Punjab weather news: उत्तर भारत में बारिश और ठंड का कहर, किसानों के लिए फायदे और नुकसान
Punjab weather news: उत्तर भारत में, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में शुक्रवार सुबह से शुरू हुई बारिश ने मौसम में बदलाव ला दिया है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण यह बारिश लगातार रात तक होती रही, कभी हल्की तो कभी तीव्र। इस बारिश ने बर्फीली हवाओं के साथ ठंड को और बढ़ा दिया है, लेकिन यह किसानों के लिए एक तरह से अमृत के समान है, क्योंकि अब उन्हें अपनी फसलों के लिए अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। हालांकि, इस मौसम में कुछ फसलों को नुकसान भी हो सकता है।
कृषि पर प्रभाव: फायदे और नुकसान
पंजाब और हरियाणा के खेतों में हो रही बारिश से किसानों को राहत मिली है, क्योंकि यह बारिश उनकी फसलों के लिए पानी का स्रोत बन रही है। खासतौर पर गेहूं और सरसों की फसल के लिए यह बारिश फायदेमंद साबित हो रही है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यह बारिश फसलों के लिए अत्यंत लाभकारी है क्योंकि इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और फसलों को भरपूर पानी मिलता है।
हालांकि, सरसों की शुरुआती फसल को कुछ नुकसान हो सकता है, विशेष रूप से यदि बारिश अधिक समय तक जारी रहती है और खेतों में पानी जमा हो जाता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि खेतों में पानी न जमा हो, क्योंकि इससे फसलों को नुकसान हो सकता है। यदि पानी अधिक समय तक जमा रहा, तो यह फसलों की जड़ें सड़ने का कारण बन सकता है, जिससे उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
बर्फबारी और ओलावृष्टि का प्रभाव
इस बारिश के साथ ओलावृष्टि भी कुछ क्षेत्रों में देखने को मिली। पटियाला सहित कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है। ओलावृष्टि से खासतौर पर गेंहू और अन्य ताजे फलों की फसलें प्रभावित हो सकती हैं। पंजाब के कुछ क्षेत्रों में जहां ओलावृष्टि हुई, वहां किसानों को अपने फसल का नुकसान होने का डर बना हुआ है।
दूसरी ओर, बर्फबारी और ओलावृष्टि कुछ फसलों के लिए लाभकारी भी हो सकती है। विशेष रूप से गोभी, ब्रोकोली, फूलगोभी जैसी फसलें इस बारिश से खुशहाल हो सकती हैं। इन फसलों के लिए बारिश बहुत फायदेमंद है क्योंकि इससे इनकी वृद्धि में तेजी आती है। इसके अलावा, हरे पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, धनिया और मेथी को भी इस बारिश से लाभ मिल सकता है।
आवश्यक सावधानियां और कृषि विशेषज्ञों की सलाह
कृषि वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार का कहना है कि यदि बारिश के दौरान खेतों में पानी जमा हो जाए, तो यह आलू की फसल के लिए हानिकारक हो सकता है। आलू की फसल में पानी की अधिकता से फसल सड़ सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि किसानों को अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए और खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
इसके अलावा, किसानों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी फसलों में नमी अधिक नहीं हो जाए, क्योंकि अत्यधिक नमी से फसलों में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
मौसम में बदलाव और तापमान में गिरावट
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर भारत में बारिश के कारण तापमान में गिरावट आई है। पंजाब में अधिकतम तापमान में छह डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है। मौसम विभाग ने 30 दिसंबर तक घना कोहरा होने की संभावना जताई है और 31 दिसंबर तक ठंडी हवाएं चलने की चेतावनी दी है। इससे ठंड और बढ़ने की संभावना है, जिससे किसानों को फसलों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी।
बार्नाला में 19 मिमी, बठिंडा में 12 मिमी, अमृतसर में 10 मिमी, पटियाला में 5 मिमी और संगरूर में 2.5 मिमी बारिश दर्ज की गई है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि बारिश के चलते पूरे क्षेत्र में पानी की पर्याप्त आपूर्ति हुई है, जो कृषि के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन यदि ओलावृष्टि या अत्यधिक पानी जमा हो जाए, तो फसलें प्रभावित हो सकती हैं।
दिल्ली में रिकॉर्ड बारिश
दिल्ली में शुक्रवार को हुई बारिश ने 27 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। राजधानी में 39.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो दिसंबर माह में अब तक की सबसे अधिक बारिश है। इसके साथ ही, तापमान में भी 9.5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है। मौसम विभाग ने आगामी तीन दिनों के दौरान बारिश की संभावना जताई है और इसके साथ ही एक येलो अलर्ट जारी किया है।
हिमाचल और उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी
वहीं, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी बारिश और बर्फबारी की संभावना है। इन क्षेत्रों में ठंड का असर और बढ़ सकता है, जो उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में भी महसूस किया जा सकता है।
उत्तर भारत में बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के लिए एक मिश्रित स्थिति उत्पन्न कर दी है। जबकि यह बारिश कई फसलों के लिए फायदेमंद है, वहीं ओलावृष्टि और पानी जमा होने से कुछ फसलों को नुकसान भी हो सकता है। किसानों को मौसम के बदलाव के साथ-साथ अपनी फसलों की देखभाल करने की आवश्यकता है। मौसम विभाग द्वारा जारी की गई चेतावनियों का पालन करना जरूरी है ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
इस समय यह महत्वपूर्ण है कि किसान कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें और मौसम के अनुकूल अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए उचित कदम उठाएं।