देश विश्व गुरु तभी बनेगा जब युवा संस्कारवान और चरित्रवान होगा : बोधराज सीकरी
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The country will become world leader only when the youth is cultured and characterful
सत्य खबर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज: गुरुग्राम में बीते मंगलवार 5 दिसंबर को श्री श्याम मंदिर न्यू कॉलोनी में हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया गया। जिसमें यजमान सतपाल नासा और पुष्पा नासा रहे। मंदिर भक्तों से खचाखच भरा हुआ था। खूब आनंद से भक्तजन गजेंद्र गोसाई की धुन पर नाचे और श्रद्धा भाव से अनुशासित तरीक़े से बैठकर लोगों ने हनुमान चालीसा का पठन किया। लोगों का कहना था कि इस मंदिर में बोध राज सीकरी और गजेंद्र गोसाई ने अपने बाल्यकाल से स्वर्गीय पंडित चुनी लाल से रामायण पढ़ने का अभ्यास प्रारंभ किया था। पंडित भीम दत्त ने मंत्रों की आवाज़ से घंटे घड़ियाल और शंखनाद से और गोसाई जी ने ओम की ध्वनि से पाठ का शुभारंभ किया और समापन राम राम की माला से किया।
वहीं हनुमान भक्त गजेंद्र गोसाई द्वारा संगीतमय तरीके से 21 बार हनुमान चालीसा पाठ के पठन के उपरांत श्री बोधराज सीकरी, जिन्होंने हनुमान चालीसा पाठ की मुहिम लगभग साढ़े 9 मास पूर्व श्याम मंदिर के प्रांगण से ही प्रारम्भ की थी। जहां पर कल यह पाठ हुआ और वो इस मंदिर के प्रधान भी हैं। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि अभी तक मैं संस्कार की बात करता आ रहा हूँ। अब चरित्र निर्माण के ऊपर भी हमारे युवा को ध्यान आकर्षित करना है, क्योंकि 65% आबादी इस देश की युवा है जिसकी आयु 35 वर्ष से नीचे है। यदि वो संस्कारवान व चरित्रवान बन गया तो देश विश्व गुरु बनने में बिलकुल देर नहीं करेगा। आज हम 5वें पायदान पर हैं तो माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने घोषणा की है कि 5 वर्षों में हम तीसरे पायदान पर पहुंच जाएंगे। ये तभी सम्भव होगा जब युवा संस्कारवान और चरित्रवान होगा। भगवान राम का उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि रावण के पास सब कुछ था वैभव था, धन था, बल था, शिक्षा थी, वेदों का ज्ञान था और पुलस्ति मुनि के वो नाती थे। परंतु एक सीताहरण के कारण उनके चरित्र पर धब्बा लगा और उन्हें राक्षस की उपाधि मिल गई अन्यथा वो तो ब्राह्मण कुल से था।
इस प्रकार आज के युवा को भगवान राम जिन्हें हम मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं जिन्होंने एक स्त्री का प्रण लिया और उसी को यदि हमारा आज का युवा स्वीकार कर ले और अपने आपको चरित्रवान कर ले और व्यसन और व्यभिचार से, आलस्य से, पाश्चात्य जीवन शैली से अपने आपको दूर करके हमारी भारतीय परंपराओं की स्वीकार कर ले तो निश्चित ही अत्यंत देश के अंदर एक नया ऊर्जावान युवा उत्पन्न होगा। उसके बाद श्री सतपाल नासा और श्रीमती पुष्पा नासा की ओर से लंगर प्रसाद की व्यवस्था थी। अब तक पाठ 162 स्थानों पर कुल 453,007 हनुमान चालीसा पाठ 32,157 साधकों द्वारा किये जा चुके हैं।