सत्यखबर
सीसर खास गांव की सुनीता कश्यप ने अंतरराष्ट्रीय पावर स्ट्रेंथ वेट लिफ्टर के रूप में अपनी पहचान तो बना ली है, लेकिन उनका परिवार आज भी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। वह अत्यंत विषम परिस्थितियों में खुद का साबित करने में लगी हैं। पिता मजदूरी करते हैं तो मां शादियों मेें रोटियां बनाने के लिए जाती हैं और वहीं से घर का खाना लाती हैं। इतनी समस्याओं के बावजूद सुनीता मेडल लाती हैं और देश-दुनिया में गांव का नाम रोशन कर रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पावर स्ट्रेंथ वेट लिफ्टिंग में मेडल जीतने वाली सुनीता बताती हैं कि उन्हें अभी तक कोई सरकार सहायता नहीं मिली है। जब भी खेल के लिए फीस भरनी होती है या फिर कहीं जाना होता है तो उनके पिता कर्ज लेकर इसकी व्यवस्था करते हैं। उन्होंने कई बार नौकरियों के लिए फार्म भी भरे, लेकिन चयन नहीं हुआ। वह जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीत चुकी हैं। हाल ही में उन्होंने थाईलैंड में हुई विश्व चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता है। सुनीता के पिता ईश्वर का कहना है कि वह मजदूरी करके बेटी के सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके चार बच्चे हैं। बड़ा बेटा शादी के बाद अलग रहता है। उसके बाद सुनीता और उसके दो छोटे भाई हैं।
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सुनीता की मां जमना देवी का कहना है कि बेटी ने चार साल पहले बताया कि वह खेलना चाहती है। तभी से उन्होंने अतिरिक्त काम करना शुरू कर दिया। सुनीता को खेलने के लिए वक्त दिया। खेलने आने-जाने के लिए पैसों की व्यवस्था भी की। उसका संघर्ष अभी जारी है। जब तक उसकी बेटी किसी बड़े मुकाम को हासिल नहीं कर लेती। वह अपना संघर्ष जारी रखेंगी।सुनीता के परिवार के पास घर के लिए जमीन नहीं है। उनका परिवार पंचायत की दी हुई जमीन पर तालाब के पास अपना टूटा-फूटा घर बनाकर रहता है।
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