Vrindavan: ISKCON मंदिर की दान राशि हड़पने वाला कर्मचारी मथुरा में हुआ फरार, पुलिस ने दर्ज किया मामला
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Vrindavan कोतवाली क्षेत्र से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक कर्मचारी ने श्री कृष्ण बलराम मंदिर की दान राशि लेकर फरार हो गया। यह मंदिर अंतरराष्ट्रीय कृष्ण चेतना संघ (ISKCON) द्वारा संचालित है। पुलिस ने रविवार को इस घटना की जानकारी दी। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने एक साल से दान राशि का हिसाब नहीं दिया था और जब उससे इसका हिसाब माँगा गया, तो वह फरार हो गया। पुलिस ने शनिवार को मंदिर के मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) की शिकायत पर मामला दर्ज किया है। फिलहाल, आरोपी की तलाश शुरू कर दी गई है।
दान की राशि का हिसाब माँगने पर फरार हुआ कर्मचारी
वृंदावन कोतवाली इंस्पेक्टर (SHO) रवि त्यागी ने बताया कि ISKCON मंदिर के CFO ने अपनी शिकायत में कहा कि मुरलीधर दास, जो यहाँ ‘मेंबरशिप’ विभाग में काम करते थे, उन्हें मंदिर में दान देने वाले श्रद्धालुओं से प्राप्त राशि को बैंक में जमा करने का काम सौंपा गया था। इसके लिए उन्हें 32 रसीद पुस्तिकाएँ दी गई थीं। त्यागी ने कहा कि शिकायत में यह आरोप लगाया गया कि जब कई बार मुरलीधर दास से इन रसीदों का हिसाब माँगा गया, तो उन्होंने इसे टाल दिया, लेकिन हाल ही में जब सख्ती दिखाई गई, तो वह अचानक मथुरा में अपनी अस्थायी आवास से फरार हो गए।
दान राशि की वापसी की मांग करने पर धमकी भी दी
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि जब मुरलीधर दास से फोन पर रसीद पुस्तिका और दान राशि वापस करने को कहा गया, तो उन्होंने न केवल इसे लौटाने से मना किया, बल्कि हत्या की धमकी भी दी। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई की है और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस की छापेमारी जारी
ISKCON के जनसंपर्क अधिकारी रवि लोचन दास ने बताया कि पुलिस ने मुरलीधर दास के करीबी लोगों से जानकारी प्राप्त करने के बाद उनके सभी संभावित ठिकानों पर छापेमारी की है। हालांकि, अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि इस घटना से चार साल पहले भी मंदिर के एक कर्मचारी ने एक करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की थी।
मुरलीधर दास का पेशेवर इतिहास
मुरलीधर दास का पेशेवर इतिहास मंदिर में काम करने के दौरान काफी अच्छा रहा है, और उनके द्वारा की गई यह धोखाधड़ी ISKCON मंदिर प्रशासन के लिए एक बड़ा आघात है। यह घटना सिर्फ एक कर्मचारी की निजी गतिविधि नहीं है, बल्कि यह संस्था की प्रतिष्ठा और श्रद्धालुओं के विश्वास पर भी गहरा असर डाल सकती है। ISKCON जैसी प्रतिष्ठित संस्था में इस तरह की घटना ने सभी को चौंका दिया है।
ISKCON की प्रतिष्ठा पर असर
ISKCON एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्था है, जिसका उद्देश्य श्री कृष्ण की उपासना और भक्ति का प्रसार करना है। इस संस्था ने विश्वभर में अपने मंदिरों, साधुओं और भक्तों के माध्यम से लाखों लोगों को कृष्ण भक्ति से जोड़ा है। लेकिन इस तरह की धोखाधड़ी की घटनाएँ न केवल संस्था की प्रतिष्ठा को प्रभावित करती हैं, बल्कि श्रद्धालुओं के विश्वास को भी हिलाती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि संस्था इस घटना की गहन जांच कराए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए।
पुलिस कार्रवाई और भविष्य की योजना
पुलिस ने मुरलीधर दास के खिलाफ धोखाधड़ी और धमकी देने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल, पुलिस की टीम लगातार मुरलीधर दास के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है, ताकि उसे पकड़ा जा सके। पुलिस का कहना है कि मुरलीधर दास के बारे में जानकारी देने वाले को इनाम दिया जाएगा। इसके अलावा, पुलिस ने यह भी आश्वासन दिया है कि वे इस मामले में सख्त कार्रवाई करेंगे और किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा।
संस्थाओं के लिए सीख
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संस्थाओं को अपने कर्मचारियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। दान की राशि जैसे संवेदनशील मामलों में पारदर्शिता और जाँच प्रणाली को मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएँ न हों। ISKCON को भी इस घटना से सीखना चाहिए और अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं को और भी मजबूत करना चाहिए, ताकि श्रद्धालुओं का विश्वास बनाए रखा जा सके।
वृंदावन के ISKCON मंदिर में हुई इस धोखाधड़ी की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि किसी भी संस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही बेहद महत्वपूर्ण हैं। पुलिस कार्रवाई जारी है और उम्मीद की जाती है कि आरोपी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वहीं, ISKCON जैसे प्रमुख धार्मिक संगठन को इस घटना से सबक लेकर अपनी आंतरिक व्यवस्थाओं को और भी सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके और श्रद्धालुओं का विश्वास कायम रखा जा सके।