Punjab: पंजाब पंचायतों में अब ब्लॉक स्तर पर आरक्षण, राज्यपाल ने संशोधन विधेयक को दी मंजूरी; अक्टूबर में हो सकते हैं चुनाव
Punjab: पंजाब की पंचायतों में आरक्षण प्रणाली में बड़ा बदलाव किया गया है। राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने 4 सितंबर को पंजाब विधानसभा द्वारा पारित पंचायत राज संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस संशोधन के साथ ही अब पंचायतों में आरक्षण नीति में घुमाव (रोटेशन) समाप्त हो गया है। पहले पंचायतों में घुमाव के आधार पर आरक्षण होता था, लेकिन अब यह आरक्षण ब्लॉक स्तर पर लागू किया जाएगा।
पंचायत चुनाव अक्टूबर में हो सकते हैं
विधेयक को मंजूरी मिलने के साथ ही राज्य में 13,241 पंचायतों के चुनावों की तस्वीर भी स्पष्ट होती नजर आ रही है। यह माना जा रहा है कि अक्टूबर के मध्य तक पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं। पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री लालजीत भुल्लर ने इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया था।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में कहा था कि सरकार पंचायतों में पार्टी राजनीति को समाप्त करना चाहती है, इसलिए पंचायत चुनावों में पार्टी के प्रतीक (चुनावी चिह्न) के आधार पर चुनाव नहीं लड़े जाएंगे। इस कदम का उद्देश्य पंचायतों को पार्टी राजनीति से मुक्त करना है ताकि पंचायत प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
ब्लॉकों का नए सिरे से आरक्षण
विधायक लालजीत भुल्लर द्वारा पेश किए गए पंचायत राज संशोधन विधेयक 2024 का मुख्य उद्देश्य पंचायतों में घुमाव आधारित आरक्षण को समाप्त करना था। अब यह निर्णय लिया गया है कि पंचायत चुनाव पार्टी के प्रतीकों के बिना ही होंगे, लेकिन इसके लिए नियमों में बदलाव की जरूरत थी। पंचायत चुनावों में प्रतीक न होने का निर्णय नियमों में दर्ज किया गया है। जबकि घुमाव आधारित आरक्षण को समाप्त करने के लिए एक नया कानून बनाना जरूरी था, इसलिए सरकार ने पंचायत राज संशोधन विधेयक 2024 पारित किया।
महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित
पंजाब में पंचायतों की 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाती हैं। इसका उद्देश्य महिलाओं को पंचायत स्तर पर सशक्त बनाना और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देना है। नए आरक्षण के तहत अब जिला उपायुक्त (DC) स्तर पर ब्लॉकों का नए सिरे से आरक्षण किया जाएगा। इसके बाद ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करेगा। फिर राज्य चुनाव आयोग चुनावों की घोषणा करेगा। इस प्रक्रिया से पंचायत चुनावों की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शिता और निष्पक्षता से पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
पंचायतों में आरक्षण नीति का महत्व
पंजायत चुनावों में आरक्षण का मकसद समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देना होता है। पंजाब की पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षित 50 प्रतिशत सीटें समाज में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्गों के लिए भी आरक्षण नीति लागू की जाती है ताकि उन्हें पंचायतों में बराबरी का अवसर मिल सके।
इससे पहले घुमाव आधारित आरक्षण प्रणाली के तहत पंचायतों में आरक्षण हर चुनाव में बदलता रहता था। इससे कई बार पंचायत प्रतिनिधियों को अपने काम को आगे बढ़ाने का अवसर नहीं मिलता था, क्योंकि हर चुनाव में आरक्षित सीटों का घुमाव बदल जाता था। अब ब्लॉक स्तर पर आरक्षण प्रणाली लागू होने के बाद, पंचायत प्रतिनिधियों को अपने विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए अधिक समय मिलेगा।
पंचायत चुनावों की प्रक्रिया
पंचायत चुनावों की प्रक्रिया अब ब्लॉक स्तर पर नए सिरे से आरक्षण लागू होने के बाद ही शुरू होगी। आरक्षण प्रक्रिया पूरी होते ही जिला स्तर पर पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी की जाएगी। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करेगी। साथ ही, राज्य चुनाव आयोग चुनावों की तारीखों की घोषणा करेगा, जिसके बाद पंचायत चुनावों की तैयारी शुरू हो जाएगी।
पंचायतों में पार्टी राजनीति का अंत
पंजाब सरकार का पंचायत चुनावों में पार्टी प्रतीकों के बिना चुनाव कराने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पंचायत चुनावों में पारदर्शिता बढ़ेगी और पार्टी राजनीति से हटकर वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। यह निर्णय ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
पंजायतों में बिना पार्टी प्रतीकों के चुनाव कराने से स्थानीय लोगों को अपने क्षेत्र के विकास के लिए सही प्रतिनिधि चुनने का अवसर मिलेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पंचायत प्रतिनिधि क्षेत्र के वास्तविक विकास मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, न कि पार्टी राजनीति पर।
सरकार के प्रयास और आगामी चुनौतियां
पंजाब सरकार का यह कदम न केवल पंचायत चुनावों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की गति भी तेज हो सकती है। हालांकि, पंचायत चुनावों में आरक्षण और प्रतीकों के बिना चुनाव कराने के फैसले के बाद यह देखना होगा कि यह प्रणाली किस हद तक सफल होती है।
सरकार को पंचायत चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए पूरी योजना बनानी होगी। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करना भी जरूरी होगा कि नए आरक्षण प्रणाली से किसी वर्ग या समूह के हितों का हनन न हो।