Jammu & Kashmir Assembly में धारा 370 की बहाली पर आज एक बार फिर से भारी हंगामा हुआ। सत्र के पांचवे दिन पीडीपी के कुपवाड़ा से विधायक ने धारा 370 की बहाली से जुड़े एक बैनर को दिखाते हुए जोरदार नारेबाजी की। इसके बाद विधानसभा में भाजपा और अन्य दलों के विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। आज फिर से विधानसभा में विधायकों के बीच झड़प और मार्शल द्वारा कुछ विधायकों को बाहर निकालने की स्थिति उत्पन्न हो गई।
पीडीपी और पीपल्स कांफ्रेंस सहित कुछ अन्य पार्टियों के विधायकों ने विधानसभा में नई प्रस्तावना पेश करते हुए केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 और 35A को हटाए जाने की निंदा की और इसकी तुरंत बहाली की मांग की। कुपवाड़ा से विधायक फैयाज मीर और हंदवाड़ा से पीपल्स कांफ्रेंस के विधायक सज्जाद लोन ने इस प्रस्ताव को लेकर कई विधायकों के साथ विधानसभा में जोरदार आवाज उठाई।
धारा 370 की बहाली की मांग, प्रस्ताव पेश
गुरुवार को विधानसभा में पीडीपी के पुलवामा से विधायक वहीद पारा और लंगेट से अवामी इत्तेहाद पार्टी के विधायक शेख खुर्शीद के साथ निर्दलीय विधायक शबीर कुल्ले ने धारा 370 और 35A की बहाली की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 और 35A को हटाना असंवैधानिक और एकतरफा निर्णय था, जिसने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति और राज्य का दर्जा खत्म कर दिया।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि ये कदम जम्मू-कश्मीर और इसके लोगों को संविधान द्वारा दिए गए मूलभूत सुरक्षा और विशेषाधिकार को कमजोर करते हैं। इससे न केवल क्षेत्रीय अस्मिता पर आघात हुआ, बल्कि जनता में भी असंतोष की भावना उत्पन्न हुई।
भाजपा ने जताया कड़ा विरोध, हंगामे के बीच विधायकों को किया गया बाहर
भाजपा विधायकों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया और सदन में जमकर नारेबाजी की। स्पीकर अब्दुल रहीम राठर के आदेश पर भाजपा के उन विधायकों को मार्शल्स ने सदन के वेल से बाहर किया, जो बीच में आकर विरोध कर रहे थे। विधानसभा में लगातार दूसरे दिन भी धारा 370 पर गरमागर्म बहस देखने को मिली। इससे पहले बुधवार को भी विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया गया था जिसमें जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव को घाटी की कई राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन दिया, जबकि मुख्य विपक्षी भाजपा ने इसका कड़ा विरोध किया।
धारा 370 और 35A पर राजनीति गरमाई
2019 में धारा 370 और 35A को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में लगातार राजनीतिक तनाव की स्थिति बनी हुई है। कई स्थानीय पार्टियां इस निर्णय को असंवैधानिक मानते हुए इसे वापस लेने की मांग कर रही हैं। हालांकि, केंद्र सरकार का रुख इस मुद्दे पर स्पष्ट है और उसने इसे राष्ट्रीय अखंडता और विकास की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताया है।
विधानसभा में पेश इस नई प्रस्तावना के बाद से इस मुद्दे पर राजनीति और अधिक गरमा गई है। भाजपा के कई विधायकों ने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए इसे जम्मू-कश्मीर की जनता के खिलाफ बताया। वहीं, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और पीपल्स कांफ्रेंस जैसे दल इसे राज्य के मूल अधिकारों की बहाली के लिए जरूरी कदम मान रहे हैं।
पीडीपी का पक्ष, विशेष दर्जा बहाली पर जोर
पीडीपी के पुलवामा से विधायक वहीद पारा का कहना है कि धारा 370 और 35A राज्य के लोगों की अस्मिता और उनके अधिकारों की रक्षा करते थे। उनका मानना है कि इन धाराओं को हटाकर केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर की जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में इस प्रस्ताव को पेश करना लोगों की भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका है और उनकी पार्टी इसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
भाजपा का पलटवार, संविधानिक मूल्यों की दुहाई
भाजपा विधायकों का कहना है कि धारा 370 और 35A का हटना भारत की अखंडता और एकता के लिए आवश्यक था। उनका मानना है कि इससे जम्मू-कश्मीर में विकास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे देश की अखंडता और संविधान के खिलाफ बताया।
विधानसभा में मार्शल्स की भूमिका, विधायकों को किया गया बाहर
हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राठर ने मार्शल्स को आदेश दिया कि वे सदन में शांति बनाए रखें और उन विधायकों को बाहर निकालें जो सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न कर रहे थे। इसके बाद भाजपा के कुछ विधायकों को वेल से बाहर निकाला गया। इस दौरान, सदन में अवामी इत्तेहाद पार्टी के विधायक शेख खुर्शीद को भी सदन से बाहर ले जाया गया।
जनता की प्रतिक्रिया और आगामी चुनावों पर असर
धारा 370 और 35A पर लगातार हो रहे हंगामों और गरमागरम बहस के चलते जम्मू-कश्मीर की जनता में भी गहरी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। इस मुद्दे पर जनता दो हिस्सों में बंटी नजर आ रही है। कुछ लोग इसे राज्य की पहचान और अस्मिता से जुड़ा मुद्दा मानते हैं, जबकि अन्य इसे विकास की दिशा में उठाया गया जरूरी कदम बताते हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे का आगामी विधानसभा चुनावों पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इस प्रकार के हंगामों से सत्ताधारी दलों और विपक्षी दलों के बीच तीखी प्रतिद्वंदिता और बढ़ने की संभावना है, जिससे चुनावी समीकरण भी बदल सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में धारा 370 पर गरमाई बहस से यह साफ हो गया है कि इस मुद्दे पर राज्य की राजनीति एक बार फिर से तीव्र हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच तीखे मतभेद इस बात का संकेत देते हैं कि धारा 370 और 35A के मुद्दे पर विवाद आगे भी जारी रहेगा।