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Punjab: किसानों ने पंजाब में ट्रेनें रोकीं, रेलवे ट्रैक पर धरना, कांस्टेबल का भाई भी पहुंचा

Punjab: पंजाब के सुलतानपुर लोधी, कपूरथला में किसानों ने रेलवे ट्रैक पर धरना दिया। किसान मजदूर संघर्ष समिति के जिला अध्यक्ष सरवन सिंह बापूरे के नेतृत्व में किसानों ने शुक्रवार को सुलतानपुर लोधी रेलवे स्टेशन पर ट्रैक को ब्लॉक कर दिया। किसानों ने चटाई बिछाकर ट्रैक पर बैठ गए और सोमनाथ एक्सप्रेस को रोक दिया। किसानों ने केंद्र और पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों के ट्रैक पर बैठने के कारण कई ट्रेनों का संचालन रुक गया।

किसानों की समस्याएँ

किसान मजदूर संघर्ष समिति के जिला अध्यक्ष सरवन सिंह बापूरे ने कहा कि धान की फसल के सीजन के दौरान किसानों को मंडियों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके फसल की खरीदारी नहीं हो रही है और मंडियों में फसलों के ढेर लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों और मजदूरों को मंडियों में लूट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि धान की फसल की खरीद सरकारी मूल्य से कम दर पर की जा रही है। न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार इस खुले लूट के प्रति गंभीर है।

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सरवन सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक उनकी फसल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नहीं की जाती, तब तक वह अपना धरना समाप्त नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने इस धरने के कारण यात्रियों को हुई असुविधा के लिए भी माफी मांगी।

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प्रदर्शन में शामिल प्रमुख लोग

इस प्रदर्शन में सीआरपीएफ की महिला जवान कुलविंदर कौर के भाई शेर सिंह माहीवाल भी शामिल थे, जिन्होंने भाजपा सांसद कंगना रनौत को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर थप्पड़ मारा था। इसके अलावा भजन सिंह खिजरपुर, मलकीत सिंह, प्यारा सिंह प्रधान जोन, बलजिंदर सिंह शेरपुर, बाबा निशान सिंह, जोन सचिव रचपाल सिंह संधू, जसवंत सिंह संधू, बलविंदर सिंह बंबा सरपंच, मुख्तियार सिंह, हरविंदर सिंह उच्‍छा, वीर सिंह उच्‍छा, हरजीत सिंह देसाल, मेजर सिंह तलवंडी चौधरी, हरजिंदर सिंह, सोनू तरपुर, सतनाम सिंह उच्‍छा, सरबजीत सिंह प्रेस सचिव, सन्नी, हरदेव सिंह, गुरनाम सिंह, जितेंद्र सिंह, काला उच्‍छा, मलकीत सिंह, सुभदीप उच्‍छा और नरिंदर सिंह सहित अन्य लोग भी मौजूद थे।

किसानों के आंदोलन का महत्व

किसानों का यह धरना उन समस्याओं का एक बड़ा संकेत है जिनका सामना वे पिछले कई महीनों से कर रहे हैं। धान की फसल की खरीद में हुई देरी और अनियमितताओं ने किसानों को हताश कर दिया है। ऐसे में जब सरकारें उनकी समस्याओं की अनदेखी कर रही हैं, किसान संगठन मजबूती से अपनी मांगों के लिए खड़े हो रहे हैं।

किसान संगठनों का यह प्रदर्शन न केवल कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किसान अब और चुप बैठने को तैयार नहीं हैं। उनका यह आंदोलन एकजुटता का प्रतीक है, और वे अपनी मांगों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।

रेलवे ट्रैक पर धरना का असर

इस धरने के कारण ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ है, जिससे यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, किसानों ने कहा है कि उनकी प्राथमिकता अपनी फसल की सही कीमत हासिल करना है, भले ही इसके लिए उन्हें ऐसे कठोर कदम उठाने पड़े।

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यात्रियों को हो रही असुविधा के बावजूद, किसान अपने हक के लिए लड़ने को तैयार हैं। सरवन सिंह ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे भविष्य में भी ऐसे ही धरने देने के लिए मजबूर होंगे।

समाधान की आवश्यकता

किसानों की इस स्थिति को देखकर यह स्पष्ट है कि सरकार को उनकी समस्याओं का समाधान करना होगा। यदि सरकार तुरंत प्रभावी कदम नहीं उठाती, तो किसानों का यह आंदोलन और अधिक बढ़ सकता है, जिससे स्थिति और भी खराब हो सकती है।

सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। मंडियों में फसल खरीद के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने और किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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