सत्य खबर, पलवल.Rare coincidence after 9 years! This time braj’s Chaurasi Kosi Parikrama is special
उत्तर प्रदेश की तीर्थनगरी मथुरा में हर साल की तरह इस साल भी ब्रज की चौरासी कोस की परिक्रमा शुरू हो गई है, लेकिन इस साल यह परिक्रमा कुछ खास है। इस बार सावन के अधिक मास में ब्रज चौरासी कोस की यह परिक्रमा हो रही है। यानी इस साल में 13 महीने होते हैं और यह 13 महीने वाला साल 19 साल बाद सावन के महीने में आया है। हर 3 साल बाद आने वाला पुरूषोत्तम मास 17 जुलाई से शुरू होकर 18 अगस्त तक रहेगा।
ब्रज की 84 कोस की परिक्रमा करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। ब्रज को भगवान कृष्ण की लीलास्थली और नित्य निवास माना जाता है। ब्रज क्षेत्र चौरासी कोस की परिधि में स्थित है। ब्रज की चौरासी कोस की परिक्रमा यात्रा सबसे महत्वपूर्ण यात्रा मानी जाती है। इस परिक्रमा में भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़े स्थानों, झीलों, जंगलों, मंदिरों, तालाबों आदि के दर्शन किये जाते हैं। परिक्रमा वहीं समाप्त होती है जहां से शुरू होती है।
यात्रा हरियाणा के 13 गांवों से होकर गुजरी
ये पूरी यात्रा करीब 252 किलोमीटर लंबी है. इसका 37 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा के दर्जनों गांवों से होकर गुजरता है। परिक्रमा मेवात के गांव बिछोर और नीमका से शुरू होकर हरियाणा में प्रवेश करती है, जो ब्रज के गांव सोनहद और बंचारी के दाऊजी मंदिर से होते हुए गांव डकोरा खांबी मरौली, लिखी महोली से होते हुए हसनपुर के यमुना घाट पर पहुंचती है, जहां से नाव के जरिए यमुना नदी पार कर जाती है। और स्ट्रीमर होकर उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं।
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