राष्‍ट्रीय

CJI DY Chandrachud ने वकीलों को क्यों लगाई फटकार, व्यक्तिगत विश्वसनीयता दांव पर

भारत के CJI DY Chandrachud ने हाल ही में वकीलों की एक नई प्रथा को लेकर गंभीर असंतोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि कुछ वकील बार-बार एक ही मामले को अदालत के समक्ष लाकर तारीख मांग रहे हैं, जो न्यायालय की प्रक्रिया और उसकी गरिमा के खिलाफ है। CJI ने स्पष्ट किया कि ऐसे प्रयासों से वे अदालत को गुमराह नहीं कर सकते और उनके व्यक्तिगत सम्मान और विश्वसनीयता को भी दांव पर नहीं लगाना चाहिए।

वकीलों की नई प्रथा

CJI Chandrachud ने कहा कि यह एक नई प्रथा बन गई है, जहां विभिन्न वकील एक ही मामले को सूचीबद्ध करने के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। जब भी कोई वकील ऐसा करता है, तो उसे तारीख मिल जाती है, जिससे न्यायालय का समय बर्बाद होता है। CJI ने इसे एक तरह की न्यायालय के साथ धोखाधड़ी के रूप में वर्णित किया और कहा कि इससे अदालत की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।

मामले की पृष्ठभूमि

हाल ही में, CJI Chandrachud, न्यायमूर्ति JB पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की एक पीठ ने एक मामले की सुनवाई की, जिसमें एक वकील के खनन पट्टे की समाप्ति का मुद्दा था। इस दौरान पीठ ने पाया कि यह मामला पिछले दिन भी उनके समक्ष उठाया गया था। इस पर CJI ने अपनी नाखुशी व्यक्त करते हुए कहा कि एक ही मामले को बार-बार उठाना अब बंद होना चाहिए।

IPL 2025 GT vs PBKS Preview: आज पंजाब किंग्स और गुजरात टाइटंस की होगी टक्कर, अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में होगा मुकाबला

CJI DY Chandrachud ने वकीलों को क्यों लगाई फटकार, व्यक्तिगत विश्वसनीयता दांव पर

व्यक्तिगत विश्वसनीयता का मुद्दा

CJI ने कहा, “मेरी व्यक्तिगत विश्वसनीयता दांव पर है।” उन्होंने यह स्पष्ट किया कि न्यायालय के समक्ष उपस्थित सभी वकीलों को समान नियमों का पालन करना होगा। वह कोई व्यक्तिगत पक्ष नहीं रखेंगे और जो थोड़ी बहुत विवेकाधिकार उनके पास है, वह कभी भी वकीलों के फायदेमंद तरीके से उपयोग नहीं किया जाएगा। इस प्रकार की प्रथाओं से अदालत का समय और संसाधन बर्बाद होता है।

वकीलों को फटकार

हाल के कई मामलों की सुनवाई के दौरान, CJI ने वकीलों को बार-बार फटकार लगाई है जो एक के बाद एक मामलों का उल्लेख करते हैं। उन्होंने उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन करने, आवेदन दायर करने और मामलों को तदनुसार उठाने की सलाह दी है।

Meerut Murder Case: सौरभ राजपूत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, सुनकर कांप जाएगी रूह

न्यायालय की गरिमा का संरक्षण

CJI ने न्यायालय की गरिमा और उसके कार्यप्रणाली के संरक्षण पर बल दिया। न्यायालय का समय कीमती है और इसे सही ढंग से उपयोग करना आवश्यक है। जब वकील बिना उचित आधार के बार-बार एक ही मामले को उठाते हैं, तो यह न केवल न्यायालय के समय का अपव्यय है, बल्कि यह न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता को भी प्रभावित करता है।

Back to top button