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Punjab news: पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच जल विवाद, पानी के वितरण पर बढ़ा तनाव

Punjab news: पंजाब और हरियाणा के बीच एक बार फिर जल विवाद ने तूल पकड़ लिया है। इस बार मुद्दा है, भाखड़ा मेन लाइन से राजस्थान के लिए जारी पानी का इस्तेमाल। पंजाब सरकार ने आरोप लगाया है कि हरियाणा, राजस्थान को मिलने वाले पानी के हिस्से से ज्यादा पानी का उपयोग कर रहा है, जिससे राजस्थान को निर्धारित मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है। इस विवाद को लेकर पंजाब सरकार ने राजस्थान के जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र भेजा है।

पंजाब का आरोप: हरियाणा ने तय मानकों से ज्यादा पानी किया इस्तेमाल

पंजाब सरकार ने अपने पत्र में यह आरोप लगाया है कि भाखड़ा मेन लाइन के RD नंबर 390 से 15 दिनों तक पानी की निगरानी की गई, और इस दौरान यह पाया गया कि हरियाणा ने तय मानकों से अधिक पानी का इस्तेमाल किया। परिणामस्वरूप, राजस्थान को रोजाना 199 क्यूसेक्स कम पानी मिल रहा है। पंजाब सरकार का कहना है कि यह पानी हरियाणा द्वारा गलत तरीके से लिया गया, जो राजस्थान के हिस्से में आता था।

Punjab news: पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच जल विवाद, पानी के वितरण पर बढ़ा तनाव

पंजाब द्वारा राजस्थान को भेजी गई रिपोर्ट

पंजाब सरकार की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट में यह बताया गया कि भाखड़ा मेन लाइन से हर रोज 6062 क्यूसेक्स पानी छोड़ा जा रहा था, जबकि इसकी आवश्यकता केवल 6017 क्यूसेक्स थी, जिसमें राजस्थान का हिस्सा भी शामिल था। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि राजस्थान की दैनिक आवश्यकता 623 क्यूसेक्स पानी की थी, लेकिन उसे केवल 424 क्यूसेक्स पानी ही मिल रहा था। इस पानी के अंतराल को लेकर पंजाब सरकार ने राजस्थान को अपनी चिंता जाहिर की है।

राजस्थान ने भी उठाया था पानी की कमी का मुद्दा

राजस्थान सरकार ने पहले भी इस मामले को उठाया था। अक्टूबर महीने में चंडीगढ़ में हुई उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति की बैठक में राजस्थान सरकार ने भाखड़ा मेन लाइन से कम पानी मिलने का मुद्दा उठाया था। इस मुद्दे पर पंजाब सरकार ने अपनी निगरानी रिपोर्ट पेश की थी और राजस्थान को पानी की उपलब्धता का आश्वासन दिया था।

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राजस्थान सरकार का आरोप था कि पंजाब कम पानी दे रहा है, जिससे उसे अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इस मुद्दे पर एक लंबा विवाद चल रहा है, और राजस्थान सरकार इस मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी है।

हरियाणा ने पंजाब पर लगाया था आरोप

इस विवाद का एक और पहलू यह है कि हरियाणा सरकार ने पंजाब पर आरोप लगाया था कि पंजाब राजस्थान को कम पानी दे रहा है। इस आरोप के जवाब में पंजाब सरकार ने यह दावा किया था कि पानी की कोई कमी नहीं है, बल्कि हरियाणा द्वारा ज्यादा पानी लिया जा रहा है, जिससे राजस्थान को पानी की कमी महसूस हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला

राजस्थान सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद, यह मामला अब तक लंबित है। हालांकि, पंजाब सरकार ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट भेजकर इस मामले को फिर से तूल दे दिया है। रिपोर्ट में हरियाणा द्वारा अधिक पानी के इस्तेमाल के आरोप के बाद, अब स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।

राज्य सरकारों के बीच बढ़ती टेंशन

पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के वितरण को लेकर यह विवाद पहले भी सामने आ चुका है, लेकिन अब राजस्थान भी इस विवाद में कूद चुका है। राजस्थान को मिलने वाले पानी की कमी और पंजाब और हरियाणा के बीच हो रहे विवाद ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

इस विवाद के बाद से राज्य सरकारों के बीच संवाद की आवश्यकता और बढ़ गई है। पानी का वितरण हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है, और इस मुद्दे को लेकर हर राज्य की अलग-अलग मांग होती है। राज्य सरकारों को इस विवाद को हल करने के लिए आपसी सहमति की आवश्यकता होगी, ताकि इस समस्या का समाधान हो सके और किसी भी राज्य को पानी की कमी का सामना न करना पड़े।

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सम्भावित समाधान

इस विवाद का समाधान केवल आपसी बातचीत और समझौते से ही संभव हो सकता है। तीनों राज्य सरकारों को इस मुद्दे पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है, लेकिन इस विवाद को कोर्ट के बाहर भी हल किया जा सकता है।

यदि राज्य सरकारें आपसी सहमति से जल वितरण के लिए नए मानक और दिशा-निर्देश तय करती हैं, तो इस तरह के विवादों को भविष्य में टाला जा सकता है। जल संकट एक गंभीर समस्या है, और इसे सुलझाने के लिए सभी राज्य सरकारों को मिलकर प्रयास करने होंगे।

पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच जल विवाद को लेकर अब स्थिति गंभीर हो गई है। हरियाणा द्वारा अधिक पानी के इस्तेमाल और राजस्थान को कम पानी मिलने के आरोप ने इस विवाद को और भी जटिल बना दिया है। इस मुद्दे पर पंजाब सरकार ने राजस्थान को अपनी रिपोर्ट भेजी है और हरियाणा के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, और राज्य सरकारों को मिलकर इस विवाद का समाधान ढूंढना होगा। जल संकट को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि सभी राज्य आपसी समझौते से जल का सही वितरण सुनिश्चित करें

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