सत्यखबर
कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों में मायूसी बढ़ गई है, वहीं दूसरी ओर ट्रैक्टरों की संख्या भी घट गई है। प्रदर्शनकारियों ने 27 नवंबर से सिंघु बार्डर पर प्रदर्शन शुरू कर दिया था। उस समय सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर- ट्राली लेकर प्रदर्शनकारी यहां पहुंचे थे। उसके बाद से यहां इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही थी, लेकिन गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी में उपद्रव करने के बाद से लगातार संख्या घटती जा रही है।
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तब से ट्रैक्टर वापसी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोई ट्रैक्टर ट्राली लेकर गांवों के रास्ते से पंजाब का रुख कर रहा है तो कोई नरेला रेलवे स्टेशन से ट्रेन में सवार होकर जा रहा है। प्रदर्शन के 76वें दिन बुधवार शाम तक प्रदर्शन छोड़कर इतने ज्यादा लोग घर जा चुके हैं कि अब सिंघु बार्डर पर मात्र 93 ट्रैक्टर-ट्राली व 14 ट्रक ही बचे हैं। इसमें से 32 ट्रैक्टर व चार ट्रक नरेला रोड पर खड़े हैं। इसके साथ ही यहां लगे टेंट भी उखड़ने लगे हैं।
झंडे को डंडे में लपेटकर जा रहे प्रदर्शनकारी
प्रदर्शन में शामिल कई उपद्रवियों ने जनवरी के आखिर में स्थानीय लोगों व पुलिस कर्मचारियों पर तलवारों से हमला कर दिया था। इस दौरान कई लोग घायल हुए थे। इसे देखते हुए प्रदर्शनकारी अब नरेला रेलवे स्टेशन की ओर पैदल जा तो रहे हैं, पर उन्हें भी डर लगा रहता है कि कहीं स्थानीय लोग उनसे बदला लेने के लिए उन्हें जाने से रोक न दें। लिहाजा वे अपने संगठन के झंडों को डंडों में लपेटकर चुपचाप जा रहे हैं, ताकि किसी को पता न लगे कि वह किस संगठन से हैं।
सिंघु बार्डर पर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (पंजाब) की ओर से धरना दिया जा रहा है। इस कमेटी के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू हैं और महासचिव सरवन सिंह पंधेर। कमेटी के साथ केवल पंजाब के लोग ही हैं। हरियाणा या दिल्ली के लोग इनके साथ नहीं हैं। लिहाजा यहां पर पंजाब के प्रदर्शनकारियों की संख्या ही ज्यादा है। दिल्ली या हरियाणा से नाममात्र के ही लोग यहां पहुंचते हैं। वह भी मंच से संबोधित कर वापस चले जाते हैं।
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