सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, लोधर में आयोजित सेमीनार में जिला बाल कल्याण अधिकारी अनिल मलिक ने कहा कि किसी भी इंसान की सोच बहुत बड़ा फर्क पैदा करती है और यह प्रशिक्षण किसी भी इंसान को बाल्यावस्था से ही मिलना चाहिए और इसकी शुरुआत घर से और शिक्षण संस्थान से होनी चाहिए। जिन घरों में बच्चों को विपरीत लिंग के प्रति मान-सम्मान की सीख घरेलू वातावरण से बचपन में ही मिलती है अक्सर देखा जाता है कि ऐसे घरों के बच्चे शोषण, उत्पीडऩ, दुव्र्यवहार जैसी घटनाओं में संलिप्त नहीं पाए जाते। अगर बचपन से ही बेटों को लड़कियों व महिलाओं के प्रति समान व्यवहार का वातावरण व व्यावहारिक सीख मिलेगी, तो उनके व्यवहार में शालीनता पाई जाएगी। अनिल मलिक ने कहा कि मानसिक दबाव, तनाव व चिंता मानव जीवन का हिस्सा हैं। इनसे बचा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि सकारात्मक तनाव व मानसिक दबाव हमें कामयाबी के रास्ते पहुंचाते हैं इसके विपरीत नकारात्मकता हमें अत्यधिक तनाव की ओर धकेलती है। प्राथमिकता के काम का निष्पादन तुरंत करना यानी समय प्रबंधन की कला ही तनाव प्रबंधन का रास्ता है और कोई भी समस्या तब तक बड़ी है जब तक हम उसका समाधान ना खोज लें।
Robotics in metal recycling Ferrous material recycling experimentation Iron scrap salvage depot
Ferrous metal acquisitions, Iron scrap reclamation facilities, Metal reclaiming and repurposing facility
Scrap aluminium upgrades Aluminum recycling consultation Metal reclamation and recovery solutions
Scrap metal trade regulations Ferrous material business intelligence Iron scrap salvage center
Ferrous material recycling expertise, Iron scrap transportation, Scrap metal yard