Punjab: संगरूर के किसानों को पराली न जलाने के प्रति किया गया जागरूक, कहा- जलाने के बजाय करें इसका प्रबंधन
Punjab: संगरूर जिले में किसानों को पराली न जलाने के प्रति जागरूक करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को सब डिवीजन अमरगढ़ के रायपुर गांव में एक किसान प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और उसके वैकल्पिक समाधानों के बारे में जागरूक करना था।
इस अवसर पर एसडीएम अमरगढ़ सुरिंदर कौर ने उपस्थित किसानों को पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया और उन्हें पराली जलाने से बचने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से न केवल वातावरण प्रदूषित होता है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है। ऐसे में पराली को जलाने की बजाय उसका उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए।
पंजाब सरकार की ओर से सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध
कृषि विकास अधिकारी डॉ. नवदीप कुमार ने किसानों को बताया कि पंजाब सरकार पराली के समाधान के लिए भारी सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध करा रही है। इनमें बैलर, हैप्पी सीडर, चॉपर और स्ट्रॉ रीपर जैसी मशीनें शामिल हैं। इन मशीनों का इस्तेमाल करके किसान पराली को जलाने के बजाय उसका सही तरीके से निपटान कर सकते हैं। इसके अलावा, इन मशीनों से पराली का उपयोग करके इसे खाद और अन्य उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित किया जा सकता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त लाभ मिल सकता है।
कृषि विभाग और सहकारी विभाग के अधिकारी गांव की सहकारी सोसाइटी के पास उपलब्ध मशीनरी के बारे में किसानों को जानकारी दे रहे हैं, ताकि किसान इनका अधिकतम लाभ उठा सकें। इस दौरान कृषि अधिकारी ने किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता, उर्वरक और पराली प्रबंधन के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। किसानों को बताया गया कि पराली के सही प्रबंधन से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और खेत की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
अन्य क्षेत्रों में भी हो रही है जागरूकता मुहिम
संगरूर जिले के दीदबा क्षेत्र में भी इस मुहिम के तहत डिप्टी कमिश्नर संदीप ऋषि ने मौड़ा, गुजरा, खनाल कलां, लडबंजारा सहित कई गांवों का दौरा किया और किसानों को पराली न जलाने के प्रति जागरूक किया। उन्होंने किसानों को बताया कि पराली का धुआं न केवल प्रदूषण फैलाता है, बल्कि इससे स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। धुएं से सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और यह आंखों में जलन और त्वचा की समस्याओं का कारण भी बन सकता है। ऐसे में पराली जलाने से बचना जरूरी है।
किसानों को बताया गया कि राज्य सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा गांव-गांव जाकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है और पराली प्रबंधन के लिए वैकल्पिक उपाय बताए जा रहे हैं। इस दौरान डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जलाने से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व जल जाते हैं, जिससे फसल उत्पादन में कमी आ जाती है। इसलिए किसानों को पराली जलाने की बजाय इसका प्रबंधन करना चाहिए।
पराली जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान
पराली जलाने से सबसे बड़ा नुकसान पर्यावरण को होता है। धुएं में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और अन्य हानिकारक गैसें वायुमंडल में मिलकर प्रदूषण फैलाती हैं। इससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में भारी गिरावट आती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होती है। इसके अलावा, पराली जलाने से मिट्टी की जैविक संरचना को भी नुकसान पहुंचता है, जिससे खेतों में उर्वरता की कमी हो जाती है और लंबी अवधि में फसलों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।
पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय
किसानों को पराली जलाने के बजाय इसके प्रबंधन के कई विकल्पों के बारे में बताया गया। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं:
- हैप्पी सीडर का उपयोग: हैप्पी सीडर एक ऐसी मशीन है जो बिना पराली को जलाए सीधे फसल की बुवाई करने में सक्षम है। इससे पराली खेत में ही रहकर जैविक खाद के रूप में काम करती है और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है।
- बैलर मशीन का उपयोग: बैलर मशीन पराली को बंडलों में बदल देती है, जिन्हें बाद में खाद बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है या इसे ऊर्जा उत्पादन में भी उपयोग किया जा सकता है। इससे न केवल पराली का समाधान होता है, बल्कि इससे किसानों को अतिरिक्त आय भी हो सकती है।
- कृषि अपशिष्ट प्रबंधन: पराली को कृषि अपशिष्ट के रूप में देखा जा सकता है, जिसका इस्तेमाल जैविक खाद, बायोगैस और अन्य कृषि उत्पादों के निर्माण में किया जा सकता है। इससे किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलता है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
- स्टॉ रीपर का उपयोग: स्टॉ रीपर एक अन्य मशीन है जो पराली को काटकर उसका पुन: उपयोग करने योग्य बनाती है। इसका उपयोग चारे के रूप में भी किया जा सकता है, जिससे पशुपालन में मदद मिलती है।
सरकारी समर्थन और जागरूकता अभियान
कृषि और किसान कल्याण विभाग लगातार किसानों को पराली प्रबंधन के लिए जागरूक कर रहा है और उन्हें सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सब्सिडी और मशीनों की जानकारी दे रहा है। इसके अलावा, सहकारी समितियों के माध्यम से गांवों में मशीनरी उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि छोटे और मध्यम किसान भी इनका लाभ उठा सकें। किसानों को मशीनों की उपयोगिता, उनके लाभ और उनका सही इस्तेमाल करने के तरीके बताए जा रहे हैं, ताकि वे पराली जलाने के बजाय उसके प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय अपनाएं।
पराली जलाने से कैसे बचा जा सकता है?
किसानों को पराली जलाने से बचने के लिए कई कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, उन्हें यह समझना होगा कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि उनके खेतों की मिट्टी की उर्वरता भी कम हो जाती है। इसके अलावा, सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली मशीनरी का सही उपयोग करने से पराली का प्रबंधन करना आसान हो जाएगा। सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ उठाकर किसान बैलर, हैप्पी सीडर और अन्य मशीनों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे उन्हें पराली जलाने की आवश्यकता नहीं होगी।