हरियाणा

Vinay Narwal की बहन की दर्द भरी बातें, ‘भाई को देखा है हंसते हुए, आज उसे नहीं देख सकती’

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए नौसेना अधिकारी Vinay Narwal को रविवार 4 मई को श्रद्धांजलि दी गई। यह आयोजन भावनाओं से भरा हुआ था जहां परिवार, रिश्तेदार और आम लोग मौजूद रहे। इस मौके पर विनय की बहन सृष्टि नरवाल बेहद भावुक नजर आईं। उन्होंने कहा कि देश उनके भाई को वर्दी और बलिदान से जानता है लेकिन वे उसे दिल से जानती हैं। समारोह में मौजूद सभी लोगों की उपस्थिति को उन्होंने विनय के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रतीक बताया।

बहन की आंखों से छलके दर्द के अल्फाज़

सृष्टि नरवाल ने नम आंखों से कहा कि “आप सभी की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि आप सभी विनय को कितना चाहते हैं। पिछले 12-13 दिनों में हमारे घर पर आने वाले सभी लोग हमें हिम्मत दे रहे हैं। विनय मेरे लिए पहले एक बड़ा भाई था उसके बाद वह लेफ्टिनेंट बना। कभी सोचा भी नहीं था कि जिस भाई ने मुझे अपनी गोद में खिलाया उसकी अंतिम यात्रा में मैं कंधा दूंगी।” उन्होंने बताया कि विनय ऐसा भाई था जो उन्हें कभी रोते नहीं देख सकता था और आज वह खुद अपनी बहन के आंसू पोछने के लिए नहीं है।

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‘जिसने बचाया आग से उसी को अग्नि को सौंपा’

भावुक सृष्टि ने आगे कहा कि “जिस भाई ने मुझे हमेशा पटाखों की आवाज़ से डर से बचाया उसकी अंतिम सलामी की गूंज अब भी मेरे कानों में गूंज रही है। जो भाई मुझे कभी आग के पास भी नहीं जाने देता था उस भाई का अंतिम संस्कार मैंने अपने हाथों से किया। वह भाई जो मेरी आंखों में आंसू देखकर खुद रो पड़ता था आज मेरी आंखों से बहते आंसू पोछने के लिए खुद मौजूद नहीं है। यह पीड़ा शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।”

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‘विनय अमर है वो हम सबके दिलों में जिंदा रहेगा’

सृष्टि ने कहा कि अभी भी उन्हें विश्वास नहीं होता कि यह सब हमारे साथ हुआ है। शायद यह भगवान की मर्जी थी। जब तक मैं हूं जब तक आप सब हैं विनय हमेशा रहेगा। वह अमर है। विनय का दिल उतना ही बड़ा था जितना उसका कद। वह मां का लाडला था और पापा की आंखों का तारा। छुट्टियों में वह बिना बताए दादी-दादा के पास चला जाता था और उन्हें सरप्राइज देता था। लेकिन इस बार खुद किस्मत ने हमें ऐसा सरप्राइज दिया जिसकी हमने कभी कल्पना नहीं की थी। उन्होंने बताया कि विनय को बचपन से LOC फिल्म देखना पसंद था और वह अक्सर कहता था कि एक दिन मैं भी तिरंगे में लिपटा लौटूंगा। उस समय हम उसे डांटते थे लेकिन आज वह सपना सच हो गया।

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