Sherpa Tenzing Norgay की जिंदगी एक फिल्मी कहानी! एवरेस्ट की चोटी पर लहराया तेनजिंग का नाम

Sherpa Tenzing Norgay: एक साधारण शेरपा थे जिन्होंने न्यूज़ीलैंड के पर्वतारोही एडमंड हिलारी के साथ मिलकर 29 मई 1953 को माउंट एवरेस्ट की चोटी पर इतिहास रच दिया। यह सिर्फ चढ़ाई नहीं थी बल्कि मानव साहस और जुनून की मिसाल थी। टेनजिंग की जिंदगी संघर्षों और सपनों से भरी हुई एक कहानी है जो आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
बचपन और शुरुआती जीवन
टेनजिंग का जन्म मई 1914 में हुआ था लेकिन उनकी जन्मतिथि को लेकर कुछ भ्रम है। उनका असली नाम नामग्याल वांगदी था जिसे रोंगबुक मठ के एक लामा ने टेनजिंग नॉर्गे रखा जिसका मतलब है धनवान और धर्म के अनुयायी। वे तिब्बती परिवार में पैदा हुए और बचपन में कई बार घर छोड़ कर अलग-अलग जगहों पर गए। बाद में उन्होंने दार्जिलिंग में शेरपा समुदाय में बसना चुना और भारतीय नागरिकता प्राप्त की।
पर्वतारोहण की शुरुआत और चुनौतीपूर्ण सफर
1935 में टेनजिंग ने पहली बार ब्रिटिश माउंट एवरेस्ट रिकॉर्डिंग अभियान में हिस्सा लिया। इसके बाद 1940 के दशक में उन्होंने कई अन्य पहाड़ी अभियानों में काम किया। 1952 में स्विस अभियान में उन्होंने एवरेस्ट पर सबसे ऊँचा चढ़ाई का रिकॉर्ड बनाया। 1953 के ब्रिटिश अभियान में हिलारी के साथ उन्होंने अंतिम चढ़ाई की और 29 मई को वे एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे।
एवरेस्ट की चोटी पर विजय और सम्मान
टेनजिंग और हिलारी की यह विजय विश्व भर में मशहूर हो गई। दोनों की दोस्ती और संघर्ष ने इस उपलब्धि को और खास बना दिया। भारत और नेपाल में टेनजिंग को बड़े सम्मान से नवाजा गया। उन्हें पद्म भूषण, जॉर्ज मेडल और नेपाल का स्टार ऑफ नेपाल पुरस्कार मिला। टेनजिंग ने हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट की स्थापना की और युवाओं को प्रशिक्षण दिया।
परिवार और अमर विरासत
टेनजिंग के तीन विवाह हुए और उनके कई बच्चे और पोते-पोती भी पर्वतारोहण में आगे बढ़े। उनके बेटे जामलिंग ने भी एवरेस्ट फतह किया। 1986 में टेनजिंग का निधन हुआ लेकिन उनकी जिंदगी आज भी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करना चाहता है। टेनजिंग की कहानी मेहनत और हिम्मत की सच्ची मिसाल है।