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Punjab news: श्री अकाल तख्त साहिब को सौंपा गया ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ जांच का जिम्मा

Punjab news: श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ एक पुराने पारिवारिक मामले में शिकायत की जांच अब श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा की जा सकती है। दो दिन पहले, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की अंतरिम समिति ने इस मामले में एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था और ज्ञानी हरप्रीत सिंह को 15 दिन के लिए निलंबित कर दिया था, जिसके बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुवीर सिंह ने अपनी नाराजगी व्यक्त की।

रघुवीर सिंह ने नाराजगी व्यक्त की

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अंतरिम समिति की बैठक में लिए गए इस फैसले के बाद, ज्ञानी रघुवीर सिंह ने कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी से फोन पर बात की और अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अंतरिम समिति किसी भी जत्थेदार के खिलाफ जांच कैसे कर सकती है? यह अधिकार केवल श्री अकाल तख्त का है।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर श्री अकाल तख्त के जत्थेदार के खिलाफ कोई शिकायत हो, तो केवल श्री हरमंदिर साहिब के प्रमुख ग्रंथी ही इसकी जांच कर सकते हैं। ज्ञानी रघुवीर सिंह ने यहां तक कहा कि यदि यह सब कुछ इसी तरह चलता रहा तो वह इस्तीफा दे देंगे, जिस पर SGPC के प्रमुख और अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें दिनभर समझाने की कोशिश की।

Punjab news: श्री अकाल तख्त साहिब को सौंपा गया ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ जांच का जिम्मा

जांच की जिम्मेदारी श्री अकाल तख्त को सौंपने का निर्णय

कल यह निर्णय लिया गया कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को जांच करने का जिम्मा सौंपा जाए, लेकिन इससे पहले SGPC को अपना फैसला बदलना होगा, इसके लिए अंतरिम समिति की बैठक बुलाना जरूरी था। SGPC के सूचना विभाग ने इस संबंध में नोटिस जारी किया है। यह बैठक 23 दिसंबर को अमृतसर स्थित SGPC मुख्यालय में बुलाई गई है और बताया गया है कि समिति के सदस्यों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं।

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सोशल मीडिया पर चरित्र हनन से नाराज होकर इस्तीफा दिया

यह दिलचस्प है कि जब हाल ही में ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सोशल मीडिया पर उनके चरित्र हनन के प्रयासों से नाराज होकर इस्तीफा दिया था, तब भी ज्ञानी रघुवीर सिंह ने धमकी दी थी कि यदि ऐसे कृत्य नहीं रुके तो सभी तख्तों के सिंह साहिब इस्तीफा दे देंगे।

कुछ दिन के लिए मामला शांत हुआ, लेकिन 2 दिसंबर के बाद, जब श्री अकाल तख्त साहिब से SAD नेताओं के खिलाफ आदेश जारी किए गए, तो मामला एक बार फिर गरमा गया। ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ 17 साल पुरानी यह शिकायत फिर से इंटरनेट मीडिया पर उछाली जा रही है। उनके फर्जी आईडी बनाए जा रहे हैं और पोस्ट की जा रही हैं।

यह तख्तों के जत्थेदारों के साथ सीधा टकराव है

जो लोग अकाली राजनीति से वाकिफ हैं, उनका कहना है कि यह तख्तों के जत्थेदारों के साथ सीधा टकराव है। सिख मामलों के विशेषज्ञ और पूर्व SGPC सदस्य अमरिंदर सिंह ने कहा कि अकाली दल ने लंबे समय से तख्त साहिब के जत्थेदारों के माध्यम से अपने आदेश जारी किए हैं।

डेरा सचा सौदा के प्रमुख को माफी देने का निर्णय भी इसी का हिस्सा था, जिसके लिए सुखबीर बादल ने 2 दिसंबर को खुद स्वीकार किया कि यह उनकी गलती थी। लेकिन यह समझ से परे है कि अपनी गलतियों की सजा मिलने के बाद भी उनके करीबी लोग वही खेल फिर से क्यों खेल रहे हैं।

अकाल तख्त और SGPC के बीच बढ़ती तकरार

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और अकाल तख्त के बीच बढ़ती तकरार यह दर्शाती है कि दोनों संस्थाओं के बीच सत्ता और अधिकारों को लेकर मतभेद गहरे होते जा रहे हैं। अकाल तख्त के जत्थेदार ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि तख्तों के जत्थेदारों को अपने अधिकारों का उल्लंघन नहीं सहन करना चाहिए, और किसी भी प्रकार की जांच या कार्रवाई को अकाल तख्त ही करे।

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इस विवाद ने यह भी दिखा दिया है कि शिरोमणि अकाली दल के भीतर सत्ता संघर्ष और अधिकारों की लड़ाई तेज हो गई है। SGPC के द्वारा लिए गए फैसलों को लेकर तख्तों के जत्थेदारों का असंतोष अब सार्वजनिक रूप से सामने आ चुका है। यह मामला आगे चलकर कैसे सुलझेगा, यह समय बताएगा, लेकिन इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिख धर्म के प्रमुख निर्णय लेने वाले तख्तों और SGPC के बीच का रिश्ता एक चुनौतीपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुका है।

श्री अकाल तख्त साहिब और SGPC के बीच यह विवाद आने वाले समय में सिख राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। तख्तों के जत्थेदारों की शक्तियों और अधिकारों को लेकर यह विवाद केवल एक जांच मामले तक सीमित नहीं रह सकता। इस मामले में तख्त साहिब की भूमिका और उसकी जांच प्रक्रिया पर होने वाली बहस से यह साफ होता है कि शिरोमणि अकाली दल को अब अपनी आंतरिक राजनीति और फैसलों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

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