सत्य खबर, कैथल
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आज किसानों, कर्मचारियों व मजदूरों ने प्रदर्शन कर रोष मार्च निकला और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया।संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों, कर्मचारियों व मजदूरों ने कैथल की हनुमान वाटिका में इकट्ठा होकर रोष मार्च निकाला तथा मुख्यमंत्री के नाम अपनी मांगों का एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा।
ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री मनोहर लाल से अपील की है कि 18 मार्च 2021 को हरियाणा विधानसभा में एक विधेयक पारित करके आंदोलनों के दौरान होने वाली संपत्ति की क्षति की वसूली आंदोलनकारियों से किये जाने का प्रावधान किया है। जिसके द्वारा पुलिस व कार्यपालिका को असीमित शक्ति प्रदान कर दी गई है।
इसलिए यह लोकतंत्र पर कुठाराघात है और अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन करता है। उक्त कानून के अंतर्गत आंदोलन करने वालों, समर्थकों, योजना बनाने वालों, सलाहकारों आदि को संपत्ति क्षति का दोषी करार देकर उनसे वसूली किए जाने जैसे निरंकुश प्रावधान हैं। यह कि संपत्ति क्षति के संबंध में पहले से ही भारतीय दंड संहिता में प्रयाप्त धाराएं मौजूद हैं। इसलिए नए कानून की कोई आवश्यकता नहीं थी।
हाल में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से ही ऐसा दमनकारी कानून लाया गया है, जो अपने आप में औपनिवेशिक स्वरूप जैसा ही है। यह मजदूर एवं नागरिक समूहों द्वारा किए जाने वाले न्यायप्रिय आंदोलनों को कुचलने के लिए है। ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले 5 महीने से चल रहा किसान आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्वक है और इस दौरान किसी भी प्रकार की संपत्ति को क्षति पंहुचाए जाने की कोई घटनाएं नहीं हुई हैं।
जबकि राज्य सरकार द्वारा सडक़ों को खोदने के मामले जरूर सर्वविदित हैं। किसी व्यक्ति या संगठन पर डाले गए क्षतिपूर्ति के निर्णय को उच्च न्यायालय से नीचे किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। यह प्राकृतिक न्याय की मूल अवधारणा के विरुद्ध है। हरियाणा में किसान-मजदूरों के शांतिपूवर्क आंदोलनों पर पुलिस बल का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है।
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हजारों व्यक्तियों पर झूठे पुलिस मुकदमें बनाए गए हैं और अभी भी बनाए जा रहे हैं। उपरोक्त स्थिति में हम संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में सक्रिय किसान संगठन, ट्रेड यूनियन्स, कर्मचारी संगठन, जन संगठन एवं नागरिक समूह ज्ञापन के माध्यम से आपसे आग्रह करते हैं कि संपत्ति क्षति पुर्ति अधिनियम हरियाणा 2021 को रद्द किया जाए। आंदोलनकारियों पर बनाए गए मुकदमें वापिस हों, आंदोलन पर दमन बंद हो और किसानों की मांगें स्वीकार की जाएं ताकि दिल्ली की सीमा पर किया जा किसान आंदोलन समाप्त हो सके।।
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