Haryana
अटल जी तो अटल थे ही, पर निश्छल भी थे – विद्यारानी दनौदा
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपनी बातों पर अटल तो थे ही, साथ में निश्छल भी थे। यह बात हरियाणा महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष विद्या रानी दनौदा ने अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कही। उन्होंने एक पुराना किस्सा सुनाते हुए कहा कि 27 मई 1964 को […]
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपनी बातों पर अटल तो थे ही, साथ में निश्छल भी थे। यह बात हरियाणा महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष विद्या रानी दनौदा ने अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कही। उन्होंने एक पुराना किस्सा सुनाते हुए कहा कि 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु हो गई थी। संसद में भारतीय जनसंघ के नौजवान नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने 29 मई को अपने भाषण में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि एक सपना था, जो अधूरा रह गया, एक गीत था, जो गूंगा हो गया। क्योंकि मृत्यु ध्रुव है, शरीर नश्वर है। अंत में उन्होंने कहा, इन्हीं शब्दों के साथ मैं उस महान आत्मा के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। विद्यारानी ने कहा इन बातों से ऐसा लगता है कि यह शब्द अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु पर तो कहे ही थे, लेकिन वे आज उनकी मृत्यु पर भी पूरी तरह फिट बैठते हैं। अटल जी एक साफ छवि के नेता थे। दूसरी राजनीतिक पार्टियों से उनके मतभेद बेशक रहे हों, लेकिन उन्होंने किसी पार्टी से शत्रुता नहीं बरती। ऐसे निश्छल, कवि ह्रदय व्यक्ति को पूरा देश नमन करता है और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता है।