Punjab News: सुखा सिंह लंगाह की अकाली दल में घर वापसी, डेरा बाबा नानक उपचुनाव में बन सकते हैं उम्मीदवार
Punjab News: शिरोमणि अकाली दल (SAD) के पूर्व मंत्री सुखा सिंह लंगाह, जो एक विवादास्पद वीडियो प्रसारण के बाद पार्टी से निष्कासित कर दिए गए थे, ने अब पार्टी में वापसी कर ली है। यह घोषणा पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर भूंडर द्वारा की गई है। लंगाह की घर वापसी अब डेरा बाबा नानक विधानसभा सीट से जुड़ी जा रही है, जो लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई थी। कयास लगाए जा रहे हैं कि लंगाह इस सीट से आगामी विधानसभा उपचुनाव में अकाली दल के उम्मीदवार हो सकते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ है। हालांकि, पार्टी फिलहाल उनकी वापसी को केवल एक कार्यकर्ता के रूप में पेश कर रही है।
2017 का विवाद और निष्कासन
सुखा सिंह लंगाह का नाम 2017 में तब विवादों में आया जब एक वीडियो प्रसारित किया गया, जिसके बाद उन पर मामला दर्ज हुआ। इस घटना ने उनकी राजनीतिक और सामाजिक छवि को गंभीर रूप से प्रभावित किया और उन्हें शिरोमणि अकाली दल और खालसा पंथ से निष्कासित कर दिया गया। उस समय पार्टी ने लंगाह से दूरी बना ली थी, और खालसा पंथ ने भी उन्हें पंथ से बाहर कर दिया था।
मुकदमे में बरी होने के बाद लंगाह की क्षमा याचना
सुखा सिंह लंगाह पर लगे आरोपों से उन्हें अदालत ने बाद में बरी कर दिया, जिसके बाद उन्होंने लंबे समय तक श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष क्षमा याचना की। लंगाह ने पंथ में अपनी वापसी के लिए लगातार प्रयास किए और अंततः उन्हें पंथ द्वारा माफी दी गई और उनकी पंथ में वापसी हुई। इसके बाद, लंगाह ने शिरोमणि अकाली दल में दोबारा शामिल होने की मांग की और इसके लिए उन्होंने पार्टी को कई बार पत्र लिखे। हालांकि, पार्टी लंबे समय तक उनकी मांग को अनदेखा करती रही।
लंगाह की राजनीतिक स्थिरता और वापसी की कोशिशें
सुखा सिंह लंगाह हमेशा से खुद को एक निष्ठावान अकाली मानते आए हैं। भले ही पार्टी ने उनकी वापसी की मांगों को नजरअंदाज किया, लंगाह ने यह दावा किया कि वह हमेशा से अकाली रहे हैं और अकाली ही रहेंगे। अंततः पार्टी ने उनके प्रति अपना रवैया बदला और लंगाह को फिर से पार्टी में शामिल करने का निर्णय लिया। इस वापसी से यह स्पष्ट हो गया कि लंगाह की राजनीतिक स्थिति अब भी मजबूत है और पार्टी में उनकी वापसी पार्टी के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकती है।
डेरा बाबा नानक उपचुनाव की चुनौतियाँ
डेरा बाबा नानक विधानसभा सीट के उपचुनाव को लेकर अब स्थिति और भी रोचक हो गई है। यह सीट तब खाली हुई जब यहां के विधायक सुखजिंदर रंधावा ने सांसद पद संभाल लिया। अब इस सीट पर उपचुनाव होने वाला है, जो पंजाब की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है।
सुखा सिंह लंगाह की इस क्षेत्र में पहले से मजबूत पकड़ है, क्योंकि वह इस सीट से पहले भी विधायक रह चुके हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि लंगाह की वापसी से अकाली दल को इस उपचुनाव में एक बढ़त मिल सकती है। लंगाह की इस क्षेत्र में गहरी पैठ और राजनीतिक अनुभव उन्हें उपचुनाव में एक मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं।
अकाली दल के लिए उपचुनाव की रणनीति
शिरोमणि अकाली दल के लिए सुखा सिंह लंगाह की वापसी एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम हो सकता है। पार्टी ने उन्हें एक कार्यकर्ता के रूप में वापस लिया है, लेकिन उनके राजनीतिक अनुभव और इस क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें डेरा बाबा नानक उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
अकाली दल के सामने आने वाले चुनाव में बड़ी चुनौतियाँ होंगी, क्योंकि पंजाब की राजनीति में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसी अन्य पार्टियां भी सक्रिय हैं। इसके अलावा, पंजाब में किसान आंदोलन के बाद से अकाली दल की स्थिति कमजोर मानी जा रही थी। ऐसे में लंगाह जैसे अनुभवी नेता की वापसी पार्टी के लिए एक बड़ा सहारा साबित हो सकती है।
लंगाह की वापसी के निहितार्थ
सुखा सिंह लंगाह की वापसी केवल एक व्यक्ति की पार्टी में पुनः प्रवेश की कहानी नहीं है, बल्कि यह पंजाब की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। उनकी वापसी से यह संकेत मिलता है कि अकाली दल अपने पुराने नेताओं को वापस लाने और अपने वोट बैंक को फिर से मजबूत करने की दिशा में प्रयासरत है। लंगाह के अनुभव और लोकप्रियता का फायदा उठाते हुए पार्टी उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश कर सकती है।
डेरा बाबा नानक उपचुनाव की संभावनाएँ
डेरा बाबा नानक का उपचुनाव अब बेहद दिलचस्प हो गया है। सुखा सिंह लंगाह की वापसी ने इस चुनाव को और भी रोचक बना दिया है। इस क्षेत्र में लंगाह की पकड़ और उनकी राजनीतिक समझ उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। अब यह देखना होगा कि अकाली दल इस मौके का किस तरह से फायदा उठाता है और लंगाह को उपचुनाव में किस भूमिका में उतारता है।