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RG Kar case: डॉक्टर आज करेंगे देशव्यापी भूख हड़ताल, आरजी कर अस्पताल के 50 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा

RG Kar case: पश्चिम बंगाल में एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के मामले में न्याय की मांग को लेकर आज डॉक्टर देशव्यापी भूख हड़ताल पर जाएंगे। डॉक्टरों द्वारा किए जा रहे इस विरोध प्रदर्शन को ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) का समर्थन प्राप्त है। FAIMA ने देशभर के स्वास्थ्य कर्मियों से भूख हड़ताल में शामिल होने की अपील की है।

डॉक्टरों की इस मांग को लेकर सोमवार को एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें बुधवार (9 अक्टूबर) से भूख हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया गया। FAIMA के अध्यक्ष सुव्रंकर दत्ता ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट के साथ लगातार संपर्क में हैं और इस मुद्दे पर एकजुट हैं। दत्ता ने कहा कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद हमने देशव्यापी भूख हड़ताल करने का निर्णय लिया है ताकि पश्चिम बंगाल के हमारे सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाई जा सके।

RG Kar case: डॉक्टर आज करेंगे देशव्यापी भूख हड़ताल, आरजी कर अस्पताल के 50 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा

दत्ता ने यह भी जोर देकर कहा कि इस भूख हड़ताल का उद्देश्य जूनियर डॉक्टरों की आवाज़ उठाना है। जो बेहतर कार्य स्थितियों, सुरक्षा प्रोटोकॉल और अन्य आवश्यक सुधारों की मांग करते हुए हफ्तों से हड़ताल पर हैं। FAIMA ने अपने बयान में कहा कि डॉक्टरों के संघ ने देशभर के स्वास्थ्य कर्मियों से भूख हड़ताल में शामिल होने की अपील की है ताकि उनके न्यायपूर्ण उपचार और बेहतर स्थितियों के लिए चल रही लड़ाई को मजबूती मिल सके।

आरजी कर अस्पताल के 50 वरिष्ठ डॉक्टरों का इस्तीफा

इसी बीच, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लगभग 50 वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इन डॉक्टरों ने यह कदम जूनियर डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए उठाया है। जूनियर डॉक्टर महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के मामले में न्याय की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर भी आरजी कर अस्पताल के अपने सहयोगियों के नक्शेकदम पर चलने पर विचार कर रहे हैं। महिला डॉक्टर के मामले में न्याय की मांग के साथ-साथ जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य प्रणाली में भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज उठाई है।

आरजी कर पीड़िता के माता-पिता ने धरना दिया, बेटी को याद कर छलके आंसू

इस बीच, आरजी कर मेडिकल कॉलेज की पीड़िता के माता-पिता ने भी मंगलवार शाम को धरने पर बैठने का निर्णय लिया। पहले कहा गया था कि वे बुधवार (षष्ठी से दशमी) तक धरना देंगे, लेकिन मंगलवार की शाम (पंचमी) को ही परिवार ने घर के सामने मंच बनाकर धरने पर बैठने का फैसला कर लिया। पीड़िता के माता-पिता ने कहा, हम घर में नहीं रह पा रहे हैं। हम शोक पूजा यहां करेंगे। गौरतलब है कि वे पहले से ही अपनी बेटी के लिए न्याय पाने के विरोध में शामिल हो चुके हैं। जब जूनियर डॉक्टर कोलकाता के धर्मतला में अनशन पर बैठे हैं, तो इस वृद्ध दंपत्ति ने अपने घर के सामने धरने पर बैठने का निर्णय लिया है।

उन्होंने बताया कि जो भी धरना स्थल पर आना चाहे वह आ सकता है, लेकिन मंच पर केवल रिश्तेदार ही होंगे। शाम को जब बेटी की याद में मोमबत्तियां जलाई गईं, तो माता-पिता की आंखों में बेटी की यादों से आंसू छलक आए। उन्होंने बताया कि दुर्गा पूजा के दिन उनकी बेटी के प्रयासों से ही पूजा होती थी। अब शायद ही घर में फिर से पूजा होगी। उन्होंने कहा कि त्योहार के इन दिनों में घर पर रहना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। बेटी की बातें और पूजा के दिन उसकी व्यस्तता की यादें बार-बार ताज़ा हो रही हैं। इसलिए घर के सामने मंच बनाकर उन्होंने अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग को लेकर धरने पर बैठने का निर्णय लिया। यह धरना दशमी तक जारी रहेगा।

बंगाल सरकार की डॉक्टरों से अपील: “काम पर लौटें”

वहीं, मुख्य सचिव मनोज पंत ने आंदोलनरत डॉक्टरों से “काम पर लौटने” का अनुरोध किया और आशा जताई कि पश्चिम बंगाल के सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में चल रहे 90 प्रतिशत परियोजनाएं अगले महीने तक पूरी हो जाएंगी।

मुख्य सचिव मनोज पंत ने दावा किया कि सीसीटीवी लगाने के काम का 45 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है और 62 प्रतिशत नवीनीकरण और निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। मैं सभी से काम पर लौटने और लोगों को सेवाएं प्रदान करने का अनुरोध कर रहा हूं। हम सभी वातावरण को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टर इस बात की सराहना करेंगे कि सरकार द्वारा किए गए वादों पर बहुत अच्छा प्रगति हुई है।

बता दें कि सात जूनियर डॉक्टर शनिवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं और वे सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर किए गए वादों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। अन्य डॉक्टर 9 अगस्त से चल रहे ‘वर्क शटडाउन’ के दो चरणों के बाद करीब 45 दिनों से सामान्य ड्यूटी पर लौट आए हैं।

डॉक्टरों की भूख हड़ताल का देशव्यापी असर

यह हड़ताल केवल पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने देशभर के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का ध्यान आकर्षित किया है। डॉक्टरों ने अपने साथियों के समर्थन में भूख हड़ताल की घोषणा की है, जिससे इस मामले को और गंभीरता से लिया जा सके। डॉक्टरों का कहना है कि यह हड़ताल सिर्फ उनके न्याय की मांग को लेकर नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता को लेकर भी है।

देशभर के स्वास्थ्य कर्मियों ने इस मामले में सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। इस भूख हड़ताल के जरिए डॉक्टर यह संदेश देना चाहते हैं कि उनके जीवन और कामकाजी परिस्थितियों के सुधार के लिए गंभीरता से कदम उठाए जाएं।

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