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क्यों मुंबई पुलिस Lawrence Bishnoi को नहीं छू सकती? जानें कहां है समस्या

मुंबई में एक हत्या ने पूरे शहर में दहशत फैला दी है। यह हत्या प्रसिद्ध राजनेता बाबा सिद्धिकी से जुड़ी हुई है, जिसके तार Lawrence Bishnoi के गिरोह से जुड़े हुए हैं। मुंबई पुलिस ने अदालत में दावा किया है कि उन्होंने इस हत्या में बिश्नोई गिरोह की संलिप्तता के सबूत पाए हैं। हैरानी की बात यह है कि इसमें शामिल सभी लोगों की भूमिका और जिम्मेदारी भिन्न-भिन्न थी। शूटरों ने बताया कि उन्हें लक्ष्यों के बारे में केवल लॉरेंस गिरोह द्वारा बताया गया था। लेकिन यह पता नहीं चल सका कि हत्या का आदेश किसने दिया।

इस बीच, यह बताना आवश्यक है कि लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह पुलिस विभाग के लिए एक बड़ा चुनौती बनता जा रहा है, जबकि कानून-व्यवस्था में भी कमी आ रही है। मुंबई पुलिस की अपराध शाखा लॉरेंस बिश्नोई को हिरासत में लेकर उनसे कड़ाई से पूछताछ करना चाहती है। लॉरेंस बिश्नोई का नाम सलमान खान को दी गई हत्या की धमकी और उनके घर के बाहर फायरिंग के मामले में भी आया था। तब से, पुलिस लॉरेंस की हिरासत लेने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसे हासिल करना आसान नहीं है क्योंकि गृह मंत्रालय का आदेश इस प्रक्रिया में बाधा डाल रहा है।

लॉरेंस बिश्नोई की हिरासत क्यों लेना मुश्किल है?

लॉरेंस बिश्नोई की हिरासत प्राप्त करने में अधिकारियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या का मुख्य कारण गृह मंत्रालय द्वारा पिछले वर्ष धारा 268 (1) के तहत जारी किया गया आदेश है। यह धारा राज्य सरकार को यह निर्देश देने की अनुमति देती है कि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के एक वर्ग को जेल से नहीं निकाला जाए, जिससे धारा 267 के तहत दी गई किसी भी आदेश को दरकिनार किया जा सके।

जेल से हिरासत में लेने का आदेश

यह आदेश 30 अगस्त 2023 को जारी किया गया था। इस आदेश के अनुसार, कोई भी एजेंसी या राज्य पुलिस एक वर्ष के लिए लॉरेंस बिश्नोई की हिरासत नहीं ले सकती। इसका कारण यह है कि लॉरेंस को जेल से लाने और ले जाने से कानून-व्यवस्था में विघटन हो सकता है। बिश्नोई इस समय साबरमती जेल में बंद है, और एजेंसियां या पुलिस केवल वहाँ जाकर ही उससे पूछताछ कर सकती हैं। सूत्रों के अनुसार, यह आदेश एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे संभावना है कि अब मुंबई पुलिस लॉरेंस की हिरासत नहीं ले सकेगी।

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लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह कैसे संचालित होता है?

1990 के दशक में, बड़े फिल्म निर्माता, बिल्डर, अभिनेता, निर्देशक एक फोन कॉल से थर्राते थे। वह आवाज थी दाऊद इब्राहीम की, जो पूरे मुंबई को हिला देती थी। अब, ऐसा ही आतंक लॉरेंस बिश्नोई का है। जो पहले पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक सीमित था, अब उसका आतंक मुंबई में भी फैलता जा रहा है। दाऊद भले ही दुबई में बसा हुआ था, लेकिन वह वहाँ से मुंबई को संचालित करता था। इसी तरह, लॉरेंस बिश्नोई साबरमती जेल में बंद है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि लॉरेंस को जेल से बेहतर और सुरक्षित कोई जगह नहीं मिलती, इसलिए वह जमानत के लिए आवेदन भी नहीं करता। उसके सभी कारोबार और अपराध जेल से ही चल रहे हैं।

लॉरेंस बिश्नोई के संदेश का संचालन

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की रिपोर्ट के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई सीधे किसी भी शूटर से बात नहीं करता। वह अपने संदेश को गोल्डी ब्रार, सचिन बिश्नोई और अनमोल बिश्नोई के माध्यम से भेजता है। लॉरेंस के बाद गिरोह में उसका सबसे करीबी दोस्त गोल्डी ब्रार है, इसके बाद उसका चचेरा भाई सचिन बिश्नोई है।

गिरोह में कई ऐसे शूटर हैं, जो एक साथ किसी अपराध में शामिल होते हैं, लेकिन एक-दूसरे को नहीं जानते। ये लोग किसी विशेष स्थान पर किसी के माध्यम से मिलते हैं और फिर अपना लक्ष्य पूरा करते हैं। इनका यह उद्देश्य है कि अगर किसी शूटर को पकड़ा जाता है, तो वह अन्य के बारे में ज्यादा नहीं बता सके। यही कुछ इस मामले में भी हो रहा है।

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लॉरेंस बिश्नोई का प्रभाव

लॉरेंस बिश्नोई की शक्ति उसके अपराध व्यापार में है, जो विदेशों में भी फैल चुका है। लॉरेंस ने NIA और दिल्ली पुलिस की विशेष सेल को इन सभी बातों के बारे में बताया है। इसके अलावा, उसके गिरोह की गतिविधियाँ अब केवल भारत तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैल रही हैं।

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