हरियाणा

Haryana सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने सामाजिक-आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक देने का नियम रद्द किया

Haryana: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के उस फैसले को बड़ा झटका दिया है जिसमें भर्ती में सामाजिक और आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक देने की व्यवस्था की गई थी। हाईकोर्ट ने इस नियम को पूरी तरह से खारिज करते हुए आदेश दिया है कि सभी भर्तियों का परिणाम अब नए सिरे से बिना इन अंकों के बनाया जाए। कोर्ट ने साफ कहा है कि सरकार को तीन महीने के अंदर परिणाम तैयार करने होंगे और जिन अभ्यर्थियों को इन अंकों का लाभ मिला है उन्हें वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे रखा जाएगा।

2019 में जारी हुआ था यह विवादित नोटिफिकेशन

यह पूरा मामला उस नोटिफिकेशन से जुड़ा है जिसे हरियाणा सरकार ने 11 जून 2019 को जारी किया था। उस समय मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री थे। इस नोटिफिकेशन में विधवाओं, अनाथों और उन अभ्यर्थियों को अतिरिक्त 10 अंक देने की बात कही गई थी जिनके परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है। कई याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में यह कहते हुए नोटिफिकेशन को चुनौती दी कि यह व्यवस्था परोक्ष रूप से आरक्षण देने जैसी है और इससे मेधावी अभ्यर्थियों को नुकसान हो रहा है।

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100% अंक पाने वाली अभ्यर्थी को नहीं मिला चयन

कर्नाल की रहने वाली मोनिका रमन ने याचिका में बताया कि हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) में JSE की 146 पोस्ट पर भर्ती निकाली थी। चयन के लिए 90 अंकों की परीक्षा और 10 अंक सामाजिक-आर्थिक श्रेणी को दिए जाने थे। मोनिका ने परीक्षा में 90 में से पूरे 90 अंक हासिल किए थे लेकिन जब 22 अप्रैल 2021 को अंतिम सूची आई तो उनका नाम उसमें नहीं था। वजह यह थी कि सामान्य श्रेणी की कटऑफ 93 अंक गई थी जबकि प्रतीक्षा सूची के लिए 92 अंक थे। यानी केवल अतिरिक्त अंकों के कारण वह सूची में जगह नहीं बना पाईं। ऐसे ही कई अन्य याचिकाएं हाईकोर्ट में विचाराधीन थीं।

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सभी याचिकाओं का निपटारा कर कोर्ट ने दिया स्पष्ट आदेश

मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं का निपटारा कर दिया है और 2019 के नोटिफिकेशन को निरस्त कर दिया है। अधिवक्ता सार्थक गुप्ता ने बताया कि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन भी भर्तियों में इन अतिरिक्त अंकों के आधार पर चयन किया गया है उनका परिणाम अब नए सिरे से तैयार किया जाएगा और मेरिट केवल परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही तय की जाएगी। इससे उन अभ्यर्थियों को न्याय मिलने की उम्मीद है जिन्हें पहले नाइंसाफी का सामना करना पड़ा था।

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