वेदाचार्य दंडीस्वामी निगमबोध तीर्थ ने किया श्री गौशाला का दौरा
सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – वेदाचार्य दंडीस्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज ने शनिवार को नगर की श्री गौशाला का दौरा किया। इस मौके पर हरियाणा गौसेवा आयोग के सदस्य श्रवण कुमार गर्ग विशेष रूप से मौजूद थे। गौशाला एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवचरण कंसल व गण्यमान्य लोगों ने दंडीस्वामी का अभिनंदन करके उनका आशीर्वाद ग्रहण किया। इस मौके पर दंडीस्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज ने गौशाला का निरिक्षण किया तथा व्यवस्थाओं का जायजा लेकर संतोष जाहिर किया।
अपने उद्गार में वेदाचार्य निगमबोध तीर्थ महाराज ने कहा कि गौमाता हमेशा देती ही देती लेती कभी कुछ नहीं है। गौसेवा से बड़ा कोई धर्म व कार्य नहीं है। समाज में ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिल जाएंगे कि जिसने भी अपना जीवन गौसेवा में लगा दिया, उसके पास किसी भी प्रकार की कमी नहीं रही है। गौमाता में 36 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं। उन्होंने कहा कि गौ सब कार्यों में उदार तथा समस्त गुणों की खान है।
गौ की प्रत्येक वस्तु पावन है, गौ का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी, इन्हे पंचगव्य कहते है इनका पान कर लेने से शरीर के भीतर पाप नहीं ठहरता। जो गौ की एक बार प्रदक्षिणा करके उसे प्रणाम करता है वह सभी पापों से मुक्त होकर अक्षय स्वर्ग का सुख भोगता है। गौ के सीगों में भगवान श्री शंकर और श्रीविष्णु सदा विराजमान रहते है। गौ के उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्म, ललाट में महादेव निवास करते हैं। सीगों के अग्र भाग में इंद्र, दोनों कानो में अश्र्विऩी कुमार, नेत्रो मे चंद्रमा और सूर्य, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती देवी का वास होता है।
अपान (गुदा)में सम्पूर्ण तीर्थ, मूत्र स्थान में गंगा जी, रोमकूपों में ऋषि, मुख और प्रष्ठ भाग में यमराज का वास होता है। दक्षिण पार्श्र्व में वरुण और कुबेर, वाम पार्श्र्व में तेजस्वी और महाबली यक्ष, मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्र भाग में सर्प, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं वास करती है। गोबर में लक्ष्मी, गोमूत्र में पार्वती, चरणों के अग्र भाग में आकाशचारी देवता वास करते है। रंभाने की आवाज में प्रजापति और थनो में भरे हुए चारों समुद्र निवास करते है।