Safaru Sanath Kumar: हार्मोन की कमी के बावजूद टेक्नोलॉजी में माहिर, मंत्री ने की मुलाकात
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Safaru Sanath Kumar: भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, यहां के बच्चे न केवल खेल, विज्ञान और कला के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि टेक्नोलॉजी का भी बेहतरीन उपयोग कर रहे हैं। हाल ही में एक ऐसे छात्र ने अपनी असाधारण प्रतिभा से सभी को चौंका दिया, जो एक शारीरिक समस्या से जूझते हुए भी अपने तकनीकी कौशल से सभी का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहा। यह छात्र है सफारू सनथ कुमार, जिनकी कहानी आज पूरे भारत में वायरल हो रही है।
सफारू सनथ कुमार: एक अद्वितीय छात्र
सफारू सनथ कुमार आंध्र प्रदेश के ज़िला परिषद स्कूल, पेनामलुरु में कक्षा 10 के छात्र हैं। इस बच्चे को एक दुर्लभ स्वास्थ्य समस्या है – वह वृद्धि हार्मोन की कमी (Growth Hormone Deficiency) से ग्रस्त है। इसके बावजूद, इस बच्चे ने तकनीकी क्षेत्र में अद्वितीय प्रदर्शन किया है। सफारू ने अपनी पढ़ाई के लिए Chromebook का इस्तेमाल करते हुए एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि कैसे सीमित साधनों के बावजूद तकनीकी ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है।
मंत्री नारा लोकेश से मुलाकात
इस अद्वितीय उपयोग को देख कर आंध्र प्रदेश के मंत्री नारा लोकेश गरु ने सफारू सनथ कुमार को सम्मानित करने के लिए बुलाया। मंत्री ने बच्चे की मेहनत और उसके उत्साह को सराहा और इस बात पर गर्व महसूस किया कि कैसे इस बच्चे ने सीमित साधनों के बावजूद अपनी शिक्षा को सुचारू रूप से जारी रखा। मंत्री ने सफारू के काम को एक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया, जो अन्य बच्चों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा।
सफारू ने बताया कि वह Chromebook का उपयोग अपनी नियमित पढ़ाई और ऑनलाइन कक्षाओं के लिए करते हैं। यह दिखाता है कि सही तकनीकी उपकरणों के साथ कोई भी बाधा पार की जा सकती है और हर बच्चा अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकता है, भले ही वह किसी शारीरिक समस्या से जूझ रहा हो।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
सफारू का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और लोगों ने उनकी मेहनत और तकनीकी कौशल की सराहना की है। सफारू ने अपने जीवन के कठिन संघर्षों को एक अवसर में बदला और यह साबित किया कि किसी भी समस्या का समाधान मेहनत और समर्पण में छिपा होता है। इस बच्चे की कहानी कई अन्य बच्चों के लिए प्रेरणा बन सकती है, जो किसी न किसी रूप में जीवन की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
प्रसन्न कुमार डीपी: एक और अद्वितीय उपलब्धि
इसी तरह की एक और अद्वितीय कहानी कर्नाटका के मंगलुरु से आई है। वहां के स्वरोप अध्ययन केंद्र के छात्र प्रसन्न कुमार डीपी ने एक अविश्वसनीय रिकॉर्ड बनाया। प्रसन्न कुमार ने 700 श्लोकों वाली भगवद गीता को चित्रात्मक भाषा में लिखा, जिसे स्वरोप अध्ययन केंद्र ने विकसित किया था। इस 12 वर्षीय छात्र ने 84,426 चित्रों का निर्माण किया, जो प्रत्येक शब्द को व्यक्त करते थे। यह अद्वितीय उपलब्धि उन्हें भारत बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (IBAR) में दर्ज करवाने में सफल रही।
चित्रों के माध्यम से भगवद गीता
प्रसन्न कुमार ने भगवद गीता के 700 श्लोकों को चित्रों के रूप में 1,400 लाइनों में प्रदर्शित किया। यह कार्य उन्होंने दो महीने तक दिन-रात मेहनत करके पूरा किया। इस विशेष प्रकार के चित्रकला में हर शब्द का प्रतिनिधित्व एक चित्र द्वारा किया गया था, जो शाब्दिक रूप से गीता के श्लोकों के भावों को व्यक्त करता था। इस कठिन कार्य में उनका समर्पण और कला का प्रेम स्पष्ट दिखाई देता है।
प्रसन्न कुमार का यह कार्य न केवल उनके लिए बल्कि पूरे कर्नाटका राज्य और देश के लिए गर्व की बात है। इस काम ने उन्हें भारत बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलवाया और उन्हें समाज में एक सम्मानजनक पहचान मिली।
एक नई दिशा की ओर: बच्चों की अद्वितीय क्षमता
सफारू सनथ कुमार और प्रसन्न कुमार की उपलब्धियां यह दर्शाती हैं कि भारत में बच्चों के लिए कोई भी बाधा असंभव नहीं है। चाहे वह शारीरिक कमजोरी हो या संसाधनों की कमी, अगर कुछ होता है तो वह है बच्चों का जोश और उनके भीतर छिपी हुई अद्वितीय क्षमता। सफारू और प्रसन्न कुमार जैसे बच्चे यह साबित करते हैं कि किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है, अगर हमारी सोच और मेहनत सही दिशा में हो।
भारत में हर दिन नई प्रतिभाएं सामने आ रही हैं जो दुनिया को अपने कार्यों से चौंका रही हैं। इन बच्चों का उत्साह और संकल्प हमें यह सिखाता है कि किसी भी कठिनाई के बावजूद हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। सफारू सनथ कुमार और प्रसन्न कुमार डीपी जैसे बच्चे हमें यह समझाते हैं कि तकनीकी ज्ञान और कला के माध्यम से हम अपनी सीमाओं को पार कर सकते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।