Sonam Wangchuk दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में, ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ के दौरान रोका गया
मशहूर समाजसेवी और इंजीनियर Sonam Wangchuk को दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर से हिरासत में ले लिया है। Wangchuk अपनी 700 किलोमीटर लंबी ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ के दौरान दिल्ली में प्रवेश कर रहे थे, और उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि राजघाट जाने की घोषणा की थी। उनके साथ लद्दाख से करीब 150 लोग भी शामिल थे, जिन्हें भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। यह पदयात्रा Wangchuk की लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर आयोजित की गई थी, जिसे लेकर पुलिस ने बॉर्डर पर भारी संख्या में जवान तैनात किए थे।
हिरासत का कारण
दिल्ली पुलिस ने बताया कि दिल्ली में धारा 163 लागू होने के बावजूद सभी प्रदर्शनकारी एकसाथ दिल्ली की सीमा में प्रवेश कर रहे थे। इसके कारण Wangchuk समेत कई प्रदर्शनकारियों को नरेला औद्योगिक क्षेत्र पुलिस स्टेशन ले जाया गया। हिरासत में लिए जाने के बाद Wangchuk ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया, “मुझे और 150 अन्य यात्रियों को हिरासत में लिया गया है। दिल्ली बॉर्डर पर 100 पुलिसकर्मी हैं, कुछ लोग कह रहे हैं कि यहां 1000 पुलिसकर्मी तैनात हैं। हमारे साथ 80 साल से अधिक उम्र के कई बुजुर्ग पुरुष और महिलाएं और कई सेना के पूर्व सैनिक भी हैं। हम नहीं जानते कि आगे क्या होगा। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बापू की समाधि तक सबसे शांतिपूर्ण मार्च पर थे।”
छठी अनुसूची की मांग
Sonam Wangchuk लंबे समय से लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिलाने के लिए आवाज उठा रहे हैं। उनकी यह पदयात्रा भी इसी मुद्दे पर केंद्रित थी। छठी अनुसूची का उद्देश्य आदिवासी और जनजातीय क्षेत्रों को विशेष अधिकार और स्वायत्तता प्रदान करना है। Wangchuk का मानना है कि लद्दाख के पारिस्थितिकी, सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय निवासियों की आजीविका की रक्षा के लिए यह आवश्यक है।
Wangchuk की इस पदयात्रा में कई बुजुर्ग, महिलाएं और पूर्व सैनिक शामिल थे, जो लद्दाख के भविष्य के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे। उनका मानना है कि अगर लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा नहीं मिलता, तो वहां की सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक संसाधनों पर खतरा मंडराने लगेगा।
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
Sonam Wangchuk और उनके साथियों की हिरासत पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, “Sonam Wangchuk जी और सैकड़ों लद्दाखियों का शांतिपूर्ण तरीके से पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए मार्च करना कोई अपराध नहीं है। इन बुजुर्गों को, जो लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े हो रहे हैं, दिल्ली बॉर्डर पर हिरासत में क्यों लिया गया? मोदी जी, जैसे किसानों का चक्रव्यूह टूटा, वैसे ही ये चक्रव्यूह भी टूटेगा और आपका अहंकार भी। आपको लद्दाख की आवाज सुननी ही होगी।”
छठी अनुसूची की लड़ाई
लद्दाख के लिए छठी अनुसूची की मांग नई नहीं है। 2019 में जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद से ही लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था, लेकिन वहां के नागरिकों की प्रमुख मांग रही है कि उनके क्षेत्र को विशेष संरक्षण प्रदान किया जाए। लद्दाख में पर्यावरणीय चुनौतियां, पारंपरिक आजीविका के साधनों की सुरक्षा, और सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा के लिए छठी अनुसूची के तहत विशेष अधिकार दिए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
Wangchuk की मांग और सरकार की प्रतिक्रिया
Sonam Wangchuk ने लद्दाख के लिए छठी अनुसूची का दर्जा पाने के लिए लगातार सरकार पर दबाव बनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार को लद्दाख के लोगों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि वहां के संसाधनों और पारिस्थितिकी को संरक्षित किया जा सके। हालांकि, अब तक इस मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
राजघाट पर जाने की घोषणा
Sonam Wangchuk की योजना थी कि वह महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर जाकर अपना संदेश रखें। गांधी जी के विचारों और उनके शांति और अहिंसा के सिद्धांतों से प्रेरित होकर, Wangchuk ने अपनी पदयात्रा को एक प्रतीकात्मक रूप में प्रस्तुत किया था। उनका कहना था कि वह महात्मा गांधी के सिद्धांतों के माध्यम से सरकार और देश के लोगों तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं।
आंदोलन का भविष्य
Wangchuk और उनके साथियों की हिरासत के बाद सवाल उठ रहे हैं कि लद्दाख के लोगों की यह लड़ाई किस दिशा में जाएगी। क्या सरकार लद्दाख के निवासियों की मांगों को सुनेगी, या फिर यह आंदोलन और अधिक जोर पकड़ेगा? Wangchuk का कहना है कि वह और उनके साथी शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों की मांग जारी रखेंगे, और किसी भी तरह की हिंसा से दूर रहेंगे।