जब हॉस्पिटल से मिली निराशा, ChatGPT ने दे दी बीमारी की सटीक जानकारी!

ChatGPT: आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI केवल तकनीकी दुनिया तक सीमित नहीं रहा है। अब इसका उपयोग सेहत से जुड़ी जटिल समस्याओं की पहचान में भी हो रहा है। हाल ही में कई लोगों ने दावा किया है कि AI टूल्स जैसे ChatGPT ने उनकी गंभीर बीमारियों को पहचानने में अहम भूमिका निभाई जब डॉक्टर भी सही निदान नहीं कर पाए। ये मामले सिर्फ तकनीकी चमत्कार नहीं बल्कि जीवन बचाने वाले प्रमाण बनते जा रहे हैं।
ChatGPT ने बचाई अमेरिका की महिला की जान
अमेरिका की रहने वाली लॉरेन बैनन ने बताया कि साल 2024 की शुरुआत में उन्हें उंगलियों को मोड़ने में तकलीफ होने लगी। डॉक्टरों ने इसे ‘रूमेटॉइड अर्थराइटिस’ बताया। फिर कुछ समय बाद उनके पेट में तीव्र दर्द रहने लगा और एक महीने में उनका वजन करीब 6 किलो कम हो गया। डॉक्टरों ने इसे केवल एसिडिटी की समस्या कहकर टाल दिया। लॉरेन को यह बात हजम नहीं हुई और उन्होंने ChatGPT से सलाह ली। AI ने संकेत दिया कि यह “हाशिमोटो डिज़ीज़” हो सकती है जो एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली थायरॉइड पर हमला करने लगती है। डॉक्टरों ने इसे पारिवारिक इतिहास न होने के कारण नकार दिया लेकिन लॉरेन ने ज़िद कर जांच करवाई। जब उन्होंने थायरॉइड का अल्ट्रासाउंड करवाया तो उनकी गर्दन में दो कैंसरयुक्त गठानें पाई गईं।
AI की सलाह से समय रहते पकड़ में आया ब्लड कैंसर
एक और मामला पेरिस की 27 वर्षीय महिला का है। उसने बताया कि साल 2024 की शुरुआत में उसे रात में अत्यधिक पसीना आता था और त्वचा पर लगातार खुजली रहती थी। डॉक्टरों ने कई परीक्षण किए लेकिन कोई गंभीर बीमारी नहीं पाई। जब महिला ने ChatGPT से सलाह ली तो AI ने बताया कि यह ब्लड कैंसर हो सकता है। उस वक्त किसी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन कुछ महीने बाद जब महिला को थकान और सीने में दर्द होने लगा तो फिर से जांच करवाई गई। स्कैन में उसके फेफड़ों के पास एक बड़ा ट्यूमर मिला। बाद में उसे “हॉजकिन लिंफोमा” नामक ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई जो वही बीमारी थी जिसका संकेत ChatGPT ने पहले ही दे दिया था।
AI डॉक्टरों का विकल्प नहीं लेकिन उपयोगी साथी जरूर
इन दोनों मामलों से यह बात सामने आती है कि AI टूल्स जैसे ChatGPT कोई डॉक्टर का विकल्प नहीं हैं लेकिन सही दिशा में सोचने और संभावित बीमारी की जानकारी देने में सहायक जरूर बन सकते हैं। खासकर तब जब मरीज को लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट्स सामान्य आ रही हों। ऐसे में AI एक तरह का दूसरा मत प्रदान करता है जो कई बार जीवन रक्षक साबित हो सकता है। हालांकि कोई भी अंतिम निर्णय डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लेना जरूरी है लेकिन अब यह बात भी स्पष्ट है कि AI की भूमिका भविष्य की चिकित्सा व्यवस्था में और भी अहम होने जा रही है।