सत्य खबर । पंचकूला
पंचकूला में कजियाणा के समीप वन विभाग की ओर से 92.25 लाख रुपये की लागत से बनाए बांध के निर्माण में 26.14 लाख के घोटाले का मामला सामने आया है। पिंजौर थाना पुलिस ने सामान सप्लायर गुरदर्शन सिंह, मंडल अधिकारी सुनील कुंडू, वन दरोगा अंग्रेज सिंह, वन रक्षक अनिल कुमार के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
पिंजौर थाना प्रभारी रामपाल ने बताया कि हरियाणा गुप्तचर विभाग और मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की ओर से मामले की जांच की गई थी। जांच में सामने आया कि बांध में लगने वाले लोहे की रकम में घोटाला किया गया है। मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के अधीक्षक अशोक कुमार ने मामले की शिकायत दी है। जांच में सामने आया कि कजियाणा बांध बनाने के लिए शिवालिक विकास एजेंसी द्वारा 92.25 लाख रुपये की रकम मंजूर की गई थी।
प्रक्रिया के तहत ठेकेदार सुखविंद्र को 16.99 लाख रुपये में ठेका दिया गया। निर्माण सामग्री खरीद और बांध की निगरानी के लिए अतिरिक्त मंडल अधिकारी, वन राजिक अधिकारी, वन दरोगा व वन रक्षक की एक कमेटी का गठन किया गया।
शिकायतकर्ता अशोक कुमार ने बताया कि वन रक्षक अनिल कुमार के बयान और उसके कच्चे रजिस्टर की जांच में पता चला कि वन विभाग की ओर से बनाई गई कमेटी, जिसमें उप राजिक अधिकारी और मंडल अधिकारी सुनील कुंडू, वन रक्षक देवेंद्र सिंह, रविंद्र सिंह, वन दरोगा अंग्रेज सिंह व वन रक्षक अनिल कुमार थे, इन्होंने सामान सप्लायर गुरदर्शन सिंह के साथ मिलकर लगभग 26.14 लाख रुपये का गबन किया है।
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बांध निर्माण कमेटी को गुरदर्शन सिंह ने कोई सामग्री सप्लाई ही नहीं की बल्कि कमेटी से मिलीभगत करके फर्जी बिल तैयार कराए। इधर, बांध निर्माण कमेटी ने इन बिलों की एवज में गुरदर्शन सिंह से माल लेने के बजाय स्थानीय व्यक्तियों जैसे भीम सिंह, महंगा सिंह से पत्थरों का अवैध खनन कराकर निर्माण में इस्तेमाल किया।
जांच में यह भी सामने आया कि गुरदर्शन ने ढिल्लों क्रेशर से सामग्री लेने के बारे में बताया जबकि उससे सामान लिया ही नहीं गया। पता चला कि निर्माण के दौरान तकरीबन 202 क्विंटल सरिया लगाया जाना था जबकि अनिल कुमार के कच्चे रजिस्टर के मुताबिक सरिये की खपत केवल 60 क्विंटल हुई। आरोपी सुनील कुंडू ने कंपलीशन रिपोर्ट में भी 202 क्विंटल सरिया दिखाया है। निर्माण में अनुमानित 6475 सीमेंट बैग स्वीकृत किए गए थे जबकि खपत केवल 3178 सीमेंट बैग की हुई।
इस डैम के निर्माण के बाद इसी साल मानसून में बरसात का पानी बांध में भर गया। परंतु निर्माण के दौरान बरती गई धांधली के चलते इस डैम से लीकेज शुरू हो गई। लीकेज के बाद ग्रामीणों ने विभाग के खिलाफ रोष जताते हुए इसकी जांच की मांग की थी। इस पर जांच में यह घपले की बात सामने आई है।
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