Punjab news: पंजाब के होनहार खिलाड़ियों की सफलता, खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार की घोषणा ने बढ़ाई शान
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Punjab news: केंद्रीय सरकार द्वारा गुरुवार को खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार विजेताओं की घोषणा ने पंजाब के खेल प्रेमियों और विजेताओं के परिवारों में उत्साह का माहौल पैदा कर दिया। भारतीय हॉकी टीम के कप्तान और ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह, जो अमृतसर के तिम्मोवाल गांव के निवासी हैं, को खेल रत्न पुरस्कार मिला है। इसके अलावा, अमृतसर के राजधान गांव के निवासी जर्मनप्रीत सिंह और जालंधर के धनौवाली गांव के निवासी सुखजीत सिंह को अर्जुन पुरस्कार दिया गया है। इन उपलब्धियों ने इन खिलाड़ियों के परिवारों और गांवों में गर्व और खुशी की लहर दौड़ा दी है।
हरमनप्रीत सिंह: तिम्मोवाल गांव की शान
हरमनप्रीत सिंह के खेल रत्न पुरस्कार की घोषणा से उनके माता-पिता सरबजीत सिंह और राजविंदर कौर बेहद खुश हैं। उनके माता-पिता, जो किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं, अपने बेटे की इस उपलब्धि पर बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं। सरबजीत सिंह ने गुरु साहिब का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनके गांव में पहले कोई हॉकी को जानता भी नहीं था। जब हरमनप्रीत ने जंडियाला के एक निजी स्कूल में पढ़ाई के दौरान हॉकी को चुना, तो किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि वह एक दिन देश का प्रतिनिधित्व करेंगे और खेल रत्न जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होंगे।
जर्मनप्रीत सिंह: साइक्लिंग के गांव से हॉकी का सितारा
अमृतसर के राजधान गांव के निवासी जर्मनप्रीत सिंह का अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करना उनके परिवार और गांव वालों के लिए गर्व का क्षण है। राजधान गांव ने देश को कई साइक्लिस्ट दिए हैं, लेकिन जर्मनप्रीत ने हॉकी में अपने खेल कौशल से सभी को प्रभावित किया। उनकी उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे गांव को उत्साहित किया है।
सुखजीत सिंह: परालिसिस को हराकर चमका हॉकी का सितारा
भारतीय हॉकी टीम के फॉरवर्ड सुखजीत सिंह की कहानी प्रेरणादायक है। 2018 में जब वह भारतीय टीम के संभावित खिलाड़ियों में चुने गए थे, तो उनके परिवार में खुशी का माहौल था। लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन टिक नहीं पाई। कैंप के दौरान एक गंभीर रीढ़ की हड्डी की चोट के कारण सुखजीत को चार महीने तक बिस्तर पर रहना पड़ा। उनका दायां पैर लकवाग्रस्त हो गया था।
उनके पिता अजीत सिंह, जो पंजाब पुलिस की हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं और वर्तमान में PAP में सहायक उप-निरीक्षक हैं, ने सुखजीत को दोबारा खड़ा करने का बीड़ा उठाया। जब अजीत सिंह ने अमृतसर एयरपोर्ट पर अपने बेटे को व्हीलचेयर पर देखा, तो वे थोड़े निराश जरूर हुए लेकिन उन्होंने अपने बेटे का हौसला बढ़ाया।
पिता के सपने को किया पूरा
सुखजीत सिंह ने कहा, “जब मैं घायल हुआ था, तो ऐसा लग रहा था कि मैं फिर कभी हॉकी नहीं खेल पाऊंगा। लेकिन मेरे पिता के विश्वास और उनके कठिन परिश्रम ने मुझे मैदान पर वापस ला दिया। आज मैं खुश हूं कि मैंने उनके सपने को पूरा कर दिया।” 2022 में सुखजीत ने भारतीय टीम में जगह बनाई और अपने पिता की ख्वाहिश को साकार किया।
पुरस्कार की विशेषताएं
खेल रत्न पुरस्कार के तहत एक मेडल, प्रशस्ति पत्र और 25 लाख रुपये दिए जाते हैं। वहीं अर्जुन पुरस्कार के तहत 5 लाख रुपये, अर्जुन की मूर्ति और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
खेल प्रेमियों के लिए प्रेरणा
हरमनप्रीत, जर्मनप्रीत और सुखजीत की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कुछ भी संभव है। इन खिलाड़ियों की कहानियां उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पंजाब के इन सितारों ने न केवल राज्य का नाम रोशन किया है, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है।
इन खिलाड़ियों की उपलब्धियां दिखाती हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है। हरमनप्रीत, जर्मनप्रीत और सुखजीत जैसे खिलाड़ियों की कहानियां समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। यह समय है कि हम उनके संघर्ष और सफलता से सीख लें और अपने जीवन में भी इसी दृढ़ता और हौसले के साथ आगे बढ़ें।