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RG Kar Hospital: एक और डॉक्टर की हालत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

RG Kar Hospital: हाल ही में कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के खिलाफ चल रहे आमरण अनशन में शामिल एक अन्य जूनियर डॉक्टर की स्थिति गंभीर हो गई। इसे देखते हुए उसे शनिवार शाम को अस्पताल में भर्ती कराया गया। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।

पूरा मामला क्या है?

अधिकारी के अनुसार, उत्तरी बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर डॉक्टर अनस्तुप मुखर्जी उन डॉक्टरों में शामिल हैं, जो आमरण अनशन पर बैठे हैं। यह तीसरा डॉक्टर है जिसे उसकी स्थिति बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया। एक डॉक्टर ने बताया कि अनशन स्थल पर मौजूद उनके सहयोगियों ने उनकी स्थिति को “गंभीर” बताया, जिसके बाद एक डॉक्टरों की टीम ने उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का निर्णय लिया।

RG Kar Hospital: एक और डॉक्टर की हालत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

मुखर्जी को उनके अध्ययन के कॉलेज, कोलकाता मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए ले जाया गया। वहां उपस्थित जूनियर डॉक्टरों ने बताया कि वह अपने मल में खून निकाल रहे थे और उन्हें तेज पेट दर्द की शिकायत थी। उन्होंने सरकार से अपनी मांगों पर ध्यान देने की अपील की और कहा कि राज्य सरकार “जिम्मेदार” है आमरण अनशन कर रहे डॉक्टरों की बिगड़ती हालत के लिए।

जूनियर डॉक्टरों का अनशन

5 अक्टूबर से, जूनियर डॉक्टरों ने कोलकाता के एस्प्लेनेड क्षेत्र में आमरण अनशन शुरू किया। इस अनशन का मुख्य उद्देश्य आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की मृत महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करना है, साथ ही स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम को तत्काल हटाने की मांग भी की जा रही है।

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इस बीच, शनिवार को, उत्तरी बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एक अन्य जूनियर डॉक्टर आलोक वर्मा को भी उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके अलावा, अनिकेत महतो को करीब तीन दिन पहले आरजी कर अस्पताल के ICU में भर्ती कराया गया था।

डॉक्टरों की मांगें

प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से सरकार से मांग की है कि वे महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में उचित न्याय प्रदान करें। इसके साथ ही, उन्हें स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है। डॉक्टरों का कहना है कि राज्य सरकार को अनशन में शामिल डॉक्टरों की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

सामाजिक एवं मानसिक प्रभाव

इस घटना का सामाजिक और मानसिक प्रभाव भी गहरा है। कई लोग इस घटना को केवल एक डॉक्टर की हत्या के रूप में नहीं देख रहे हैं, बल्कि इसे स्वास्थ्य सेवाओं में गिरते स्तर और डॉक्टरों के प्रति बढ़ते असम्मान के रूप में भी देख रहे हैं। डॉक्टरों का यह अनशन सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो स्वास्थ्य सेवाएं और भी अधिक प्रभावित होंगी।

इस बीच, कई डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा और कार्यस्थल पर उत्पीड़न की चिंता भी व्यक्त की है। कई डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं और उनके काम करने का माहौल भी सुरक्षित नहीं है। यह स्थिति केवल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए चिंताजनक है।

सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने अभी तक डॉक्टरों की मांगों पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालाँकि, स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले पर विचार करने की बात कही है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि वे डॉक्टरों की समस्याओं को गंभीरता से ले रहे हैं और जल्द ही इस मामले पर कुछ ठोस कदम उठाएंगे।

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डॉक्टरों के प्रदर्शन को देखते हुए, कुछ राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता नहीं दे रही है और डॉक्टरों की मांगों को अनदेखा कर रही है।

भविष्य की संभावनाएँ

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया करती है और डॉक्टरों की मांगों का समाधान कैसे किया जाता है। अगर सरकार सही समय पर ठोस कदम नहीं उठाती है, तो इससे स्वास्थ्य सेवाओं में और अधिक गिरावट आ सकती है और डॉक्टरों का यह आंदोलन और तेज हो सकता है।

संक्षेप में, यह मामला केवल एक डॉक्टर की हत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं में सुरक्षा और सम्मान की कमी को भी दर्शाता है। डॉक्टरों का यह आंदोलन समाज के सभी वर्गों के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि हमें अपने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएं न हों।

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