Punjab: जालंधर में लापरवाही से ‘मौत’ दौड़ रही है सड़क पर, ओवरलोडेड ट्रक की चपेट में आकर एक ही परिवार के 3 सदस्य की मौत
Punjab: जालंधर में सोमवार को एक ओवरलोडेड ट्रक की चपेट में आकर एक ही परिवार के तीन सदस्य की मौत हो गई। यह दुर्घटना सोमवार को हुई थी, और मंगलवार शाम को इन तीनों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया श्री दुर्गियाना तीर्थ के शमशान घाट पर संपन्न हुई। मृतकों के परिजनों का कहना है कि यह घटना पुलिस और प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है। उनका कहना था कि अगर पुलिस और प्रशासन ने ओवरलोडेड वाहनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की होती, तो उनके परिवार के तीन लोग आज हमारे बीच होते।
परिवार की भावनाओं का बयान
मृतकों में 13 वर्षीय पियूष, उनकी मां पलक और बुआ ज्योति शामिल हैं। पियूष के पिता वरुण, जो गुरु का महल गली, जालंधर के निवासी हैं, ने कहा कि वह नहीं चाहते कि उनके परिवार की तरह किसी और परिवार को इस दर्दनाक घटना का सामना करना पड़े। उन्होंने बताया कि सरकार का कर्तव्य है कि वह लोगों की जान की सुरक्षा करे, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार, पुलिस और प्रशासन इस मामले में पूरी तरह से असहाय हैं। उन्होंने कोई उम्मीद नहीं जताई कि सरकार या प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई करेंगे।
न्याय की गुहार
वरुण ने उच्च न्यायालय से अपील की है कि जैसे वह अन्य मामलों में सख्त आदेश देते हैं, वैसे ही इस मामले में भी कड़ी कार्रवाई के आदेश जारी किए जाएं। उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाती है तो भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है और किसी और की जान नहीं जाएगी।
जालंधर से अमृतसर शव लाना एक चुनौती
वरुण, जो मेडिकल पेशेवर हैं, ने कहा कि जब वह जालंधर के पोस्टमॉर्टम हाउस में अपने परिवार के तीन सदस्यों के शव देख रहे थे तो यह दृश्य उनके लिए बहुत दर्दनाक था। उन्होंने कहा कि जालंधर से अमृतसर तक का 80 किलोमीटर का सफर उनके लिए बहुत कठिन था, जैसे आठ हजार किलोमीटर का सफर हो। अमृतसर के शमशान घाट पर जब वह पहुंचे तो वहां काफी संख्या में लोग पहले ही पहुंच चुके थे।
ओवरलोडेड ट्रकों की समस्या
यह हादसा न केवल जालंधर, बल्कि पूरे पंजाब में ओवरलोडेड ट्रकों के बढ़ते खतरे को उजागर करता है। जालंधर में इन ट्रकों की संख्या बहुत अधिक है, और यह अक्सर सड़कों पर अव्यवस्थित तरीके से दौड़ते हैं। ट्रकों की लापरवाही और ओवरलोडिंग के कारण दुर्घटनाओं का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन और पुलिस को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इस तरह के हादसों को रोका जा सके।
इस हादसे ने जालंधर के नागरिकों को गहरे सदमे में डाल दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह ओवरलोडेड ट्रक इतने बड़े पैमाने पर चलते हैं कि उनकी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। परिणामस्वरूप, लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। यह घटना सरकार और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
कपूरथला की एसडीएम एवं आरटीओ अरविंद कौर ने कहा कि उन्होंने जिला खाद्य नियंत्रण विभाग को लिखित निर्देश दिए हैं कि अब से कोई भी ओवरलोडेड ट्रक किसी भी बाजार से न निकले। अगर ऐसा होता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उनके मुताबिक, अब से सभी ट्रकों की जांच सख्ती से की जाएगी, और ओवरलोडिंग के खिलाफ कार्रवाई को सुनिश्चित किया जाएगा।
यह कड़ी कार्रवाई यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाएं घटित न हो, और लोगों की जान की सुरक्षा की जाए। प्रशासन ने इस मामले में सख्त कदम उठाने की बात कही है, लेकिन देखना यह होगा कि इन आदेशों को कितना सख्ती से लागू किया जाता है।
जनता का गुस्सा और उम्मीद
इस घटना के बाद जालंधर की जनता में गुस्सा और आक्रोश है। लोग सरकार और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि ओवरलोडिंग और सड़क दुर्घटनाओं के खिलाफ जल्द से जल्द कड़े कदम उठाए जाएं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इस मुद्दे पर सख्ती से कार्रवाई की जाए, तो भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है।
जालंधर के नागरिकों का कहना है कि ओवरलोडेड ट्रक सिर्फ सड़कों पर चलने के लिए नहीं होते, बल्कि यह सड़क सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। पुलिस और प्रशासन को चाहिए कि वे इन ट्रकों की सख्त निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि ये ट्रक नियमों के अनुसार चलें।
जालंधर में हुई इस दर्दनाक दुर्घटना ने न केवल एक ही परिवार को गहरे सदमे में डाला, बल्कि पूरे जिले और राज्य में ओवरलोडेड ट्रकों की बढ़ती समस्या को उजागर किया। प्रशासन और पुलिस को इस पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। हालांकि, वरुण जैसे परिवार के लोग न्याय की उम्मीद कर रहे हैं, और उन्होंने उच्च न्यायालय से कड़ी कार्रवाई की अपील की है। यदि यह घटना प्रशासन के लिए एक जागरूकता का संदेश बनती है, तो हो सकता है कि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।