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वो आश्रम जहां सेवा करते हैं बड़े-बड़े अधिकारी

The ashram where big officials serve

सत्य खबर, नई दिल्ली । देश में चार दत्तधाम हैं उन्हीं में से एक मध्य प्रदेश के खरगोन में मौजूद है. मंदिर में भगवान दत्तात्रेय की छह भुजाओं वाली एक मुखी विशाल प्रतिमा विराजमान है. दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं. खास बात यह कि इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं है. सेवादार ही मंदिर की साफ-सफाई से लेकर पूजा और आरती तक की सारी व्यवस्थाएं संभालते हैं.
बता दें कि महेश्वर से महज 5 Km दूर नर्मदा नदी के तट पर ग्राम जलकोटी में शिवदत्त धाम बना हुआ है. यहां सेवादार भी हर सप्ताह बदलते रहते हैं. ये सेवादार सात दिनों तक मंदिर में ही रहते हैं. सेवादारों में कोई व्यापारी है, कोई मजदूर तो कोई सरकारी अफसर. कई बिजनेस मैन भी हैं. हर कोई अपने घर, परिवार, नौकरी को छोड़कर साल में एक बार सात दिन के लिए यहां सेवा देने जरूर आता है.

सेवा देने आए पटवारी
मंदिर में सेवा देने आए मिलिंद यादव ने बताया कि वह पेशे से पटवारी हैं. साल में एक बार वह यहां सेवा देने आते हैं. आते समय सात दिनों का राशन और जरूरी सामान साथ लेकर आए हैं. बताया कि क्षेत्र में करीब 80 सेवादार हैं. बारी-बारी सभी सेवादार एक-एक सप्ताह के लिए मंदिर में रहते हैं. 25 प्रतिशत सेवादार सरकारी अफसर या कर्मचारी हैं.

सेवादार ही करते हैं सारा काम
मिलिंद यादव ने बताया कि विश्व चैतन्य सदगुरु नारायण महाराज, नारायणपुर (पुणे) से सभी ने दीक्षा ली है. विगत 16 वर्षों से वह निरंतर मंदिर आ रहे हैं. 9 वर्ष पहले दीक्षा ली थी. एक बार में चार से पांच सेवादार हर वक्त मंदिर में उपस्थित रहते हैं. सात दिन निरंतर अखंड गुरुचरित्र का पाठ करते हैं. मंदिर और परिसर की सफाई, भगवान के वस्त्र धोना, पूजा अर्चना और परिक्रमा वासियों के लिए भोजन पकाना एवं खिलाना सभी कुछ वहीं करते हैं.

कड़े नियमों का पालन
उन्होंने कहा कि इस सेवा को परायण कहते हैं. सात दिनों तक व्रत रखते हैं. मंदिर परिसर से बाहर नहीं जाते, न ही किसी काम के लिए बाहर से किसी को बुलाते हैं. तड़के सुबह 4:30 बजे उठते हैं. शाम को आरती के बाद एक टाइम भोजन करते हैं. भोजन में बिना नमक के दाल-चावल खाते हैं. उनका मानना है कि सेवा से तन और मन दोनों साफ रहता है, जब यहां से जाते हैं तो एक नई ऊर्जा मिलती है.

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