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Punjab news: किसान नेता जगजीत सिंह डालेवाल की अनशन पर Supreme Court की फटकार, पंजाब में 30 दिसंबर को ‘पंजाब बंद’ का आह्वान

Punjab news: किसान आंदोलन में अब एक नया मोड़ सामने आया है, जहां Supreme Court ने पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल  की हालत को लेकर सख्त रुख अपनाया है। डल्लेवाल , जो खनौरी बॉर्डर पर 33वें दिन अनशन पर बैठे हैं, उनकी स्वास्थ्य स्थिति में लगातार गिरावट आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने उन किसान नेताओं को फटकार लगाई है जो डल्लेवाल  को अस्पताल में भर्ती कराने में अवरोध डाल रहे हैं। कोर्ट ने पंजाब सरकार से सवाल किया है कि वे क्यों डल्लेवाल  को समय पर अस्पताल नहीं भेज पा रहे हैं और इस मामले में उनका ढिलाईपूर्ण रवैया क्यों है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और पंजाब सरकार की निंदा

सुप्रीम कोर्ट ने 20 दिसंबर को दिए गए अपने आदेश का पालन करने में पंजाब सरकार की लापरवाही को लेकर सख्त आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार ने डल्लेवाल  को अस्पताल में भर्ती कराने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जबकि उनकी हालत गंभीर होती जा रही है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पंजाब के मुख्य सचिव से पूछा कि वे यह बताएं कि वे लोग जो डल्लेवाल  को अस्पताल में भर्ती होने से रोक रहे हैं, क्या वे उनके शुभचिंतक हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी हालत में 1 जनवरी, 2024 तक डल्लेवाल  को अस्पताल में भर्ती कराना सुनिश्चित किया जाए। हालांकि, अब तक डल्लेवाल  को अस्पताल में नहीं भर्ती कराया जा सका है। कोर्ट ने पंजाब सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि वे अपने आदेश का पालन करें, और यदि उन्हें किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो, तो केंद्र सरकार हरसंभव मदद प्रदान करेगी।

Punjab news: किसान नेता जगजीत सिंह डालेवाल की अनशन पर Supreme Court की फटकार, पंजाब में 30 दिसंबर को 'पंजाब बंद' का आह्वान

स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति

डल्लेवाल  की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। उनके स्वास्थ्य की निगरानी के लिए सरकारी और निजी डॉक्टरों की टीमों द्वारा की गई केटोन टेस्ट रिपोर्ट्स ने चिंता बढ़ा दी है। निजी डॉक्टरों की रिपोर्ट में केटोन बॉडी का स्तर 6.8 था, जबकि सरकारी डॉक्टरों की रिपोर्ट में यह 5.8 था, जो सामान्य से बहुत अधिक है। यह स्तर उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी और उनके स्वास्थ्य की गंभीरता को दर्शाता है।

हालांकि, डल्लेवाल  ने स्पष्ट किया है कि उनका अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उन्होंने कहा, “हम हर एक बूँद खून की बहाएंगे, लेकिन अपने अधिकारों के लिए लड़े बिना नहीं रुकेंगे।”

किसान आंदोलन और 30 दिसंबर को ‘पंजाब बंद’

किसान आंदोलन अब भी कई मांगों को लेकर जारी है, जिनमें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग और अन्य कई मुद्दे शामिल हैं। इस बीच, किसानों ने 30 दिसंबर को ‘पंजाब बंद’ का आह्वान किया है। किसान नेता सरवन सिंह पधेर ने गुरुवार को यह जानकारी दी कि इस बंद के समर्थन में कई संगठन आ चुके हैं।

‘पंजाब बंद’ का उद्देश्य पंजाब के विभिन्न हिस्सों में किसान आंदोलन को और तेज करना और सरकार पर दबाव बनाना है। इस बंद के दौरान रेलवे ट्रैक और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा, और व्यापारी संघों से भी बंद को समर्थन मिल सकता है। यह आंदोलन पहले से ही रेलवे रोको आंदोलन के रूप में 18 दिसंबर को देखने को मिला था, और अब किसानों ने एक और बड़ा कदम उठाने की योजना बनाई है।

किसान नेताओं की प्रमुख मांगें

किसान नेताओं की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:

  1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): किसान चाहते हैं कि सरकार उनके द्वारा उत्पादित फसलों के लिए MSP की गारंटी दे, ताकि उन्हें बाजार में उचित मूल्य मिल सके।
  2. कृषि कानूनों की वापसी: किसान तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जिनसे उन्हें डर है कि यह उनके हितों के खिलाफ होंगे और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट्स के हाथों में फंसा देंगे।
  3. किसान विरोधी नीतियों का विरोध: किसान चाहते हैं कि राज्य सरकारें और केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के लिए सुविधाजनक नीतियां बनाएं और किसानों के लिए सस्ती और सुलभ क्रेडिट उपलब्ध कराएं।
  4. मुआवजा और रोजगार: किसानों का कहना है कि उनके नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा मिलना चाहिए और उनके परिवारों के लिए रोजगार के अवसर दिए जाएं।

आंदोलन में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी

किसान आंदोलन में अब महिलाओं और युवाओं की भी भागीदारी बढ़ गई है। महिलाएं किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल  के अनशन के समर्थन में आगे आई हैं और उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त कर रही हैं। युवाओं ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज उठाई है और आंदोलन को समर्थन दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का अगला सुनवाई दिन

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 31 दिसंबर, 2024 को तय की है, जब यह देखा जाएगा कि पंजाब सरकार ने अदालत के आदेशों का पालन किया है या नहीं। इस बीच, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अगर राज्य सरकार को किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो, तो केंद्र सरकार उपलब्ध कराएगी, ताकि अदालत के आदेशों का पालन किया जा सके।

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल  का अनशन और पंजाब में बढ़ती किसान नाराजगी सरकार के लिए एक चुनौती बन चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद पंजाब सरकार द्वारा लापरवाही और ढिलाई का रुख सवालों के घेरे में है। यह आंदोलन अब केवल किसानों का नहीं, बल्कि पूरे पंजाब और भारत का आंदोलन बन चुका है, जो सरकार पर दबाव बना रहा है।

इस आंदोलन का असर न केवल किसानों पर बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है, और इस संघर्ष का समाधान निकाले बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता। अब यह देखना होगा कि 30 दिसंबर को ‘पंजाब बंद’ और 31 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या नया मोड़ आता है, और क्या सरकार अपनी जिम्मेदारियों का पालन करती है।

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