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Punjab news: बंद शौचालय में मिला कंकाल, सरकारी लापरवाही का बड़ा खुलासा; जानिए अधिकारियों ने क्या कहा

Punjab news: पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले में सरकारी लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक साल से बंद सार्वजनिक शौचालय में कंकाल मिलने से हड़कंप मच गया। यह घटना उस समय हुई जब शहीदी सम्मेलन की तैयारियों के दौरान टॉयलेट को साफ करने के लिए खोला गया। वहां पाया गया शव दीमकों द्वारा खाया जा चुका था, जिससे वह कंकाल में बदल गया था।

शहीदी सम्मेलन के लिए बनाए गए थे टॉयलेट ब्लॉक

पिछले साल, शहीदी सम्मेलन के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 17 सार्वजनिक शौचालय ब्लॉक बनाए गए थे। इन पर करीब 6 करोड़ 64 लाख रुपये की लागत आई थी। प्रत्येक टॉयलेट ब्लॉक पर औसतन 39 लाख रुपये खर्च किए गए थे। इनका संचालन और रखरखाव जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग के जिम्मे था।

हालांकि, विभाग की लापरवाही के कारण ये शौचालय ब्लॉक पहली ही साल में कब्रगाह साबित हुए। पिछले साल लोहड़ी के बाद, इन टॉयलेट ब्लॉकों को बंद कर दिया गया था और पूरे साल इन्हें खोला तक नहीं गया।

Punjab news: बंद शौचालय में मिला कंकाल, सरकारी लापरवाही का बड़ा खुलासा; जानिए अधिकारियों ने क्या कहा

कंकाल की स्थिति

10 दिसंबर को, गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब के सामने बने शौचालय ब्लॉक को साफ-सफाई के लिए खोला गया। यहां एक शव पाया गया, जिसे दीमकों ने खा लिया था। इसके चलते शव पूरी तरह कंकाल में बदल चुका था।

पुलिस ने मौके पर पहुंचकर औपचारिकताएं पूरी कीं और कंकाल को गुपचुप तरीके से वहां से हटा दिया गया। कंकाल को जिला अस्पताल के शवगृह में रखा गया और प्रारंभिक पोस्टमार्टम के बाद इसे फॉरेंसिक जांच के लिए एसएफएल खरड़ भेज दिया गया।

पहचान में आई दिक्कतें

कंकाल के पास कोई ऐसा सामान नहीं मिला, जिससे उसकी पहचान हो सके। पुलिस ने कंकाल के पास एक बैग बरामद किया है, लेकिन उसमें भी कोई पहचान संबंधी दस्तावेज नहीं मिले। मामले की जांच कर रहे फतेहगढ़ साहिब पुलिस स्टेशन के एएसआई लखबीर सिंह ने कहा कि पहचान के लिए कोई भी सुराग नहीं मिला है।

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डॉ. केडी सिंह, एसएमओ, ने बताया कि कंकाल को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा गया है। प्रारंभिक जांच में यह माना जा रहा है कि शव कई महीनों पुराना हो सकता है। इस पर स्पष्टता केवल फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी।

विभाग की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश

जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग, जो इन शौचालयों के रखरखाव का जिम्मेदार है, अब अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है। विभाग के एक्सईएन ईशान कौशल का कहना है कि उन्हें कंकाल मिलने की जानकारी है, लेकिन उनके पास अतिरिक्त प्रभार होने के कारण अधिक जानकारी नहीं है।

वहीं, विभाग के एसडीओ गौतम जिंदल ने दावा किया कि शौचालयों को कुछ महीने पहले ही खोला गया था। हालांकि, वे यह बताने में असमर्थ रहे कि शौचालयों को कब और किस उद्देश्य से खोला गया था।

पड़ोसियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का गुस्सा

गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब के पास रहने वाले और सामाजिक संगठनों से जुड़े तिरलोचन सिंह लाली ने कहा कि पिछले साल लोहड़ी के बाद इन शौचालयों को पूरे साल नहीं खोला गया।

लाली ने कहा, “श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए करोड़ों रुपये की लागत से बने शौचालयों को विभाग द्वारा सही तरीके से बनाए रखना चाहिए। लेकिन इन शौचालयों में कंकाल मिलना विभाग की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। यह सरकार के पैसे और संसाधनों की बर्बादी है।”

जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस मामले में जिला उपायुक्त (डीसी) डॉ. सोना थिंद ने कहा कि अभी तक यह मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। वे पुलिस और संबंधित अधिकारियों से इस बारे में पूरी जानकारी लेंगी।

डीसी ने यह भी कहा कि यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई गई, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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सरकारी संसाधनों की बर्बादी और जवाबदेही का सवाल

इस घटना ने सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग और जिम्मेदार विभागों की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। टॉयलेट ब्लॉकों के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद, विभाग इन्हें साफ-सुथरा और क्रियाशील बनाए रखने में असफल रहा।

कंकाल मिलने की यह घटना विभाग की लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है, जो न केवल प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है बल्कि लोगों की सुरक्षा और संसाधनों के उचित उपयोग पर भी सवाल खड़े करती है।

फतेहगढ़ साहिब जिले में सार्वजनिक शौचालय में कंकाल मिलने की यह घटना सरकार और संबंधित विभागों की लापरवाही का जीता-जागता सबूत है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जिला प्रशासन और जल आपूर्ति विभाग इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।

सरकारी योजनाओं और संसाधनों के उचित उपयोग के लिए जिम्मेदार विभागों की जवाबदेही तय करना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

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