सत्यखबर, नई दिल्ली
पिछले साल हुए भारत-चीन विवाद के बाद भारत अपने पड़ोसी चीन के साथ लगने वाली उत्तरी सीमा की निगरानी की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की दिशा में लगातार बढ़े कदम उठा रहा है । अब चीन के साथ सटी सीमा की निगरानी के लिए रिमोट कंट्रोल एयरक्राफ्ट यानी हेरॉन आर्मी को दिए गए है । असम के मिसामारी सेक्टर में सीमा में एक विमानन स्क्वाड्रन में काम कर रहे भारतीय सेना को हेरॉन मार्क-1 मानव रहित हवाई वाहन दिया गया है । दरअसल आर्टिलरी में ये UAV इसलिए भी इस्तेमाल होते थे ताकि आर्टिलरी गन्स पिन पाइंटिड टार्गट्स कर सके, और दुश्मन कहां है, और कितनी ज़्यादा फायरिंग की जाए इसका अंदाज़ा इसी UAV से लगता है. लेकिन पिछले साल भारत चीन स्टैंडॉफ के बाद ये तय किया गया कि इन UAV को आर्मी को दे दिया जाए ताकि इनका इस्तेमाल एलएसी में और ज़्यादा किया जा सके और इनकी मेंटेनेंस भी आसानी से की जा सके । मिसामारी में आर्मी एविएशन की 604 ब्रिगेड में ये बदलाव सबसे पहले किया गया । इसे इसी साल बनाया गया. इस ब्रिगेड के अंडर तीन यूनिट हैं ।
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इजरायल से लिए ये हेरॉन यूएवी मार्क-1 ड्रोन, 30 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं । ये 24 से 30 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं । इनकी खासियत यह है कि कमांडर ग्राउंड पर होते हुए करीब 200 किलोमीटर दूर से ही देख सकते हैं कि दुश्मन क्या कर रहा है । हेरोन चीन की हरकतों पर दिन-रात निगरानी रख रहा है । यह हर मौसम में उड़ान भरकर लाइव फीड भेज सकता है, जिससे इंडियन आर्मी की एलएसी पर निगरानी बढ़ी है । चीन की हर हरकत पर लगातार नजर रखी जा रही है ।
बता दें कि, पिछले वर्ष गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद भारत ने करीब 3400 किलोमीटर लंबी एलएसी के पास संपूर्ण तैनाती में बढ़ोतरी की है । इसके अलावा यह आधारभूत सुविधाओं का भी विकास कर रहा है । ऐसे में अब चीन पर नजर रखने के लिए ड्रोन और यूएवी का सहारा भी लिया जा रहा है ।
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