Punjab news: अमृतसर पुलिस स्टेशन ब्लास्ट के आरोपी मुश्किल में, हमलावरों का सीसीटीवी फुटेज सामने, जांच एजेंसियां सक्रिय
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Punjab news: अमृतसर के इस्लामाबाद पुलिस स्टेशन में मंगलवार सुबह हुए ब्लास्ट के बाद बुधवार को स्थिति शांत रही। हालांकि, पुलिस इस ब्लास्ट की प्रकृति को लेकर चुप्पी साधे हुए है। इस मामले में न तो कोई पुलिस अधिकारी कुछ बोलने को तैयार है और न ही कोई विस्तृत जानकारी सामने आई है। पुलिस स्टेशन के गेट पर ताला पड़ा हुआ है और अंदर सब कुछ पहले जैसा ही नजर आ रहा है। लेकिन, पुलिस स्टेशन की बालकनी में रखी एक सीमेंट शीट जो शिकायतकर्ताओं के बैठने के लिए थी, वह पूरी तरह से टूटी हुई थी, जबकि उसके बगल में रखी सीमेंट शीट सामान्य रूप से दिख रही थी।
पुलिस स्टेशन में महिला कर्मियों की तैनाती
ब्लास्ट के कारण पुलिस स्टेशन के उस हिस्से की सीमेंट शीट चकनाचूर होकर गिर गई थी, जिसके बाद पुलिस कर्मियों ने घटनास्थल की अफरा-तफरी के बीच नया शीट लगवा दिया। बुधवार को दैनिक जागरण ने पुलिस स्टेशन का निरीक्षण किया और जब वहां से ऊपर से फोटो खींची गई तो पता चला कि पुलिस स्टेशन के अंदर की तस्वीर कुछ और ही थी। पुलिस स्टेशन में तैनात एक सिपाही की ड्यूटी बुधवार को भी जारी थी, जो ब्लास्ट में बाल-बाल बचा था। हालांकि, इस सिपाही को दूसरे स्थान पर भेज दिया गया था और उसकी जगह एक महिला पुलिसकर्मी ने सिपाही के रूप में ड्यूटी दी।
आरोपियों का सीसीटीवी फुटेज हाथ में
ब्लास्ट के बाद पुलिस को हमलावरों का सीसीटीवी फुटेज मिल चुका है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाइक पर सवार दो युवक इस्लामाबाद पुलिस स्टेशन की गली से भागते हुए जीटी रोड की तरफ गए थे। पुलिस अब सीसीटीवी फुटेज एकत्र कर आरोपियों के भागने के रास्ते का नक्शा तैयार कर रही है। इस सीसीटीवी फुटेज से हमलावरों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं, जो पुलिस की जांच में मदद कर सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय: पुलिस ने की बड़ी गलती
घटना के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि इस्लामाबाद पुलिस ने ब्लास्ट के तुरंत बाद बड़ी गलती की थी। पुलिस ने घटनास्थल से सीमेंट शीट, टूटी दीवार, विस्फोटक सामग्री और घरों की खिड़कियों के टूटे शीशे हटाने की जल्दबाजी की। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस को घटनास्थल से इन चीजों को न हटाने देना चाहिए था, ताकि मामले की पूरी जांच सही तरीके से की जा सके। इससे न सिर्फ घटनास्थल से सुराग मिट सकते थे, बल्कि विस्फोटक सामग्री की प्रकृति के बारे में भी सही जानकारी नहीं मिल पाई।
जांच एजेंसियां सक्रिय: एनआईए भी जुड़ी
इस मामले में जांच के लिए कई एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) सहित अन्य जांच एजेंसियां अब पुलिस से ब्लास्ट के बारे में जानकारी मांग रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अब यह पता लगाना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि हमलावरों ने किस प्रकार के विस्फोटक का इस्तेमाल किया। क्योंकि जिन गैंगस्टरों और आतंकवादियों ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, वे विदेश में स्थित हैं, और इससे यह भी सवाल उठता है कि क्या यह हमला एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा था।
दूसरी ओर, पुलिस ने फोरेंसिक टीम का इंतजार किए बिना घटनास्थल से महत्वपूर्ण सबूत हटा दिए थे, जिससे जांच की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा, पुलिस और जांच एजेंसियों को यह समझना होगा कि ब्लास्ट की सही प्रकृति क्या थी और इसके पीछे किसका हाथ हो सकता है।
जीवा फौजी ने लिया जिम्मा
ब्लास्ट के कुछ समय बाद, विदेश में बैठे गैंगस्टर जीवा फौजी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर हमले की जिम्मेदारी ली। जीवा फौजी, जो कि गैंगस्टर हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पशिया के करीबी माने जाते हैं, ने इस हमले के पीछे अपने गैंग का हाथ बताया। सोशल मीडिया पर इस पोस्ट ने पुलिस की स्थिति को और जटिल बना दिया है, क्योंकि अब यह स्पष्ट हो गया है कि यह हमलावर कोई सामान्य अपराधी नहीं, बल्कि संगठित गैंगस्टरों का हिस्सा हैं जो देश में आतंक फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
डीजीपी का अमृतसर दौरा: आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी
पुलिस के उच्च अधिकारियों का कहना है कि इस हमले के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी गौरव यादव ने अमृतसर का दौरा किया और इस घटना के बाद सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। डीजीपी ने यह भी कहा कि जो भी इस हमले के पीछे जिम्मेदार होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून के तहत सजा दिलाई जाएगी। पुलिस विभाग इस मामले में कोई भी ढिलाई नहीं बरतने का वादा कर रहा है, और जल्द ही आरोपियों को पकड़ने के लिए कड़ी मुहिम छेड़ी जाएगी।
अमृतसर पुलिस स्टेशन में हुए ब्लास्ट ने न सिर्फ शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इस हमले के पीछे की साजिश भी अब धीरे-धीरे सामने आ रही है। पुलिस द्वारा सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हमलावरों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस ने जल्दबाजी में घटनास्थल से सबूत हटा दिए, जिससे जांच में मुश्किलें आ सकती हैं। अब जब विभिन्न जांच एजेंसियां सक्रिय हो चुकी हैं, तो यह देखना होगा कि पुलिस इस मामले में कितनी जल्दी कामयाब होती है और दोषियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कार्रवाई करती है।