सत्यखबर तरावड़ी (रोहित लामसर) – एक तरफ जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान के लोगों को उनकी संस्कृति के प्रति जागरूक करने में जुटे हैं। हिंदुस्तान की मिट्टी का इतिहास पूरे विश्व में फैला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वंय विभिन्न देशों में जाकर हिंदुस्तान की मिट्टी की महत्त्वता को बता रहे हैं और विदेशी लोग उसे अपना भी रहे हैं, लेकिन विडम्बना यह है कि हिंदूस्तान के अपने लोग ही अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण दीपावली के दिन देखने को मिला। जब लोगों ने हिंदूस्तान की मिट्टी के दीये की जगह चाईनीज दियो को महत्तवता दी। मिट्टी के दीये को बनाने वाले कुम्हार कई दिनों तक मेहनत करते रहे, लेकिन उन्हें दीपावली के दिन इतने ज्यादा खरीददार नही मिले। जबकि चाईनीज दियों और लडिय़ों को खरीदने वालों की भरमार रही।
घर-घर में चाईनीज दीये ओर लडिय़ां चमकती रही, लेकिन हिंदूस्तान की मिट्टी की महक यानि मिट्टी के दीये इक्का-दुक्का ही घर में बिके। इस बार दीपावली के अवसर पर मिट्टी के दीये की लौ बुझती नजर आई। अधिकतर घर की दहलीज पर चाईनीज दीये की रोशनी का उजाला था तो घरों में भी चाईनीज लडिय़ां ही लगी हुई थी। दुकानदारों के अनुसार पिछले साल की अपेक्षा इस बार मोमबत्तियां
की खरीद भी कम हुई। क्योंकि हर कोई तेल और माचिस की झुंझट से बचते हुए चाईनीज दीये की ही खरीददारी कर रहे थे। चाईनीज दीयो से हिंदूस्तान की मिट्टी के दीयो की महक छीनने के साथ-साथ मिट्टी के बर्तन और दीये बनाने वाले कुम्हार की रोजी-रोटी पर भी डाका डाल दिया है। इस बार चाईनीज चीजों की ज्यादातर खरीददारी हुई। तरावड़ी में भी ऐसा ही हुआ। अधिकतर घरों में लोगों ने चाईनीज दीयो को बिजली के उपकरणों से जलाकर लक्ष्मी पूजन किया। हमारी परम्परा बदलती जा रही हैं परम्परा और संस्कृति को लेकर लोग भी जागरूक नही हैं। लेकिन अब लोगों को जागरूक होना पड़ेगा।
कुम्हार बोले :- हर साल पड़ रहा घाटा :- मिट्टी के बर्तन और दीये के साथ-साथ अन्य सामान बनाने वाले कुम्हार हरिराम और सुखबीर ने बताया कि अब मिट्टी के दीयो और बर्तनों की इतनी ज्यादा खरीद नही होते। हर कोई चाईनीज सामान की खरीददारी करते हैं। उन्होंने बताया कि हमने इस बार भी हजारों रुपए की लागत से मिट्टी के दिये और बर्तन बनाने, लेकिन मिट्टी के दीये और बर्तन कुछ खास नही बिके। उन्होने बताया कि वह दीपावली से एक महीना पहले सामान बनाना शुरू कर देते हैं, लेकिन बनाया हुआ सामान उनका ज्यों का
त्यों पड़ा हैं। उन्होंने बताया कि हर वर्ष उन्हें घाटा हो रहा है।
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