ताजा समाचार

S. Jaishankar का चीन को कड़ा जवाब, सीमा पर समझौतों का उल्लंघन किया

S. Jaishankar: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि चीन ने भारत के साथ सीमा पर हुए समझौतों का उल्लंघन किया है। उन्होंने यह टिप्पणी अमेरिकी थिंक टैंक ‘कार्नेगी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ में एक प्रश्न के उत्तर में दी। जयशंकर का यह बयान भारत-चीन संबंधों में बढ़ती तनाव को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि यह तनाव अन्य क्षेत्रों में भी संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

चीन के साथ तनाव का मुख्य कारण

जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा, “हमारे चीन के साथ संबंधों के मामले में, यह एक लंबी कहानी है। संक्षेप में, हमारे पास सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए समझौते थे। चीन ने उनका उल्लंघन किया है।” उन्होंने कहा कि इस उल्लंघन के कारण दोनों देशों के बीच तनाव उत्पन्न हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप सीमा पर सैनिकों की तैनाती की गई है। उनका यह भी कहना था कि जब तक सीमा पर तैनाती का मुद्दा सुलझ नहीं जाता, तब तक तनाव बना रहेगा।

S. Jaishankar का चीन को कड़ा जवाब, सीमा पर समझौतों का उल्लंघन किया

भारत-चीन व्यापार और वैश्विक उत्पादन

जयशंकर ने व्यापार के संदर्भ में भी बात की और बताया कि “चीन का वैश्विक उत्पादन में हिस्सा लगभग 31-32 प्रतिशत है। यह कई दशकों तक पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार ने चीन के साथ सहयोग करने के लिए चुना, जिसके कारण यह संभव हुआ।” उन्होंने कहा कि आज किसी भी देश के लिए, जो कुछ भी उपभोग या उत्पादन करता है, चीन से सामग्री प्राप्त करना अनिवार्य हो गया है। यह स्थिति भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों को भी प्रभावित कर सकती है।

Glenn Maxwell का चौंकाने वाला फैसला! वनडे क्रिकेट को कहा अलविदा, नई पीढ़ी के लिए खोला रास्ता
Glenn Maxwell का चौंकाने वाला फैसला! वनडे क्रिकेट को कहा अलविदा, नई पीढ़ी के लिए खोला रास्ता

रूस-यूक्रेन वार्ता में भारत की भूमिका

जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच संवाद स्थापित करने का प्रयास कर रहा है ताकि दोनों देशों के बीच मतभेद सुलझ सकें। उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि विभिन्न देशों के बीच मतभेद या विवादों को युद्ध के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता।” उनके अनुसार, निर्णायक परिणाम युद्ध के मैदान पर हासिल नहीं किए जा सकते हैं। अगर निर्णायक परिणाम नहीं मिल रहे हैं, तो किसी न किसी समय संवाद की आवश्यकता होगी।

पश्चिम एशिया की स्थिति पर चिंता

पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्षों पर जयशंकर ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हम संघर्ष के व्यापक रूप से फैलने की संभावना के बारे में बहुत चिंतित हैं, केवल लेबनान में हुई घटनाओं के कारण ही नहीं, बल्कि हूथियों और लाल सागर के साथ-साथ ईरान और इजरायल के बीच हुई घटनाओं के कारण भी।”

एशियाई नाटो के दृष्टिकोण पर असहमति

जयशंकर ने जापान के नए प्रधानमंत्री शिगेरू ईशिबा के एशियाई नाटो के गठन के विचार से असहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा, “भारत ने कभी भी किसी देश के साथ संधि के माध्यम से गठबंधन नहीं किया है। भारत का इतिहास और दृष्टिकोण अलग है।” यह बयान इस बात को दर्शाता है कि भारत अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता को बनाए रखते हुए अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक अलग रुख अपनाना चाहता है।

भारत-चीन संबंधों का भविष्य

भारत-चीन संबंधों का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों देश कैसे आपसी तनाव को कम करने के लिए कदम उठाते हैं। जयशंकर के बयान से स्पष्ट है कि भारत सीमा पर अपने हितों की रक्षा करेगा और साथ ही चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश करेगा।

Punjab News: प्रीत नगर में ड्रग्स तस्करों ने CIA स्टाफ पर किया हमला! पुलिस ने सात हमलावरों के खिलाफ दर्ज किया मामला
Punjab News: प्रीत नगर में ड्रग्स तस्करों ने CIA स्टाफ पर किया हमला! पुलिस ने सात हमलावरों के खिलाफ दर्ज किया मामला

भारत की कूटनीतिक रणनीति

जयशंकर के बयान ने यह भी दर्शाया है कि भारत एक मजबूत कूटनीतिक रणनीति अपनाते हुए वैश्विक स्तर पर अपने हितों की रक्षा कर रहा है। चाहे वह रूस-यूक्रेन वार्ता हो या पश्चिम एशिया की स्थिति, भारत अपनी आवाज उठाने में पीछे नहीं हट रहा है।

संकट के समय में नेतृत्व

इन सभी घटनाओं के बीच, यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत का कूटनीतिक संबंध मजबूत बना रहे, उसे विभिन्न वैश्विक शक्तियों के साथ सही संतुलन बनाना होगा।

Back to top button