ष अनुसंधान में सहायक होंगी।

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