Punjab stubble burning: मोगा जिले की प्रशासनिक मशीनरी ने रविवार को पराली जलाने की घटनाओं को लेकर कई अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इनमें दो उप-मंडल मजिस्ट्रेट (SDM) और दो थाना प्रभारी (SHO) शामिल हैं। जिला उपायुक्त विशेश सारंगाल ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि मोगा में अब तक 87 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई:
जिन अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें SDM (मोगा) सरंगप्रीत सिंह औजला और SDM (बाघापुराना) बींट सिंह सिद्धू शामिल हैं। इसके अलावा, ब्लॉक विकास और पंचायत अधिकारी (निहाल सिंह वाला) रूपिंदर कौर, SHO (बाघापुराना) जसविंदर सिंह, SHO (धर्मकोट) जतिंदर सिंह, क्लस्टर अधिकारियों सुखविंदर सिंह, मनमोहन सिंह, नोडल अधिकारी (गांव भिंडर कलान) प्रभदीप सिंह, राकेश कुमार, संजीव कुमार, परगटजित सिंह, बलविंदर सिंह, देविंदर सिंह और जगसीर सिंह को भी नोटिस जारी किए गए हैं।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की दिशा-निर्देशों का पालन:
उपायुक्त ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए एनजीटी (राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण) और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुरूप गहन प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि टीमों द्वारा गांवों की लगातार निगरानी की जा रही है, और वह स्वयं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय गांधी के साथ खेतों का दौरा कर रहे हैं।
नोडल अधिकारियों की तैनाती:
जिला उपायुक्त ने कहा कि आग लगने की घटनाओं को रोकने और किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए 146 नोडल अधिकारियों को 23 क्लस्टर अधिकारियों के अधीन तैनात किया गया है। इस संबंध में अधिकारियों की तैनाती की गई है ताकि पराली जलाने की घटनाओं को कम किया जा सके और किसानों को वैकल्पिक उपायों के लिए प्रेरित किया जा सके।
कृषि मंत्री की घोषणा:
इस बीच, पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह कूड़ियन ने कहा है कि उनके विभाग ने 21,958 फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की स्वीकृति दी है। इस वर्ष, किसानों ने अब तक 14,587 मशीनें खरीदी हैं, जिससे राज्य में 2018 से फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की संख्या 1.45 लाख तक पहुंच गई है।
पराली जलाने की समस्या:
पराली जलाने की समस्या हर वर्ष बढ़ती जा रही है, खासकर धान की कटाई के बाद। किसान अक्सर समय की कमी और अन्य संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण पराली जलाने का सहारा लेते हैं, जिससे वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।
सरकारी प्रयास:
सरकार की यह कोशिश है कि किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनें उपलब्ध कराई जाएं ताकि वे पराली को जलाने के बजाय अन्य तरीकों से निपट सकें। इसके अलावा, विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसके प्रभाव के बारे में शिक्षित किया जा रहा है।
सामाजिक प्रतिक्रिया:
किसान संगठनों ने सरकारी प्रयासों की सराहना की है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि सरकार को किसानों को मशीनें उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें प्रशिक्षित करने की भी आवश्यकता है। इससे किसानों को फसल अवशेषों के प्रबंधन में सहायता मिलेगी और वे अपनी फसल के अवशेषों का सही तरीके से निपटारा कर सकेंगे।
यह घटनाक्रम केवल प्रशासनिक कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पंजाब की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पंजाब में कृषि और पर्यावरण को लेकर राजनीतिक दलों के बीच काफी बहस होती रही है। इस मुद्दे पर सभी दलों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है ताकि समस्या का स्थायी समाधान किया जा सके।
आगामी चुनौतियाँ:
हालांकि, पराली जलाने की समस्या का समाधान आसान नहीं है। किसानों की आर्थिक स्थिति, खेती के तरीके और अन्य कारक इस समस्या को जटिल बनाते हैं। इसलिए, सरकारी प्रयासों के साथ-साथ किसानों की मानसिकता में भी बदलाव की आवश्यकता है।
मोगा जिले में पराली जलाने के मामलों में अधिकारियों को नोटिस जारी करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह दर्शाता है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या को गंभीरता से ले रहा है। उम्मीद है कि इस तरह के प्रयासों से न केवल पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि पंजाब में वायु प्रदूषण की समस्या को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।
जैसे-जैसे मौसम बदलता है और धान की कटाई का समय नजदीक आता है, सभी का ध्यान इस मुद्दे पर होगा कि क्या प्रशासन और किसान मिलकर इस समस्या का समाधान कर पाएंगे।