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Zeeshan Siddiqui: एक फोन कॉल ने बचाई जान, वरना पिता के साथ हो सकते थे मारे गए

Zeeshan Siddiqui: महाराष्ट्र में एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। शनिवार की रात, जब बाबा सिद्दीकी अपने बेटे जीशान सिद्दीकी के कार्यालय से बाहर निकल रहे थे, तब तीन हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। इस हमले में बाबा सिद्दीकी को दो गोलियां लगीं, जिनमें से एक गोली उनके सीने में लगी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस हमले में बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान की जान भी जा सकती थी, लेकिन एक फोन कॉल ने उनकी जान बचा ली।

जीशान सिद्दीकी कौन हैं?

32 वर्षीय जीशान सिद्दीकी कांग्रेस के विधायक हैं और मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। उनका जन्म 3 अक्टूबर 1992 को बांद्रा, मुंबई में हुआ था। वे बाबा सिद्दीकी के पुत्र हैं, जो खुद महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा थे। जीशान की प्रारंभिक शिक्षा और स्नातक की पढ़ाई मुंबई में ही हुई। इसके बाद उन्होंने जुलाई 2015 में लंदन स्थित रीजेंट यूनिवर्सिटी से ग्लोबल मैनेजमेंट और पब्लिक लीडरशिप में मास्टर्स की डिग्री हासिल की।

जीशान ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए पहली बार 2019 में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता। उन्होंने शिवसेना के विष्णु महादेश्वर, जो उस समय मुंबई के महापौर थे, को 38,337 वोटों के अंतर से हराया। इसके बाद, जीशान 2021 में मुंबई इंडियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने।

जीशान सिद्दीकी की जान कैसे बची?

सूत्रों के अनुसार, जीशान सिद्दीकी अपने पिता बाबा सिद्दीकी के साथ ही कार में बैठने वाले थे, लेकिन अचानक उनके मोबाइल पर एक फोन कॉल आ गया। इस कॉल के कारण जीशान कार्यालय में ही रुक गए और बात करने लगे। जब तक वे बाहर आए, उनके पिता पर गोलियां चल चुकी थीं और उनकी हत्या हो चुकी थी। यदि जीशान उस समय बाहर आ गए होते, तो संभवतः वे भी इस हमले का शिकार हो सकते थे। इस प्रकार, एक फोन कॉल ने उनकी जान बचा ली।

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विवादों से जुड़े रहे हैं जीशान सिद्दीकी

जीशान सिद्दीकी का नाम विवादों से भी जुड़ा रहा है। 2021 में कोरोना महामारी के दौरान रेमडेसिविर दवा की खरीद में अनियमितताओं को लेकर उनके खिलाफ जांच का आदेश दिया गया था। इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने जीशान के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। हालांकि, इस विवाद के बावजूद वे कांग्रेस में एक मजबूत युवा नेता के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए हैं।

बाबा सिद्दीकी की हत्या का मामला

बाबा सिद्दीकी की हत्या ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, बल्कि यह राज्य में कानून-व्यवस्था की एक बड़ी समस्या को उजागर करती है। तीन हमलावरों ने बाबा सिद्दीकी को गोली मार दी, जिसमें से दो को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि तीसरे हमलावर की तलाश अभी भी जारी है।

हत्या के पीछे लॉरेंस बिश्नोई गैंग का हाथ माना जा रहा है। हमलावरों की पहचान शिवा, धर्मराज और गुरमेल सिंह के रूप में हुई है। शिवा और धर्मराज उत्तर प्रदेश के बहराइच से हैं, जबकि गुरमेल हरियाणा के कैथल से है। ये सभी लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं।

हत्या के पीछे की संभावनाएं

मुंबई पुलिस इस मामले की जांच कई कोणों से कर रही है। एक संभावना यह है कि गैंगस्टरों के बीच वर्चस्व की लड़ाई इस हत्या का कारण हो सकती है। इसके अलावा, व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता और मुंबई के स्लम पुनर्वास परियोजनाओं में भी किसी तरह की साजिश हो सकती है। पुलिस को घटनास्थल से 9 एमएम के कुछ खोखे मिले हैं, जिनसे हमलावरों के हथियारों की जानकारी मिली है।

लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने सोशल मीडिया के जरिए इस हत्या की जिम्मेदारी ली है, जिसकी पुलिस द्वारा जांच की जा रही है। मुंबई पुलिस दिल्ली पुलिस की विशेष सेल की मदद भी ले सकती है, जो इस मामले की जांच में उनके साथ सहयोग कर रही है।

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राजनीतिक प्रतिक्रिया

बाबा सिद्दीकी की हत्या पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने इस घटना पर बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में गैंगस्टर राज कायम करने की साजिश हो रही है और बीजेपी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।

दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की और कहा कि मुंबई में बीजेपी की सरकार होते हुए भी इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में भी हालात ऐसे ही होते जा रहे हैं, जहां कानून और व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन है।

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