Winter Solstice 2024: साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात

Winter Solstice 2024: भारत में सर्दियों के मौसम में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं, यह तो हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिसंबर के महीने में एक ऐसा दिन आता है जो साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है? इसे विंटर सोलस्टाइस या सर्दियों की संक्रांति कहते हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि सर्दियों की संक्रांति क्या है, यह कब होती है, और इसके कारण दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी क्यों होती है।
विंटर सोलस्टाइस: साल का सबसे छोटा दिन
सोलस्टाइस क्या है?
सोलस्टाइस वह समय होता है जब सूर्य अपने उच्चतम या निम्नतम झुकाव पर होता है, जो कि पृथ्वी के भूमध्य रेखा (सेलेस्शियल इक्वेटर) के सापेक्ष होता है। साल में दो बार सोलस्टाइस होती है:
- ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) – जून में, जब दिन सबसे लंबा और रात सबसे छोटी होती है।
- सर्दियों की संक्रांति (Winter Solstice) – दिसंबर में, जब दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होती है।
सर्दियों की संक्रांति क्या है?
सर्दियों की संक्रांति वह समय होती है जब पृथ्वी के किसी एक ध्रुव का झुकाव सूर्य से अधिकतम दूर होता है। यह घटना हर साल दो बार होती है – उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध में।
- उत्तरी गोलार्ध में यह घटना दिसंबर में होती है।
- दक्षिणी गोलार्ध में यह घटना जून में होती है।
सर्दियों की संक्रांति के दिन सूरज आसमान में सबसे निचले बिंदु पर होता है और दिन की अवधि सबसे कम होती है। यह वह समय होता है जब पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य से अधिकतम दूरी पर होता है, जिससे सूर्य की किरणें सीधे भूमध्य रेखा से दक्षिण की ओर पड़ती हैं।
2024 में सर्दियों की संक्रांति कब है?
इस साल, सर्दियों की संक्रांति 21 दिसंबर 2024 को होगी।
- यह घटना उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों की शुरुआत का प्रतीक है।
- नासा के अनुसार, यह घटना 21 दिसंबर को सुबह 4:20 बजे (ईस्टर्न टाइम) पर होगी।
इस दिन, उत्तरी गोलार्ध के सभी स्थानों पर दिन की अवधि 12 घंटे से कम होगी, जबकि भूमध्य रेखा के दक्षिण में स्थित क्षेत्रों में दिन 12 घंटे से अधिक का होगा।
सर्दियों की संक्रांति का प्रभाव
- अलास्का जैसे उत्तरी स्थान: यहां सूर्य की रोशनी बहुत कम समय के लिए होती है।
- फ्लोरिडा जैसे दक्षिणी स्थान: यहां दिन की अवधि थोड़ी अधिक होती है।
सर्दियों की संक्रांति क्यों होती है?
सर्दियों की संक्रांति पृथ्वी की धुरी के झुकाव और उसके सूर्य के चारों ओर घूमने के कारण होती है।
- पृथ्वी अपनी धुरी पर लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई है।
- जब उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर होता है, तो सूर्य की किरणें सीधे दक्षिणी गोलार्ध में पड़ती हैं।
- इस स्थिति में उत्तरी गोलार्ध में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं।
सोलस्टाइस के बाद क्या होता है?
सर्दियों की संक्रांति के बाद दिन की अवधि धीरे-धीरे बढ़ने लगती है।
- 21 दिसंबर के बाद हर दिन सूरज थोड़ा अधिक समय के लिए चमकता है।
- जब 20 जून 2025 को ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) आएगी, तो यह साल का सबसे लंबा दिन होगा।
भौगोलिक महत्व
सर्दियों की संक्रांति केवल खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह मौसम और जलवायु पर भी प्रभाव डालती है।
- उत्तरी गोलार्ध में यह ठंड के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।
- इस समय के आसपास रातें अधिक ठंडी और लंबी होती हैं।
संक्रांति का सांस्कृतिक महत्व
सर्दियों की संक्रांति कई संस्कृतियों में एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है।
- कई देशों में इस दिन विशेष उत्सव और परंपराएं मनाई जाती हैं।
- भारत में भी इस समय मकर संक्रांति जैसे त्योहारों की तैयारी शुरू हो जाती है।
सर्दियों की संक्रांति खगोलीय दृष्टि से एक महत्वपूर्ण घटना है जो हमें पृथ्वी और सूर्य के बीच के संबंधों को समझने का अवसर देती है। यह दिन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें प्रकृति के चक्र और मौसम के बदलावों के प्रति जागरूक भी करता है।
21 दिसंबर 2024 को इस खगोलीय घटना का अनुभव करें और यह जानें कि कैसे पृथ्वी और सूर्य के झुकाव के कारण हमारा दैनिक जीवन प्रभावित होता है।