सत्यखबर, देव सैनी
हरियाणा के पूर्व सीएम भुपेंद्र हुड्डा की मुश्किलें इन दिनों बढ़ती नजर आ रही है.दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने हुड्डा की सरकार के दौरान रोहतक में आवंटित जमीन के मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.जिसकी वजह से जहां एक तरफ बीजेपी समेत जेजेपी और इनेलो में खुशी का माहौल है तो वहीं कुमारी सैलजा के खेमें में भी खुशी के लड्डू फूट रहें होंगे.
ये भी पढ़ें…यमुनानगर में किसानों ने बीजेपी के इस मंत्री को दिखाए काले झंड़े
दरअसल बुधवार का दिन हरियाणा के पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भुपेंद्र सिहं हुड्डा के लिए मुश्किलें और परेशानी लेकर आया.और रोहतक में जमीन आवंटन में की गई अनियमितता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया की इस मामले की सीबीआई जांच की जाए.जैसे ही देश की बड़ी अदालत ने हरियाणा कांग्रेस के मजबूत नेता के खिलाफ ये फैसला सुनाया वैसे ही सत्तापक्ष बीजेपी-जेजेपी और इनेलो में मन ही मन खुशी की लहर दौड़ गई.लेकिन ये खुशी यहां तक सीमित नहीं रही.इस भीषण गर्मी में कांग्रेस के कई नेताओं के कलेजे को भी ठंडक मिली होगी.
सभी जानते हैं कि इन दिनों हरियाणा कांग्रेस में कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है.और अपने दबदबे को लेकर हुड्डा और सैलजा खेमा आमने सामने हैं.तो वहीं हुड्डा खेमा के विधायक भी सैलजा को अध्यक्ष पद से हटवाने के लिए दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं.ऐसे में कुमारी सैलजा के खेमे को हुड्डा के खिलाफ एक और जांच के आदेश से खुशी होना स्वाभाविक है। लेकिन सबसे ज्यादा खुशी और सुकून अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला को मिला होगा। बे-शक चाचा-भतीजा दोनों राजनीतिक कारणों से एक दूसरे के विरोधी हैं, लेकिन दोनों इस बात पर एकजुट हैं कि ओमप्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला को शिक्षक भर्ती घोटाले में फंसाने के पीछे हुड्डा का ही हाथ था.तो वहीं बीजेपी भी अंदर ही अंदर एक मजबूत विरोधी के मुश्किल में फंसने से खुश जरुर होगी.
अब पूरे मामले की बात करें तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के चलते रोहतक में रियल स्टेट बिल्डर उदडार गगन प्रॉपर्टीज लिमिटेड को जमीन आवंटित की गई थी.2005 में उदडार गगन प्रॉपर्टीज ने कॉलोनी विकसित करने के लिए उन किसानों के साथ समझौता किया था जिनकी जमीन पहले से अधिग्रहण के तहत सरकार के अधीन थी….जिसके बाद रियल स्टेट बिल्डर ने कॉलोनी बनाने के लिए 280 एकड़ भूमि को लाइसेंस के लिए आवेदन किया जो राज्य सरकार द्वारा बिल्डर को दे दी गई और जमीन अधिग्रहण से मुक्त कर दी गई.इस प्रकिया में कॉलोनी का लाइसेंस मूल रूप से जमीन मालिकों के नाम पर जारी किए जाने थे, लेकिन ये बिल्डर को भेज दिया गया.मामले में आरोप है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने पहले किसानों से सस्ते रेट में जमीनें खरीदी और बाद में उसे बिल्डरों को बेच दी.जिससे जमीन की कीमतें तेजी से बढ़ी.2016 में अदालत ने राज्य सरकार को मामले में जांच के आदेश दिए थे.
गौरतलब है कि हुड्डा इसके पहले एजीएल प्लाट आवंटने घोटाले, मानेसर भूमि आवंटन घोटाले, राबर्ट वाड्रा-डीलएफ-डील घोटाले में अभियुक्त बनाए जा चुके हैं। स्पष्ट है कि जब तक ये मुकदमे अदालत में चलते रहेंगे हुड्डा की राह मुश्किल ही रहेगी और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी अब शायद उनके ऊपर उतना मेहरबान ना रहे, जितना अब तक रहा.तो वहीं हुड्डा की बढ़ती मुश्किलों पर विरोधियों का राजनितिक तौर पर खुश होना भी लाजमी है.
Copper scrap waste reduction practices Copper scrap dealer Metal waste reconditioning
Copper cable scrap shredding, Scrap metal recycling depot, Copper smelting services
Innovative technologies in aluminum scrap recycling Scrap aluminium repurposing technologies Metal waste management
Metal waste reduction Ferrous material market analysis Iron scrapyard services
Ferrous metal grading systems, Iron scrap grading, Scrap metal regulations