सत्यखबर सफीदों, (महाबीर) – गुरु तेग बहादुर साहिब का 344वां शहीदी गुरुपर्व उपमंडल के गांव सिंघपुरा स्थित ऐतिहासिक गुरूद्वारा एवं डेरा बाबा हरशा सिंह में धूमधाम से मनाया गया। इस भव्य आयोजन के लिए गुरुद्वारा परिसर को रंगबिरंगी लाइटों व फूलों के साथ सजाया गया। इस पर्व को लेकर गुरूद्वारा परिसर में विशेष दीवान सजाया गया व अखंड पाठ का आयोजन किया गया। रविवार को हरियाणा के अलावा दूसरे प्रदेशों से भी श्रद्धालुओं ने श्री गुरूग्रंथ साहिब के सम्मुख शीश नवाया। समारोह में बतौर मुख्यातिथि हरियाणा स्टेट फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर मिल लिमिटेड के चेयरमैन हरपाल सिंह ने शिरकत की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरुद्वारा के प्रधान जगबीर सिंह किरोड़ीवाल ने की। वहीं इंटरनेशनल रागी एवं टाढी जत्था गुरप्रीत सिंह लान्डरा मोहाली वाले, संत बाबा रविंद्र सिंह नानकसर वाले, बाबा बंता सिंह मुंडा पिण्ड पंजाब वाले, हजूरी रागी जत्था भाई सतबीर सिंह सिंघपुरा वाले, कथावाचक ज्ञानी संदीप सिंह सफीदों, हजूरी रागी जत्था भाई सुखबीर सिंह व भाई हरभजन सिंह खालसा, संत बाबा अमरीक सिंह कारसेवा पटियाला वाले तथा ज्ञानी सूरत सिंह व हरजिंद्र सिंह सिंघपुरा वाले ने विशेष रूप से पहुंचकर अपने-अपने कार्यक्रमों के माध्यम से श्रद्धालुओं को श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के जीवन चरित्र से अवगत करवाया।
अपने संबोधन में मुख्यातिथि चेयरमैन हरपाल सिंह ने कहा कि सिखों का इतिहास कुर्बानियों और जज्बे से भरा हुआ है। जब-जब इस धरा पर अत्याचारियों ने जुल्म किए तब-तब सिख गुरुओं व संतों ने अपनी कुर्बानियां देकर अत्याचारियों के जुल्मों से लोगों को मुक्त करवाकर धर्म की रक्षा की। सिखों की आबादी इस देश में भले ही मात्र 2 प्रतिशत हो लेकिन उनकी कुर्बानियां 90 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि टोपी चाहे सोने की लेकर पहन लो लेकिन सिखों की पग अर्थात पगड़ी का कोई मेल नहीं है।
इस पग जैसी शोभा किसी सोने की टोपी में भी नहीं है। सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर बाल्यावस्था से ही संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर व निर्भीक स्वभाव के थे। जिन्होंने धर्म व मानवता की रक्षा करते हुए हंसते-हंसते अपने प्राणों की कुर्बानी दी। हिन्दुस्तान और हिन्दू धर्म की रक्षा करते हुए शहीद हुए गुरु तेगबहादुरजी को प्रेम से हिन्द की चादर कहा जाता है। कार्यक्रम के दौरान पूरा गुरुद्वारा परिसर जो बोले सो निहाल सत अकाल के उद्घोष से गुंजायमान रहा। समारोह में गुरु के अटूट लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
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