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Tiger Pataudi’s Birthday: शरमिला टैगोर से शादी और एक अनोखी शर्त की कहानी

Tiger Pataudi’s Birthday: आज भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ी मंसूर अली खान पटौदी का जन्मदिन है, जिन्हें प्रेम से ‘टाइगर पटौदी’ के नाम से जाना जाता है। मंसूर अली खान पटौदी को पटौदी के नवाब के रूप में भी जाना जाता है। उनका नाम क्रिकेट की दुनिया में न केवल उनकी शानदार बल्लेबाजी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि उनकी शादी और प्रेम कहानी के लिए भी चर्चित है। उनकी शादी, जो शरमिला टैगोर के साथ हुई थी, आज भी लोगों के बीच एक दिलचस्प और रोमांटिक कहानी के रूप में गूंजती है। आइए जानते हैं मंसूर अली खान पटौदी और शरमिला टैगोर की लव स्टोरी और शादी के बारे में।

मंसूर अली खान पटौदी और शरमिला टैगोर की प्रेम कहानी

मंसूर अली खान पटौदी और शरमिला टैगोर की प्रेम कहानी एक शानदार रोमांस की मिसाल है। दोनों के बीच प्यार 1960 के दशक के अंत में हुआ। शरमिला टैगोर, जो उस समय बॉलीवुड की एक चर्चित अभिनेत्री थीं, और मंसूर अली खान पटौदी, जो भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे, ने कई वर्षों तक एक-दूसरे को डेट किया। यह जोड़ी न केवल अपनी फिल्मों और क्रिकेट के कारण चर्चित थी, बल्कि इनकी प्रेम कहानी भी लोगों के बीच आकर्षण का कारण बन गई थी।

 

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शरमिला और मंसूर की पहली मुलाकात एक क्रिकेट पार्टी में हुई थी, जब मंसूर इंग्लैंड से वापस आए थे। शरमिला ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी पहली मुलाकात के दौरान उन्हें मंसूर बहुत अच्छे लगे थे और दोनों के बीच एक गहरी बातचीत हुई थी। इस मुलाकात के बाद, शरमिला और मंसूर का रिश्ता धीरे-धीरे प्यार में बदल गया और उन्होंने अपनी शादी का फैसला लिया। हालांकि, दोनों के रिश्ते में कुछ खास शर्तें भी थीं, जो बाद में सार्वजनिक हुईं।

शादी की शर्तें

शरमिला टैगोर और मंसूर अली खान पटौदी की शादी भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। दोनों का रिश्ता एक अद्भुत उदाहरण था, लेकिन उनकी शादी में एक दिलचस्प शर्त भी रखी गई थी। शरमिला ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उनकी निकाहनामा (विवाह पत्र) में यह शर्त थी कि मंसूर अली खान पटौदी क्रिकेट पर कभी कोई चर्चा नहीं करेंगे और शरमिला टैगोर फिल्मों पर कोई बात नहीं करेंगी। शरमिला ने कहा था, “मुझे नहीं लगता कि मैं क्रिकेट के बारे में कुछ कहने के लिए योग्य हूं।”

 

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यह शर्त इसलिए रखी गई थी क्योंकि शरमिला और मंसूर दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में काम कर रहे थे, लेकिन वे एक-दूसरे के काम को पूरी तरह से समझ नहीं पाते थे। यही कारण था कि दोनों ने इस शर्त के साथ शादी करने का निर्णय लिया ताकि वे अपने-अपने पेशेवर जीवन में पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकें और निजी जीवन में भी एक दूसरे का सम्मान कर सकें।

मंसूर अली खान पटौदी और शरमिला टैगोर की शादी

मंसूर अली खान पटौदी और शरमिला टैगोर की शादी 27 दिसंबर 1968 को हुई थी। शरमिला ने शादी के बाद इस्लाम धर्म अपनाया और अपना नाम बदलकर आयशा रख लिया। इस शादी को लेकर मीडिया में कई तरह की चर्चाएं थीं, लेकिन दोनों ने अपने रिश्ते को पूरी तरह से निजी रखा और कभी भी अपने व्यक्तिगत जीवन को सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया। उनकी शादी ने समाज में एक नई परंपरा की शुरुआत की, जिसमें दोनों का प्यार और सम्मान सबसे महत्वपूर्ण था।

पहली मुलाकात और दोस्ती

शरमिला टैगोर ने अपनी पहली मुलाकात के बारे में खुलासा करते हुए कहा था कि उनकी पहली मुलाकात एक क्रिकेट पार्टी में हुई थी। मंसूर अली खान पटौदी उस समय इंग्लैंड से लौटे थे। शरमिला उस समय दिल्ली में थीं और मंसूर ने अपनी डबल सेंचुरी के बाद उन्हें बधाई दी थी। शरमिला ने बताया कि उनका पहला संपर्क एक फोन कॉल के जरिए हुआ, जिसमें उन्होंने मंसूर को उनकी शानदार पारी के लिए बधाई दी थी।

शरमिला ने यह भी बताया कि उनकी पहली मुलाकात में ही उन्हें मंसूर की बातचीत और स्वभाव बहुत पसंद आया था। दोनों के बीच बहुत अच्छे संबंध थे और यह दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। शादी से पहले दोनों ने दो साल तक सगाई की थी और इस दौरान उन्होंने एक-दूसरे को अच्छे से समझा।

एक अनोखी शादी की कहानी

मंसूर अली खान पटौदी और शरमिला टैगोर की शादी केवल एक रोमांटिक कहानी नहीं थी, बल्कि यह दो अलग-अलग दुनियाओं के बीच एक सुंदर मिलन का प्रतीक थी। मंसूर एक नवाब थे और शरमिला बॉलीवुड की एक मशहूर अभिनेत्री थीं। लेकिन दोनों ने अपने पेशेवर जीवन को एक-दूसरे से अलग रखा और व्यक्तिगत रूप से अपनी शादी को पूरी तरह से समर्पित किया।

उनकी शादी ने यह साबित किया कि प्यार और सम्मान के साथ किसी भी रिश्ते को निभाया जा सकता है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो। मंसूर और शरमिला का यह रिश्ता आज भी एक आदर्श के रूप में देखा जाता है।

मंसूर अली खान पटौदी और शरमिला टैगोर की शादी एक प्रेरणा है, जो यह सिखाती है कि प्यार, सम्मान और समझ के साथ किसी भी रिश्ते को सशक्त और स्थायी बनाया जा सकता है। उनका यह रिश्ता आज भी लोगों के दिलों में एक प्यारी और रोमांटिक कहानी के रूप में जीवित है। मंसूर अली खान पटौदी का जन्मदिन उनके योगदानों और उनके जीवन की इस प्रेरणादायक कहानी को हमेशा याद रखने का अवसर है।

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