श्रीमद् भागवत साक्षात भगवान का स्वरूप है – शैलेंद्र शुक्ल
सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – नगर की पुरानी अनाज मंडी में वीरवार को श्रीमद् भागवत कथा मंडल के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव का शुभारंभ हुआ। शुभारंभ अवसर पर नगर में विशाल कलश शोभायात्रा निकाली गई। यह कलश यात्रा नगर के महाभारतकालीन ऐतिहासिक नागक्षेत्र सरोवर से शुरू होकर नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए कथास्थल पर पहुंची। इस यात्रा में सैंकड़ों महिलाएं पीले वस्त्र धारण करके सिर पर कलश उठाकर चल रही थी। वहीं कथाव्यास आचार्य शैलेंद्र शुक्ल व गण्यमान्य लोग श्रीमद् भागवत को सिर पर धारण करके आगे-आगे चल रहे थे।
यात्रा में चल रहे भक्ति गीतों से माहौल भक्तिमय बना दिया था। कथास्थल पर विशेष पूजा-अर्चना के उपरांत व्यास पीठ से आचार्य शैलेंद्र शुक्ल ने कथा का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में आचार्य शैलेंद्र शुक्ल ने कहा कि अनेक पुराणों और महाभारत की रचना के उपरान्त भी भगवान व्यास जी को परितोष नहीं हुआ। परम आह्लाद तो उनको श्रीमद् भागवत की रचना के पश्चात् ही हुआ, कारण कि भगवान श्रीकृष्ण इसके कुशल कर्णधार हैं, जो इस संसार सागर से सद्य: सुख-शांति पूर्वक पार करने के लिए सुदृढ़ नौका के समान हैं। सम्पूर्ण सिद्धांतो का निष्कर्ष यह ग्रन्थ जन्म व मृत्यु के भय का नाश कर देता है, भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है तथा भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता का प्रधान साधन है।
मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भगवत से बढक़र कोई साधन नहीं है। यह श्रीमद् भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है तभी परीक्षित जी की सभा में शुकदेव जी ने कथामृत के बदले में अमृत कलश नहीं लिया। ब्रह्मा जी ने सत्यलोक में तराजू बांधकर जब सब साधनों, व्रत, यज्ञ, ध्यान, तप, मूर्तिपूजा आदि को तोला तो सभी साधन तोल में हल्के पड़ गए और अपने महत्व के कारण भागवत ही सबसे भारी रहा। भगवान ने कहा कि वे श्रीमद् भगवत में समाए हैं और यह ग्रन्थ शाश्वत उन्हीं का स्वरुप है।
इस मौके पर मुख्य रूप से कुंजबिहारी बिंदलीस, अनिल जिंदल, प्रवीन बंसल, सुभाष मित्तल, कैलास सिंगला, सुशील जैन, शिवचरण कंसल, दिनेश गर्ग, महावीर बिंदलिस, राकेश भोला, बृजभूषण गर्ग, विनोद कुमार, शक्ति गुप्ता, सतीश गर्ग व सुशील मित्तल सहित काफी तादाद में लोग मौजूद थे।