Bengal-Jharkhand potato dispute: पार्लियामेंट में बंगाल-झारखंड आलू विवाद पर उठी आवाज, बीजेपी ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की
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Bengal-Jharkhand potato dispute: बंगाल और झारखंड के बीच आलू की आपूर्ति को लेकर जारी विवाद मंगलवार को संसद में गूंज उठा। हजारीबाग से बीजेपी सांसद मनीष जयस्वाल ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया और केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की। उन्होंने कहा कि बंगाल द्वारा झारखंड के आलू कन्साइनमेंट पर लगाए गए अवरोध से वहां के लोगों को भारी परेशानी हो रही है।
बीजेपी ने आरोप लगाया: इंटर-स्टेट व्यापार नियमों का उल्लंघन
मनीष जयस्वाल ने बंगाल सरकार की इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे इंटर-स्टेट व्यापार नियमों का उल्लंघन करार दिया और कहा कि यह एक गंभीर मामला है, जो विशेष रूप से गरीबों को प्रभावित कर रहा है। बंगाल सरकार ने राज्य से बाहर आलू की आपूर्ति पर रोक लगा दी है, जिसके कारण झारखंड के बाजारों पर इसका गहरा असर पड़ा है। झारखंड साल भर में कम से कम 60 प्रतिशत आलू की आपूर्ति बंगाल से प्राप्त करता है और इस अवरोध के कारण राज्य में आलू की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही है।
झारखंड सरकार का विरोध: सीएम हेमंत सोरेन का बयान
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और राज्य के मुख्य सचिव अलका तिवारी को बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत से बातचीत करने के लिए निर्देशित किया। दोनों अधिकारियों के बीच बातचीत हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। बंगाल सरकार ने अपने प्रतिबंध को जारी रखा है, जिससे झारखंड में आलू की भारी कमी हो गई है। इस मुद्दे पर बंगाल विधानसभा में भी चर्चा की गई थी, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन प्रतिबंधों का बचाव करते हुए कहा था कि यह कदम राज्य के हित में लिया गया है।
पार्लियामेंट में हुआ हंगामा: आलू विवाद का समाधान नहीं
पार्लियामेंट में इस मुद्दे को लेकर जब मनीष जयस्वाल ने आवाज उठाई, तो उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल व्यापारिक विवाद नहीं है, बल्कि यह दोनों राज्यों के आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा हुआ मुद्दा है। उनका कहना था कि बंगाल द्वारा उठाए गए इस कदम से न केवल झारखंड के लोग, बल्कि पूरे क्षेत्रीय व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह इस विवाद में मध्यस्थता करे और राज्यों के बीच व्यापारिक अवरोधों को हटाने के लिए कदम उठाए।
केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए गए
बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया कि बंगाल सरकार केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत मिलने वाली सहायता राशि का गलत इस्तेमाल कर रही है। ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में आरोप लगाया कि बंगाल सरकार केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत दी जा रही राशि को योग्य लाभार्थियों को न देकर अयोग्य लोगों को दे रही है।
शिवराज सिंह चौहान का बयान: केंद्र ने बंगाल को धन नहीं रोका
शिवराज सिंह चौहान ने तृणमूल कांग्रेस के कांग्रेसी सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद यह कहा कि केंद्र सरकार ने बंगाल को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत कोई धन नहीं रोका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बंगाल सरकार ने गलत तरीके से अयोग्य लोगों को इन योजनाओं का लाभ पहुंचाया है और ऐसा करना कानून का उल्लंघन है। उनका कहना था कि अगर केंद्र सरकार को किसी राज्य के द्वारा योजना की राशि का गलत इस्तेमाल दिखता है, तो वह उस राज्य को वित्तीय सहायता रोकने का अधिकार रखती है।
केंद्रीय योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन जरूरी
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी राज्य को यह अवसर नहीं दे सकती कि वह केंद्रीय योजनाओं का दुरुपयोग करे। अगर कोई राज्य इन योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं करता या उनके तहत मिलने वाली राशि का गलत तरीके से उपयोग करता है, तो यह केंद्र सरकार के लिए एक गंभीर मसला बनता है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को यह अवसर नहीं दे सकती कि वे राज्य के गरीबों के हक को छीनें और योजनाओं का दुरुपयोग करें।
पार्लियामेंट की समिति ने आतंकवाद पर एक्शन प्लान की सिफारिश की
इसके साथ ही, एक अन्य महत्वपूर्ण विषय जो संसद में उठाया गया, वह था पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर काबू पाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार करने की जरूरत। संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति ने मंगलवार को इस विषय पर अपनी रिपोर्ट लोकसभा में प्रस्तुत की। समिति ने कहा कि पाकिस्तान से आने वाली आतंकवादी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए भारत को एक समन्वित वैश्विक प्रयास करने की जरूरत है। समिति के अनुसार, भारत सरकार को हर स्तर पर पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
केंद्र सरकार का ध्यान पाकिस्तान की गतिविधियों पर
इस रिपोर्ट में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने समिति के अध्यक्ष के रूप में कहा कि पाकिस्तान से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों को खत्म करने के लिए भारत को अपनी कूटनीतिक प्रयासों को तेज करना होगा। समिति ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के साथ इसके संबंधों को उजागर करने के लिए भारत सरकार को हर मंच पर आवाज उठाने की सलाह दी। इसके अलावा, समिति ने भारत की सीमा सुरक्षा को और मजबूत करने की सिफारिश की, ताकि आतंकवादियों का भारत में घुसपैठ रोका जा सके।बंगाल-झारखंड आलू विवाद, केंद्र द्वारा की गई आपत्ति, और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय रणनीति की आवश्यकता, ये सभी मुद्दे संसद में महत्वपूर्ण रूप से उठाए गए हैं। इन मामलों पर राजनीतिक दलों के बीच तीखी बहस जारी है, और यह देखना होगा कि सरकार इन समस्याओं के समाधान के लिए किस दिशा में कदम उठाती है।