60 साल बाद भी जिले में सरकारी कॉलेज की दरकार
कॉलेज मांग को लेकर शिक्षाविदों ने बैठक कर बनाई रणनीति
कई संगठनों से समर्थन पत्र लेकर सरकार को जाएगा भेजा
सत्यखबर चरखी दादरी
चरखी दादरी में सरकारी कॉलेज की सुविधा दिलाने के लिए करीब 35 ग्राम पंचायतें, शिक्षाविद्, व्यापारी, नगर पार्षद और सामाजिक संस्थाओं ने इकट्ठे होकर एक सुर में सरकार से मांग उठाने का फैसला लिया है… करीब 60 साल पहले जिले में निजी संस्था ने पहला निजी जनता कॉलेज बनवाया था…जो बाद में एडेड हो गया था…बावजूद इसके सरकारी कॉलेजों को मिलने वाली सुविधा शहर में नहीं है…अब शिक्षाविदों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों ने मीटिंग कर जिला मुख्यालय पर सरकार से कॉलेज खोलने की मांग उठाई है।
मीटिंग में कई गांवों के सरपंचों ने कहा कि अगर सरकारी कॉलेज बनता है तो वो अपने गांव की सरकारी जमीन देने को तैयार है…मीटिंग में ज्यादातर गणमान्य लोगों ने सिर्फ शहर में ही संस्था या सरकारी जमीन पर कॉलेज बनाने पर इच्छा जाहिर की….ताकि बच्चों को सभी सुविधाएं एक ही जगह पर मिल सके…इस दौरान अधिवक्ता संजीव तक्षक ने कहा कि शहर में दो निजी संस्था के कॉलेज होने के कारण इनकी फीस भी सरकारी कॉलेज से ज्यादा है….जिले के विद्यार्थियों को ज्यादा फीस देने पर भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में सरकार को शहर में सरकारी कॉलेज बनाना चाहिए
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बता दें कि जिला मुख्यालय में 1963 में पहला कॉलेज बना था जिस समय जिले की आबादी करीब 1 लाख होती थी जो बढक़र अब करीबन 6 लाख हो चुकी है…जिले के उच्चस्तर की शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों को फैकल्टी और सीटों समेत मनपसंद सब्जेक्ट नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में जिले से हजारों विद्यार्थी रोहतक, भिवानी, हिसार, कुरूक्षेत्र, चंडीगढ़ और दिल्ली में अपनी पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
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