Kandahar hijack के असली नायक और आईसी 814 के कप्तान देवी शरण ने शनिवार को लिया रिटायरमेंट, एक प्रेरणादायक यात्रा का समापन
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Kandahar hijack: भारत में भारतीय विमानन सेवा के इतिहास में कुछ नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में दर्ज किए जाएंगे, जिनमें से एक नाम है – कप्तान देवी शरण। शनिवार को, 40 वर्षों तक भारतीय विमानन सेवा में अपनी सेवाएं देने के बाद, उन्होंने अपने करियर का समापन किया और मेलबर्न से दिल्ली की अपनी आखिरी उड़ान भरी। भारतीय एयरलाइंस (अब एयर इंडिया) में 1985 में जुड़ने वाले देवी शरण ने अपनी सेवा के दौरान कई जोखिमों का सामना किया, लेकिन उनका सबसे बड़ा साहसिक कार्य कंधार हाइजैक के समय था, जो 1999 में हुआ था। उनकी निडरता और धैर्य ने उन्हें इस मुश्किल घड़ी में एक असली नायक बना दिया।
कंधार हाइजैक – एक भूलने योग्य घटना, लेकिन एक यादगार साहस
कंधार हाइजैक की घटना 24 दिसंबर 1999 को हुई थी, जब भारतीय विमानन की फ्लाइट IC 814 को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था। इस घटना के दौरान देवी शरण और उनकी टीम ने अपनी जान की परवाह किए बिना यात्रियों की जान बचाने का प्रयास किया। कंधार में सात दिनों तक यात्रियों को बंधक बनाए रखा गया था, और इन सात दिनों के दौरान कप्तान देवी शरण ने अपनी असाधारण मानसिक मजबूती और सहनशीलता का परिचय दिया। उन्होंने कहा था कि उनकी एकमात्र प्राथमिकता इस संकटपूर्ण स्थिति में यात्रियों की जान बचाना था।
यह घटना भारतीय इतिहास के सबसे भयावह हादसों में से एक मानी जाती है। कंधार में यात्रियों के जीवन को बचाने के लिए देवी शरण ने पूरी तरह से अपने दिमाग और दिल से काम लिया और किसी भी गलत निर्णय से बचते हुए, जो यात्री और चालक दल के लिए खतरे का कारण बन सकता था। कंधार हाइजैक ने केवल देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि भारतीय विमानन सेवा और उसके कर्मचारी कितने साहसी होते हैं।
एक प्रेरक संदेश: जीवन एक संघर्ष है
कप्तान देवी शरण ने अपने रिटायरमेंट के अवसर पर अपने सहयोगियों को एक संदेश भेजा। उन्होंने लिखा, “पार्टी अभी शुरू हुई है।” इस संदेश में उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों का जिक्र किया और बताया कि वह हमेशा अपनी यात्राओं के दौरान सहयात्रियों पर नजर रखते रहेंगे ताकि सब कुछ सही हो और किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। यह उनका सकारात्मक दृष्टिकोण और जिम्मेदारी की भावना का प्रमाण था, जो उन्होंने अपने पूरे करियर में बनाए रखा।
उनकी जिंदगी कंधार हाइजैक की वजह से बदल गई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी पूरी यात्रा को एक प्रेरणा के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि जीवन कभी आसान नहीं होता, और हर किसी को जीवन के संघर्षों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
कंधार हाइजैक ने दिया जीवन का एक अनमोल पाठ
कंधार हाइजैक के समय देवी शरण के धैर्य और साहस को देखकर यह समझ में आता है कि जीवन के कठिनतम समय में भी सही निर्णय लेना कितना महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने अपनी बातों में यह भी बताया कि उन सात दिनों में उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि वह यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी कहा कि वह प्रार्थना करते हैं कि ऐसी स्थिति फिर कभी न आए, और कोई भी चालक दल का सदस्य ऐसी कठिनाई का सामना न करे।
कंधार हाइजैक की घटना ने बहुत कुछ सिखाया। इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि किसी भी संकट के समय, धैर्य और साहस सबसे महत्वपूर्ण गुण होते हैं। देवी शरण ने न केवल एक कप्तान के रूप में, बल्कि एक इंसान के रूप में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उनका यह साहसपूर्ण कदम न केवल एक पेशेवर के रूप में उनकी महानता को दर्शाता है, बल्कि यह जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को भी स्पष्ट करता है।
12 साल बाद फिर से मौत के मुंह से निकला
कंधार हाइजैक के बाद देवी शरण ने अपनी यात्रा में कई अन्य खतरों का सामना किया। 12 साल बाद, 2011 में, उनका विमान लीबिया में फंस गया था, जब वहां गृह युद्ध चल रहा था। इस बार, आतंकवादियों ने उनके विमान को निशाना बनाया, लेकिन देवी शरण ने अपनी सूझबूझ और साहस से विमान को सुरक्षित बाहर निकाला। यह घटना उस समय की थी जब लीबिया में गृह युद्ध अपने चरम पर था और वहां के हालात बेहद कठिन थे। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देवी शरण सिर्फ एक महान कप्तान ही नहीं, बल्कि एक असाधारण इंसान भी थे।
कप्तान देवी शरण की रिटायरमेंट: एक नई शुरुआत
अब, अपनी रिटायरमेंट के बाद, देवी शरण ने कहा कि वह अगले एक साल में दुनिया की कुछ बड़ी एयरलाइंस कंपनियों के साथ जुड़ने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है कि इस नए चरण में वह नई जगहों की यात्रा करेंगे, जिसमें अंटार्कटिका और साइबेरिया जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं। यह उनके जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत है, जहां वह न केवल खुद को बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।
कप्तान देवी शरण का जीवन संघर्ष और साहस से भरा हुआ था। उनकी कंधार हाइजैक के दौरान दिखाई गई निडरता और उनकी पूरी यात्रा ने उन्हें एक राष्ट्रीय नायक बना दिया। उनका रिटायरमेंट न केवल एक करियर का समापन है, बल्कि एक ऐसी यात्रा का समापन है, जिसने हमें जीवन की सच्ची चुनौतियों का सामना करना सिखाया। देवी शरण जैसे लोग हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे और उनका साहस हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।